प्रयागराज ब्यूरो । परिवार की जिम्मेदारी और गरीबी के बोझ से दबे ज्यादातर चालक ई-रिक्शा और टैक्सी चलाने तक ही सीमित हैं। नवंबर में यातायात माह चल रहा है इस बात की खबर उन्हें बिल्कुल नहीं है। इस माह में वाहन चेकिंग और पब्लिक को ट्रैफिक रूल्स के प्रति अवेयर करने के दावे खूब हो रहे हैं। मगर, चालक जो बातें बता रहे हैं, उस पर गौर करें तो जागरूकता जैसे दावों का यहां दम घुट रहा है। यूनियन के लोग भी इन चालकों की सुविधा व सुरक्षा एवं जागरूकता को लेकर कुछ खास नहीं कर रहे। यह बातें शुक्रवार को 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ द्वारा किए गए रियलिटी चेक के दौरान चालकों से की गई बातचीत में सामने आई।


पिछले वर्ष हुई थी बैठक
शहर से लेकर गांव तक शहर में करीब पंद्रह हजार ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं। बीस हजार के आसपास तिपहिया वाहनों की संख्या आरटीओ कार्यालय के जरिए बताई जा रही है। ज्यादातर चालक कई साल से यहां इन गाडिय़ों को चला रहे हैं। मगर, इनमें से अधिकांश को यातायात माह क्या है और कब चलता है? इसके बारे में जानकारी नहीं है। वह इतना जरूर जाते हैं कि नवंबर महीने में चेकिंग बहुत होती है। क्यों ऐसा होता है? यह बात भी उन्हें नहीं मालूम। ट्रैफिक पुलिस चालकों रूल्स के बारे में जागरूक करती है। इस सवाल पर भी उनका जवाब नहीं में ही रहा। चालकों ने कहा कि पिछले वर्ष यूनियन के जरिए कुछ चालकों की मीटिंग की गई थी। उसके बाद कभी किसी ने उन्हें कुछ नहीं बताया। चालक कहते हैं कि वह रोज गाड़ी निकाल कर चलाते हैं और कमाई से परिवार पालते हैं। बस उनकी पूरी दिनचर्या इसी में पूरी हो जाती है। यातायात माह में जागरूकता जैसे अभियान की खबर उन्हें नहीं है।

चालक कोट
किसी तरह ई-रिक्शा चलाकर परिवार पाल रहे हैं। हम तो चाहते हैं कि प्रशासन हम चालकों को कुछ ट्रेनिंग दे। पिछले पांच साल से इसे चला रहा हूं। अब तक कभी किसी ने जागरूकता को लेकर कुछ नहीं किया गया।
मो। शर्फराज, ई-रिक्शा चालक

यह नवंबर महीना चल रहा है। यातायात माह के बारे में हम नहीं जानते। हम कमा कर परिवार चलाएं कि महीना के बारे में पता करें। पुलिस तो यहां रोज ही चेकिंग लगाए रहती है। इसमें नया क्या है। हम लोगों की जागरूकता को लेकर अभी तक तो कुछ नहीं हुआ।
मो। फारुख, ई-रिक्शा चालक

एक दिन स्टेशन पर ट्रैफिक पुलिस वालों ने बताया था कि यातायात माह चल रहा है तो हम भी जान गए। वह अखबार में छपी खबर दिखाकर मारे ई-रिक्शा चालान करने जा रहे थे। काफी कहने सुनने के बाद 500 लेकर यह कहते हुए छोड़ दिए थे कि ठीक से चलाया करो।
अमित शर्मा, ई-रिक्शा चालक

दस साल से ड्राइवरी कर रहा हूं। यातायात माह चल रहा तो चले हमें क्या करना है। हमारे यूनियन की ओर से पिछले साल एक जगह सभी को बुलाकर नियम बताए गए थे। प्रशासन तो कभी कुछ नहीं बताया। जब बताएंगे तो देखा जाएगा। अभी चलने दीजिए।
आशीष कुमार, टैक्सी चालक

इस महीने ट्रैफिक पुलिस वाले चेकिंग खूब करते हैं इतना मालूम है। मगर इस बार बहुत चेकिंग जैसी कोई बात नहीं है। छह साल हो गए आज तक हम गरीब चालकों के बारे में कभी किसी ने सोचा है कि आज ही जागरूक करने के बारे में सोचेंगे। कमाने खाने दीजिए साहब।
राज कुमार, टैक्सी चालक


टैक्सी और ई-रिक्शा यूनियन के साथ बैठक करके चालकों को जागरूक किया जाएगा। बातें हो चुकी हैं। जल्द ही बैठक की डेट फिक्स की जाएगी।
अमित कुमार, ट्रैफिक इंस्पेक्टर