प्रयागराज (ब्यूरो)। पितृपक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि पर संगम तट पर सुबह से ही आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। अपने पूर्वजों के प्रति समर्पण और उनके प्रति अपने लगाव को लेकर वंशजों ने पूर्वजों को याद करते हुए पिंडदान व तर्पण किया। बुधवार की सुबह से ही संगम तट पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। संगम तट पर अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए तीर्थपुरोहितों ने भी अपने यहां विशेष तैयारी कर रखी थी। इस मौके पर तीर्थपुरोहितों ने मंत्रोच्चार के बीच पिंडदान व तर्पण कराकर प्रक्रिया पूरी की। अमावस्या तिथि पर पिंडदान होने केसाथ वंशजों को आशीष देकर पितृ पृथ्वी से विदा हो गए। इसके साथ गुरुवार से शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा।
नहीं होना पड़ा श्रद्धालुओं को परेशान
पितृ पक्ष में अक्सर संगम में पानी कम होता है। ऐसे में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी पैदल चलना पड़ता है। तीर्थपुरोहित प्रदीप पंडा ने बताया कि इस बार गंगा में पानी पर्याप्त है। ऐसे में इस बार तीर्थरात्रियों को अधिक पैदल नहीं चलना पड़ा। रामघाट श्रद्धालुओं ने स्नान करके पिंड दान किया। सुबह से पिंडदान को सिलसिला शुरु हुआ। वह दोपहर बाद तक चलता रहा। इस अवसर श्रद्धालुओं ने यथाशक्ति दान आदि कार्य भी किया।