प्रयागराज (ब्यूरो)। अर्ली प्यूबर्टी यानी समय से पहले पीरियड्स का शुरू होना, बच्चियों का बचपन छीन रहा है। कम उम्र में इस सिचुएशन का सामना करने पर उनकी मानसिक स्थिति खराब होने लगती है। ऐसे में पैरेंट्स को डॉक्टर्स का सहारा लेना पड़ता है। हर माह दर्जनों ऐसे मामले अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि सोशल मीडिया का जीवन में अधिक दखल और अनियमित खानपान से ऐसी स्थिति पैदा हो रही है। कम उम्र गल्र्स को लेकर पैरेंट्स को अधिक संजीदा होने की जरूरत है।
केस वन
झूंसी की रहने वाली सात साल की अंजली को अचानक से पीरियड आ गए तो वह घबरा गई। पैरेंट्स भी कम उम्र में शारीरिक बदलाव को समझ नही सके। कई डॉक्टर्स के पास इस समस्या को लेकर गए लेकिन फायदा नही हुआ। हैवी ब्लीडिंग नहीं रुक रही थी। लंबे समय तक इलाज के बाद अब बच्ची को दर्द और ब्लीडिंग से आराम मिला है। उसे हार्मोनल थेरेपी के जरिए ट्रीटमेंट दिया गया है।
केस टू- अल्लापुर की रहने वाली नौ साल की माया को पीरियड आने पर वह मानसिक रूप से परेशान हो गई। साथ ही असहनीय दर्द से वह तड़प उठी। इस कम उम्र में इस परेशानी से उसका स्कूल जाना भी प्रभावित होने लगा। माता पिता भी परेशान हो उठे थे। साथ ही बच्ची को अनियमित चक्रों की समस्या का सामना भी करना पड़ रहा था। डॉक्टर ने उसका इलाज करने के साथ उसकी काउंसिलिंग भी कराई। तब जाकर वह नार्मल हो सकी।
अचानक बदलाव को तैयार नही होता बचपन
पहले माना जाता था कि 15 साल की उम्र के बाद या आसपास अर्ली प्यूबर्टी बच्चियों में होती है। लेकिन समय के साथ यह सिनेरियो चेंज हो रहा है। अब दस से बारह साल की उम्र के बीच ही गल्र्स के पीरियड शुरू हो रहे हैं। अचानक हुए इस शारीरिक बदलाव के लिए वह तैयार नही होती और इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इससे वह खुद को अकेला महसूस करने लगती हैं।
इन कारणों से बढ़ रही समस्या
सोशल मीडिया का अधिक यूज करना
जाने अनजाने मे एडल्ट कंटेंट से सामना होना
जिससे उनके शरीर में ऐसे हार्मोंस का जल्दी स्त्राव होने लगता है
बॉडी में हार्मोंस इम्बैलेंस होने पर
फास्ट फूड या बाजारू खानपान पर अधिक निर्भर होना
अधिक खट्टी चीजों का सेवन करना
अर्ली प्यूबर्टी का प्रभाव
गल्र्स का अकेलापन फील करना
फैमिली मेंबर्स से मन की बात शेयर न करना
चिड़चिड़ापन
दूसरे बच्चों से दूरी बना लेना
घर के भीतर उन्हें बार बार टोका जाना
बॉडी पर तेजी से बदलाव होना
चेहरे पर मुहांसों का आना और अंडर आर्म हेयर की समस्या
डिप्रेशन
इन बातों का रखना होगा ध्यान
बच्चियों को सोशल मीडिया से दूर रखें
उन्हें घर का बना ताजा और साफ भोजन दें
मोबाइल फोन पर एडल्ट कंटेंट मत रखें
गल्र्स को मोबाइल फोन देने से बचें
उनको भरपूर नींद लेने दें
अर्ली प्यूबर्टी है तो माता-पिता को इस पर बच्चियों से बात करनी चाहिए
कोई अन्य समस्या है तो डॉक्टर की राय लेना जरूरी
लड़कियों में अर्ली प्यूबर्टी की समस्या आजकल काफी सामान्य हो गई है। उम्र से पहले ही लड़कियों के शरीर में शारीरिक बदलाव और हार्मोनल परिवर्तन हो रहे हैं। यह सब अनहेल्दी लाइफ स्टाइल और फूडिंग हैबिट के कारण है। बच्चे खेलने-कूदने की उम्र में मानसिक और शारीरिक तनाव से जूझ रहे हैं।
डॉ। सोनिया सिंह
स्त्री रोग विशेषज्ञ व लैप्रोस्कोपिक सर्जन, नारायण स्वरूप अस्पताल