वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं, वैक्सीनेशन प्रभारी आरएस ठाकुर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया, क्यों हो रहा है डोज लगने के बाद भी कोरोना

कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। यह बड़ा सवाल है। ऐसे कई केसेज सामने आ चुके हैं। इसके चलते लोग वैक्सीनेशन करवाने से कतरा रहे हैं। इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए लोग हॉस्पिटल्स का चक्कर काट रहे हैं। इस टेंशन को दूर करने के लिए हमने गुरुवार को जिले के कोरोना वैक्सीनेशन प्रभारी एसीएमओ डॉ। आरएस ठाकुर से बात की। उनके मुताबिक दोनों डोज लगवाने के बाद कोरोना संक्रमित होना आश्चर्यजनक नही है। डोज लगवाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोरोना का बॉडी पर इंपैक्ट एक सिंपल बीमारी की तरह रह जाएगा। बॉडी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। संक्रमण का असर ज्यादा प्रभावी नहीं होगा।

सवाल- वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद लोग पाजिटिव हो रहे हैं। क्या वैक्सीन असरदार नहीं है?

जवाब- वायरस को शरीर में जाने से कोई नहीं रोक सकता है। बॉडी में वायरस की मौजूदगी जांच नाक और मुंह के जरिए होती है। वायरस यही से बॉडी में प्रवेश करता है। अगर किसी ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली है और इसके बाद उसकी जांच होगी तो नाक और मुंह में वायरस की मौजूदगी जरूर नजर आएगी। यही कारण है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोगों की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आ रही है।

सवाल- वैक्सीन लगवाने के बाद अगर कोई संक्रमित होता है तो उसे इसका क्या फायदा मिलेगा?

जवाब- अभी तक देखने में आया है कि जो लोग वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित हुए हैं उन पर संक्रमण का खास असर नही हुआ है। यही नहीं उनसे दूसरों को संक्रमण फैलने की तीव्रता भी कम पाई गई है। वैक्सीनेशन के फायदे लोगों को दिखने लगे हैं।

सवाल- वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण होने को लेकर लोगों में मन में अविश्वास पैदा होना क्या सही है?

जवाब- ऐसा नहीं होना चाहिए। वैक्सीनशन जरूर कराना चाहिए और कोरोना वैक्सीन के खिलाफ अविश्वास ठीक नही। ऐसा विचार मन में मत लाएं। यह दोनों वैक्सीन सभी ट्रायल से गुजर चुकी हैं और मानव जीवन के लिए पूरी तरह सेफ हैं। जो लोग वैक्सीनेशन करवा रहे है उनको इसका भविष्य में निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा।

सवाल- वैक्सीन कोरोना से बचाती है या बॉडी की इम्युनिटी बढ़ाती है? इन दोनों में सच क्या है?

जवाब- कई बार देखने में आया है कि वैक्सीन लगवाने के बावजूद लोगों के शरीर मे ंएंटी बॉडी नही बनी है या कम बनी है। कुछ लोगों के शरीर में 6 से 8 माह में एंटी बॉडी बनी है। यह शरीर पर भी निर्भर करता है। शरीर का इम्युनिटी सिस्टम दुर्बल होने पर वैक्सीन भी पूरी तरह से प्रभाव छोड़ नही पाती है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के साथ कोरोना से बचाव के सभी उपायों का पालन करना भी जरूरी है।

सवाल- वैक्सीनेशन के बाद बॉडी पर इसका कितना असर हुआ है, यह कैसे पता लगाया जा सकता है?

जवाब- अगर किसी को वैक्सीन लगवाने के बाद एंटी बॉडी को लेकर कोई सवाल पैदा हो रहा है तो वह लैब में इसकी जांच करा सकता है। सरकारी लैब में इस सुविधा का फायदा नही है। प्राइवेट में निर्धारित शुल्क जमा कराकर अपनी एंटी बॉडी चेक की जा सकती है।

सवाल- कोविशील्ड और कोवैक्सीन में से कौन सी वैक्सीन अधिक मारक और सुरक्षित है?

जवाब- दोनों ही वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और मारक हैं। दोनों के तमाम ट्रायल हो चुके हैं। इसलिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। बस ध्यान रखना है कि पहली और दूसरी डोज में वैक्सीन का ब्रांड एक ही होना चाहिए। निश्चित समय अंतराल पर वैक्सीनेशन करवाना चाहिए।