प्रयागराज (ब्‍यूरो)। जानलेवा बीमारी टाइप टू डायबिटीज का इलाज अब इंडोस्कोपी से संभव है। यह बात रविवार को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की 25वीं वार्षिक सेमिनार एएमएकॉन 2024 में मुख्य अतिथि हैदराबाद के एशियन इन्स्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी के चेयरमैन व संस्थापक डॉ। नागेश्वर रेड्डी ने कही। वह डा। बीएल अग्रवाल ओरेशन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से इस पद्धति पर रिसर्च चल रहा है। जिसमें छोटी आंत में एक उपकरण लगाने से पाचन क्रिया मध्यम हो जाती है और हार्मोन की मात्रा नियंत्रित हो जाती है। उन्होंने कहा कि यह विधि मोटे लोगों में वजन घटाने में भी कारगर सिद्ध होती है।

कब्ज के लिए जांच होना जरूरी

एसजीपीजीआई लखनऊ से आए डॉ। समीर मोहिंद्रा ने कहा कि कब्ज सामान्य विषय नहीं इसे गंभीरता से लेना चाहिए। अगर मल जाते समय दर्द, ऐठन या रक्त आता है तो इसकी तत्काल जांच करानी चाहिए। कारण का पता लगने के बाद मरीज का बेहतर इलाज हो सकता है। बंग्लुरु से आए डॉ। हरशद देवरभावी ने कहा कि डाक्टर की सलाह के तथा निर्धारित खुराक से अधिक मात्रा में लेने पर कोई भी औषधि लीवर को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए बिना चिकित्सकीय सलाह के बाजारू दवा किसी भी पैथी की हानिकारक होती है। पीजीआई चंडीगढ़ से आए डा। टीडी यादव ने कहा कि गॉल ब्लेडर कैंसर जब स्टोन के लिए किया जाता है, तो उसमें जो भी परेशान आती है, इस पर ध्यान देना चाहिए। इस प्रकार की सर्जरी में बाई लेफ्ट इंजरी की संभावनाएं अधिक होती है।

अत्यधिक शराब पीने से होता है अग्नाशयशोथ
नई दिल्ली एम्स के गैस्ट्रोइन्ट्रोलॉजी विभाग के डॉ। प्रमोद गर्ग ने डॉ। अनूप त्रिपाठी ओरेशन के तहत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि तीव्र अग्नाशयशोथ अक्सर पित्त पथरी या अत्यधिक शराब के सेवन के कारण होता है। कहा कि क्रोनिक अग्नाशयशोध के रोगियों में, लक्षण और संबंधित दर्द को रोका या प्रबंधित किया जा सकता है। जोधपुर एसएन मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ। सुनील ददीच ने बताया कि जलोदर का कारण पेट में तरल पदार्थ का जमा होना है। यह अक्सर सिरोसिस की वजह से होता है। सेमीनार में लगभग 450 चिकित्सको ने भाग लिया। इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ। कमल सिंह, सचिव डॉ। आशुतोष गुप्ता, डॉ। अनूप चौहान, डॉ। अशोक अग्रवाल, डॉ। शार्दूल सिंह, डॉ। आरकेएस चौहान, डॉ। अनिल शुक्ला, डॉ। राजेश मौर्या सहित अन्य लोग मौजूद रहे।