प्रयागराज ब्यूरो, मेडिकल कॉलेज में रोजाना दो से ढाई सौ लोगों की डेंगू की जांच के लिए ब्लड सैंपलिंग की जा रही है। जो कि आमतौर पर अधिक है। डॉक्टर्स ने बताया कि डेंगू की एलाइजा जांच किट से मैनुअल होती है और एक जांच के रिजल्ट आने में 6 से 8 घंटे लग जाते हैं। यही कारण है कि एलाइजा की जांच रिपोर्ट मिलने से दो से तीन दिन का समय लग जा रहा है। यह सैंपल जिले के तमाम एरिया से जांच के लिए आ रहे हैं।
आसानी से नहीं मिलती है किट
पूछताछ में पता चला कि डेंगू की एलाइजा जांच किट की भी क्राइसिस बनी हुई है। पुणे से पूरे देश भर में इस किट की सप्लाई की जा रही है। जितनी किट मेडिकल कॉलेज को मिलती है उससे बहुत अधिक जांच करना भी आसान नही है। यही कारण है कि सरकार ने निजी अस्पतालों में होने वाले रैपिड टेस्ट पर हाय तौबा मचाना बंद कर दिया है। इसमें पाजिटिव आने वाले मरीजों को डेंगू संक्रमित मानकर उनका इलाज किया जा रहा है। खुद सरकार रोजाना इसकी रिपोर्ट मांग रही है।
दिवाली के बाद राहत दे सकता है डेंगू
हालांकि एक्सपट्र्स का मानना है कि दिवाली के बाद डेंगू राहत दे सकता है। इस दौरान घरों में होने वाली साफ सफाई के बाद डेंगू कम होगा और तापमान कम होने से भी डेंगू के मच्छरों की संख्या में गिरावट आएगी। लेकिन तब तक डेंगू कितनी तबाही मचाएगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। तब तक एलाइजा जांच कराना टेढ़ी खीर साबित होगी। डॉक्टर्स का कहना है कि डेंगू के दो लक्षण मेन हैं। पहला बुखार और दूसरा प्लेटलेट कम होना। इसलिए बहुत अधिक घबराने की जरूरत नही। बुखार आने पर पैरासिटामाल खाएं और 20 हजार से कम प्लेटलेट होने पर उसे चढ़वा सकते हैं।
प्राइवेट वालों को देने पड़ रहे 400
नियमों के अनुसार मेडिकल कॉलेज में डेंगू की जांच कराने के दो तरह के शुल्क लिए जा रहे हैं। जो मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भती हैं उनकी एलाइजा जांच के लिए 400 रुपए की पर्ची काटी जा रही है जबकि जो मरीज सरकारी अस्पतालों मं भर्ती हैं उनकी जांच 200 रुपए में की जा रही है। इसको लेकर लोगों में कन्फ्यूजन है। शुक्रवार को प्रतापगढ़ के रहने वाले राजीव मिश्रा से 400 रुपए लिए गए। जबकि उन्हें अन्य परिजनों ने बताया कि हमसे 200 रुपए लिए गए हैं तो वह परेशान हो गए। बाद में उन्हे सही जानकारी दी गई।
वर्जन- अभी दिया जाएगा।