प्रयागराज ब्यूरो । विश्व विरासत सप्ताह पर ईश्वर शरण पीजी कालेज के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के परास्नातक तथा शोध छात्र-छात्राओं को डा जमील अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के नेतृत्व में कौशाम्बी जनपद स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक पुरास्थलो - घोसिताराम चैत्य-विहार, अशोक स्तम्भ क्षेत्र, श्येनचिति, राजप्रासाद के साथ-साथ जैन पुरास्थल पभोषा (प्रभासगिरि पर्वत) का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया।
कौशांबी के इतिहास के बारे में बताया
आए थे चीनी यात्री
कौशाम्बी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे बताया कि चौथी सदी से सातवी सदी के मध्य दो चीनी यात्री फाहयान और व्हेनसांग यहां आये और अपने यात्रा वृत्तान्त में कौशाम्बी की तत्कालीन स्थिति का सजीव वर्णन किया। व्हेनसांग के विवरण को आधार बनाते हुए वर्ष 1861 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम सर्वेक्षक एलेक्जेंडर कनिंघम ने यहां की यात्रा की थी और अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में बताया कि सरकारी अभिलेखों में दर्ज वर्तमान कोसम ईनाम व कोसम खिराज ग्राम ही प्राचीन कौशाम्बी था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो0 जी0आर0 शर्मा ने यहां 1949 से 1965 तक अनवरत उत्खनन कार्य करवाया था।
समुदायों को करता है प्रोत्साहित
एयू के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर ओपी श्रीवास्तव (रिटायर्ड ) ने विद्यार्थियों को बताया की यह विरासत सप्ताह विश्व की विरासत को आने वाली पीढिय़ों तक सुरक्षित रखने के लिए दुनिया के सभी समुदायों को प्रोत्साहित करता है। डॉ रागिनी राय ने कौशाम्बी की कला व वास्तुकला के विषय में छात्र-छात्राओं को परिचित कराया। कौशाम्बी पुरास्थल से सम्बद्ध भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के श्री राजकुमार पांडेय ने भी भ्रमण के दौरान दल का उत्साहवर्द्धन किया तथा विरासत संरक्षण हेतु प्रेरित किया। पूरे भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों के दल ने स्थानीय लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोने व संरक्षित करने हेतु जागरूक व सतर्क किया।