सरकारी अनुदान के जरिए शुरू किया जा सकता है व्यवसाय

राजस्थान की एक कंपनी के साथ मिलकर प्रशासन दे रहा मौका

मोती पालन व्यवसाय का हब बनेगा प्रयागराज

मछली पालन व्यवसाय के बाद अब प्रयागराज मोती पालन का भी हब बनने जा रहा है। इसके जरिए लोग न केवल अधिक से अधिक पैसे कमा सकेंगे बल्कि जिले को कमाई का नया जरिया मिलने जा रहा है। मंगलवार को एनआरएलएम के स्वयं सहायता समूहों को इसकी ट्रेनिंग दी गई। उनको बताया गया कि कैसे दो साल के भीतर लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं। प्रशासन का कहना है कि इस व्यवसाय के जरिए बेरेाजगारों को आत्म निर्भर बनाया जा सकता है।

बस एक तालाब की जरूरत

खासकर ग्रामीण एरिया में जिनके पास कम से कम दस हजार स्क्वायर फीट की जमीन या तालाब है वह मोती पालन का व्यवसाय कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें तालाब खुदवाना होगा और फिर उसमें सीप पालने होंगे। अधिकतम दो साल की समय सीमा में इन सीप से उन्हें मोती मिलेंगे जिसका दाम उन्हे दिया जाएगा। तालाब का पानी क्षारीय होना चाहिए जिसका पीएच 650 से 850 और टीडीएस एक हजार से नीचे हो। तालाब कम से कम 8 फीट गहरा होना चाहिए।

करना होगा कांट्रेक्ट साइन

प्रशासन ने जिले में इस व्यवसाय को बढ़ाने के लिए राजस्थान की कंपनी ग्लिटराटी पर्ल फा‌र्म्स से करार किया है। इस फर्म के फाउंडर अचल सिंह ने मंगलवार को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को व्यवसाय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि तालाब होने पर उनकी कंपनी 40 रुपए की एक सीप उपलब्ध कराएगी। जब इस सीप में मोती बन जाएगा तो इस मोती को सौ रुपए पर पीस के हिसाब से कंपनी खरीद लेगी। आमतौर पर एक सीप में दो मोती होते हैं।

50 फीसदी मिलेगा अनुदान

जिला भूमि संरक्षण अधिकारी गौरव प्रकाश कहते हैं कि विभाग तालाब खुदवाने में आने वाली लागत का पचास फीसदी स्वयं वहन करेगा। अधिकारियों का कहना है कि 1.2 लाख रुपए लागत आती है जिसका आधार सरकार की ओर से दिया जाएगा। एक बार कंाट्रैक्ट साइन करने के बाद आवेदक चाहे तो बैंक से भी लोन ले सकता है। इससे उसे व्यवसाय करने में आसानी होगी।

वर्जन फोटो

पूरे देश में हमने कई जिलों में इस व्यवसाय की शुरुआत की है। प्रयागराज में फूलपुर और चाका में हमने कांट्रेक्ट किया है। इससे पब्लिक को कम पैसे बड़ी रकम कमाने का मौका मिलेगा। हम लोगों को सीप पालन के लिए हर तरह से प्रमोट करते हैं।

अचल सिंह, फाउंडर, ग्लिटराटी पर्ल फा‌र्म्स प्रा.लि।

अभी हमने महिलाओं को समूह में इस व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया है। उनके पास जमीन है और वह आसानी से सीप पालन व्यवसाय कर सकती हैं। जिनके पास जमीन नही है वह तहसील में जाकर अपना पट्टा करा सकते हैं।

अजीत सिंह, डीसी, एनआरएलएम