प्रयागराज (ब्यूरो)। माघ मेला क्षेत्र में पहली बार द्वारका शारदा पीठ का शिविर नहीं लगेगा। द्वारका पीठ को त्रिवेणी मार्ग पर उचित जमीन न मिलने से खिन्न उससे जुड़े संतों ने माघ मेला का बहिष्कार कर दिया है। वे मेला प्रशासन के अधिकारियों पर द्वारका पीठ की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। आरोप है कि पीठ के लिए अलग से जमीन देने के लिए अक्टूबर माह में मेला प्रशासन को पत्र लिखा गया था। इसके बावजूद उचित स्थान पर जमीन नहीं आवंटित की जा रही है। त्रिवेणी मार्ग के बजाय पीठ को मनसैता नाला व नागवासुकि मंदिर के पास जमीन दी जा रही है।
दो हिस्सों में बंट गयी है पीठ
माघ मेला क्षेत्र में पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारका व ज्योतिष पीठ का शिविर लगाने के लिए जमीन और सुविधा मिलती थी। उन्हें त्रिवेणी मार्ग पर ज्योतिष पीठ के तहत शाकांभरी पीठ और बद्रिका आश्रम को 280 गुणे 200 फीट जमीन दी जाती थी। वहीं, द्वारका को शारदा पीठम द्वारका और आध्यात्मिक उत्थान मंडल के लिए 80 गुणे 200 फीट जमीन मिलती थी। सितंबर 2022 में शंकराचार्य स्वरूपानंद के गोलोकवासी (निधन) होने के बाद द्वारका पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती आसीन हुए। इसके चलते अबकी द्वारका पीठ का अलग शिविर लगाने का निर्णय लिया गया है। द्वारका पीठ के शिविर प्रभारी व श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने अक्टूबर माह में प्रशासन को पत्र देकर त्रिवेणी मार्ग पर दूसरी पीठों की भांति 280 गुणे 200 फीट जमीन आवंटित करने की मांग की। बुधवार को त्रिवेणी मार्ग की जमीन आवंटित हो रही थी। इसके लिए मेलाधिकारी दयानंद प्रसाद ने श्रीधरानंद को जमीन का निरीक्षण के लिए बुलाया लेकिन त्रिवेणी मार्ग के बजाय मनसैता नाला व नागवासुकि की ओर जमीन दिखाने लगे। इस पर श्रीधरानंद नाराज हो गए। आरोप है कि पहले दोनों पीठों को मिलाकर 400 गुणे 200 फीट जमीन मिलती थी लेकिन अबकी 315 गुणे 200 फीट जमीन दी जा रही है। इससे नाराज होकर मेला का बहिष्कार करने का निर्णय लिया।
नहीं लगेगा कोई शिविर
श्रीधरानंद ने कहा कि माघ मेला संतों व श्रद्धालुओं का है। शंकराचार्य का मार्गदर्शन व आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। इसके बावजूद अधिकारी शंकराचार्य की उपेक्षा कर रहे हैं। उनकी कथनी व करनी में फर्क है। हमें नाला में जमीन दी जा रही है। इससे द्वारका पीठ व शाकांभरी पीठ और बद्रिका आश्रम की जमीन नहीं ली गई। हम किसी का शिविर नहीं लगाएंगे।
पुल नंबर छह के पास अक्षयवट के सामने संगम अपर मार्ग पर जमीन दिखाई गई, जिसे लेने से मना कर दिया गया। त्रिवेणी मार्ग पर इतने बड़े क्षेत्रफल में अतिरिक्त जमीन दे पाना मुश्किल है, जबकि उनकी संस्था को पूरी जमीन व सुविधा दी गई है। अतिरिक्त जमीन इतनी ज्यादा आवंटित नहीं हो सकेगी।
दयानंद प्रसाद मेलाधिकारी
चार हजार संस्थाओं को दी गई सात सौ हेक्टेयर भूमि
माघ मेला में बुधवार को जमीन आवंटन का कार्य समाप्त कर दिया गया। अलबत्ता अभी नई संस्थाओं के साथ कुछ पुरानी संस्थाओं को भूमि नहीं मिल सकी है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से दावा किया गया है कि लगभग 4215 संस्थाओं को जमीन का आवंटन कर दिया गया है। इन्हें कुल लगभग 772 हेक्टेयर जमीन दी गई है। माघ मेला 2024 के लिए 21 दिसंबर 2023 से जमीन का आवंटन शुरू हुआ था। सबसे पहले दंडी स्वामी नगर बसाने के लिए जमीन आवंटित की गई थी। इसके बाद 23 व 24 दिसंबर को खाक चौक, 26 व 27 दिसंबर को आचार्य स्वामी नगर (आचार्य बाड़ा) को जमीन दी गई थी। इसके बाद अन्य मार्गों व सेक्टरों में जमीन का आवंटन हुआ। अंतिम दिन बुधवार को काली मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, हरिश्चंद्र मार्ग, अरैल, नागवासुकि के सामने समेत सभी स्थानों पर जहां पर जमीन उपलब्ध थी, उसका आवंटन कर दिया गया। पिछले माघ मेला में लगभग 3700 संस्थाओं को 650 हेक्टेयर जमीन में बसाया गया था। इस बार 4300 संस्थाओं को जमीन आवंटित करने का लक्ष्य था। इसके अलावा लगभग 2500 नई संस्थाओं ने भी जमीन और सुविधा की मांग की है। नई संस्थाओं को अब जमीन आवंटित की जाएगी। जमीन आवंटन के साथ ही सुविधा पर्ची का वितरण भी शुरू हो गया है।