प्रयागराज ब्यूरो । शुक्रवार को चिल्ड्रेन अस्पताल के डॉक्टरों ने एक सात माह के बच्चे के पेट से भ्रूण निकाला। तीन घंटे चले आपरेशन के बाद बच्चा स्वस्थ बताया जा रहा है। उसे पीकू वार्ड में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि यह रेयर केस है और देश में ऐसे अब तक गिने चुने ही मामले सामने आए हैं। सबसे अहम कि बच्चे के पेट से निकले भ्रूण का वजन दो किलो था और इतने दिनों से मासूम उसके साथ सर्वाइव कर रहा था। समय रहते आपरेशन होने से डॉक्टरों ने उसकी जान बचा ली।
जन्म से फूला हुआ था पेट
कुंडा प्रतापगढ़ के रहने वाले सात साल के मनु शुक्ला का पेट जन्म से फूला हुआ था। जैसे जैसे बच्चा बड़ा हुआ उसकी शिकायत बढ़ती गई। इसको लेकर परिजन परेशान हो गए। उन्होंने बच्चे को कई जगह दिखाया लेकिन फायदा नही हुआ। उन्होंने बताया कि उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। बच्चे को भूख नहीं लगती थी और उसका वजन भी कम होने लगा था। कई बार पैसे के अभाव में बच्चे का बेहतर इलाज होने से रह गया। इससे समस्या जस की तस बनी रही।
सीटी स्कैन में दिखी हकीकत
एक सप्ताह पहले परिजन बच्चे को लेकर चिल्ड्रेन अस्पताल में पहुंचे थे। डॉक्टरों को पहले ट्यूमर की आशंका थी लेकिन जब सीटी स्कैन और एमआरआई कराया गया तो बच्चे के पेट में भ्रूण दिखा। शुक्रवार को डॉ। डी कुमार, डॉ। नीतू और डॉ। अरविंद यादव की टीम ने ओटी में करीब तीन घंटे के अथक प्रयास से ऑपरेशन पूरा किया और भ्रूण को बाहर निकाला। डॉ। डी कुमार बताते हैं कि देश में इस तरह के केस अपवाद रूप में ही देखने को मिलते हैं। ऐसे केसेज को पकड़ पाना आसान नही होता है।
किस वजह से बनी परिस्थिति
डाक्टर्स ने बताया कि दो स्पर्म और दो ओवम के आपस में मिलकर दो जाइगोट बनाने से इस तरह की परिस्थिति बनती है। पहले जाइगोट से बच्चा बनता है और दूसरा जाइगोट बच्चे के भीतर चला जाता है जिससे पेट में भ्रूण बनने लगता है। उन्होंने बताया कि यही दूसरा जाइगोट अगर बच्चे के शरीर से बाहर यानी मां की पेट में बनता तो जुड़वा बच्चे का रूप धारण कर लेता। लेकिन ऐसा नही हुआ। जिससे केस जटिल हो गया। उन्होंने बताया कि मनु फिलहाल पूरी तरह सुरक्षित है और वह डॉक्टरों की पूरी निगरानी में है।