प्रयागराज (ब्यूरो)

जितनी पढ़ाई अब तक की है अब उसके रिवीजन का टाइम है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की तरफ से चलायी जा रही कैंपेन के दौरान पैरेंट्स के सवाल ज्यादा है। इस पर एक्सपर्ट का सजेशन ऐसा ही है। एक्सपर्ट कहते हैं कि अभिभावकों को परीक्षा टाइम में अपने अंदर भी थोड़ा सुधार लाने की जरूरत है। बच्चों को हतोत्साहित करने के बजाय उनका हौसला बढ़ाएं। प्रेशर बनाकर नहीं बल्कि प्यार से और समझा कर उन्हें पढऩे के लिए प्रेरित करें। परीक्षा को लेकर छात्र वैसे भी टेंशन में हैं। उन पर प्रेशर बनाकर या डांटकर पढ़ाने से उनकी मनोदशा पर निगेटिव थॉट हावी हो जाएगी।

इंटर की छात्रा आरती यादव का सवाल है कि परीक्षा को लेकर बहुत डर लग रहा है। क्या करें कि अपने डर को दूर कर सकें?
उत्तर- पहले आप परीक्षा को हौव्वा समझकर डरिए नहीं। यह भी जिंदगी की रुटीन परीक्षा है। आप डर का कारण नहीं बताया है। आप हाईस्कूल की परीक्षा दे चुकी हैं। इसलिए परीक्षा के सिस्टम से वाकिफ हैं। आप के डर की वजह विषयों की अधूरी तैयारी हो सकती है। अभी आप के पास पर्याप्त समय है। उत्तर को बार-बार लिखें और बोलकर पढि़ए। इससे चीजें जल्दी याद होगी और प्रैक्टिस भी बनेगी। घर के कमरे में आप उसी तरह खुद परीक्षा दें जैसे की परीक्षा हाल में होती है। खुद पर विश्वास रखें आप का पेपर अच्छा होगा।

हाईस्कूल की छात्रा गार्गी सोनकर का प्रश्न है कि अंग्रेजी विषय को लेकर डर लग रहा है। कैसे परीक्षा दें कि अच्छे अंक मिले.
उत्तर- हाईस्कूल की परीक्षा में अंग्रेजी विषय को लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है। अंग्रेजी के पेपर में सही उत्तर के साथ राइटिंग भी मायने रखती है। इसलिए आप अपने विषयगत अंग्रेजी को बार-बार लिखें और बाल कर पढ़ें। ट्रांसलेशन और किताब में दिए चैप्टर को अच्छी तरह से पढ़ें फिर उसका अर्थ हिन्दी में लिखें। इससे आप के पास अंग्रेजी की मीटिंग के शब्द कोष बढ़ेंगे और राइटिंग भी अच्छी हो जाएगी। आप डर दूर हो जाएगा। निश्चित रूप से अच्छे अंक मिलेंगे।

सर मेरा नाम प्रमोद मौर्या है। हमारा बेटा इस बार हाईस्कूल की परीक्षा देगा। वह परीक्षा को लेकर डरा हुआ है। क्या करें कि उसका डर दूर हो और पढ़ाई में मन लगे?
उत्तर- प्रमोद जी आप व आप की तरह जिनके भी बच्चे बोर्ड परीक्षा देने जा रहे हैं उन सभी अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों के हौसले को बढ़ाएं। बच्चों के सामने नकारात्मक बातें नहीं करिए। पढ़ाई में उसकी कमजोरी को उसी के सामने लोगों से चर्चा न करें। आप उसके नोट बुक को लेकर प्रश्नों को सुनें। यदि गलत बता रहा तो भी उसे डांटें नहीं, यह कहें कि आता तो है बस थोड़ी मेहनत और करो। इससे बच्चे का हौसला बढ़ेगा और वह मन लगाकर पढ़ेगा। घर में शांति का माहौल दें। लोग ज्यादा आते हैं तो रोक लगाएं। खुशनुमा माहौल दें।

श्रद्धा तिवारी का सवाल है कि दो विषय काफी कमजोर हैं। क्या करें कि जो विषय कमजोर हैं उसकी तैयारी ठीक से हो जाय?
उत्तर- आप के जो दो विषय कमजोर हैं उस पर विशेष और ज्यादा टाइम दें। दूसरा यह कि उसे बार-बार लिखें और बोलकर पढ़ें। परिजनों, मित्रों व अपने टीचर की हेल्प लें आप के लिए बेहतर होगा। यह अच्छा है कि आप को अपनी कमजोरी मालूम है। इससे उन विषयों को लेकर डरिये नहीं। बल्कि पिछले वर्षों की परीक्षाओं के पेपर को लेकर उनके उत्तर लिखिए और प्रश्नों को रटकर याद करने के बजाय समझने की कोशिश करिए। कमरे में एक टीचर की तरह उन प्रश्नों को एक टीचर ऐसे ही पढ़ाएं। इससे एक तरह का प्रैक्टिकल होगा और प्रैक्टिकल करके पढ़ी गईं चीजें आसानी याद हो जाती हैं।

सर, मैं सुरेश मिश्रा इंटर का एग्जाम दूंगा। हमारे मन में घबराहट हो रही है। ऐसे विचार आ रहे हैं कि परीक्षा से क्या फायदा है। इससे पढ़ाई में मन नहीं लग रहा.
उत्तर- दरअसल आप की समस्या कोई समस्या है ही नहीं। बस आप के मन और दिमाग में कुछ चीजें बैठ गईं हैं। पहली चीज तो जान लीजिए कि आप हर कदम पर परीक्षा दे रहे हैं। उसी में एक परीक्षा यह भी है। फिर घबराने की कोई बात ही नहीं है। परीक्षा फायदे या नुकसान के लिए नहीं होती। परीक्षा एक मानक व आप के ज्ञान का मापन है। आप के आपके संज्ञानात्मक और संज्ञानेतर दोनों पक्षों का मूल्यांकन ही परीक्षा कह लाता है। इस ज्ञान के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों तरह के अनेक फायदे होते हैं। जिसे जीवन में आगे महसूस करेंगे।

सर मैं आरती सिंह हूं। हाईस्कूल की परीक्षा देने जा रहे बेटे को पति ने पढ़ाई को लेकर एक दिन डांट दिया था। अब वह डरा के मारे रात-रात भर पढ़ता रहता है। गुस्से में रहता है.
उत्तर- बच्चे वैसे भी परीक्षा को लेकर टेंशन में हैं। ऊपर से डांटकर उन्हें और टेंशन देना ठीक नहीं है। बच्चा रात-रात भर पढ़ रहा तो गलत है। उसे समझाएं और पर्याप्त नींद लेने के लिए कहें। यह वक्त बच्चों को डांटने का नहीं उन्हें समझाने और सपोर्ट करने का है। बच्चा कमजोर है तो उसकी मदद करें। उसके मन में परीक्षा को लेकर डर नहीं बनाएं। निश्चित रूप से वह अच्छे अंक से पास होगा। उसकी कमजोरियों को लेकर दूसरों के सामने चर्चा नहीं करें।

बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र को ही नहीं उनके अभिभावकों को भी चीजों को समझना होगा। वह बच्चे का हौसला बढ़ाएं और घर में पढ़ाई का माहौल दें। निगेटिव बातें नहीं करें। छात्रों की कोई समस्या है तो बताएं उसका समाधान बताया जाएगा।
डॉ। कमलेश तिवारी, प्रोफेशनल काउंसलर साइकोलाजिस्ट प्रयागराज