प्रयागराज ब्यूरो । सिर के आधे बाल झड़ चुके हैं। बचे हुए बाल सिर से लेकर दाढ़ी तक के बाल सफेद हो गए हैं। मांसपेशियां भी हड्डियां छोडऩे लगी हैं। फिर भी हौसले इतने बुलंद कि वह इंदिरा मैराथन में रेस लगाने चले गए। सिर्फ आए ही नहीं, बल्कि बाकायदे रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दौड़े भी। हम बात कर रहे हैं 80 वर्षीय मूलचंद्र व 70 साल के अशोक सिंह की। युवा धावकों के साथ इन्हें दौड़ते हुए देखकर हर कोई स्तब्ध रहा। एक सवाल के जवाब में दोनों बुजुर्गों ने कहा, बेटा आदमी शरीर से नहीं, मन और सोच व हौसले से बुढ़ा होता है। कुछ अच्छा करने का जुनून हो तो आर्थिक तंगी और उम्र मायने नहीं रखती।

सीतापुर व आजमगढ़ के हैं बुजुर्ग
इंदिरा मैराथन में रेश लगाने वाले 80 वर्षीय बुजुर्ग मूलचंद्र जनपद सीतापुर के निवासी हैं। जबकि 70 साल के अशोक सिंह आजमगढ़ जिले के रासेपुर जमीरपुर के रहने वाले हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी शरीर पर मत जाइए बेटा, सिर्फ हौसले को देखिए। इस इंदिरा मैराथन प्रतियोगिता में वह एक बार और प्रतिभाग कर चुके हैं। इस बार भी वह पूरी क्षमता के साथ रेस लगाए। कहना है कि वह रेस के लास्ट प्वाइंट तक दौड़ कर पहुंच गए थे। लौटते वक्त यमुना नदी के नए ब्रिज से पहले उन्हें जबरिया बस में बैठा दिया गया। जबकि वह बार-बार कह रहे थे कि कुछ भी हो जाय वह दौड़ते हुए ही मदन मोहन मालवीय स्टेडियम तक जाएंगे। मगर वे लोग नहीं माने। इस बात से दोनों वृद्ध काफी खिन्न दिखाई दिए।