प्रयागराज (ब्यूरो)। मूल रूप से बिहार के पटना की रहने वाली डा। किरन त्रिपाठी अब जगदगुरु किरन त्रिवेणी महाराज के नाम से जानी जाएंगी। परी अखाड़ा से जुडऩे के बाद उन्होंने सन्यासी की दीक्षा सफलता पूर्वक हासिल कर ली है। गुरुवार को यह प्रक्रिया पूरी होने पर परी अखााड़ की तरफ से पट्टाभिषेक का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें डा। किरन त्रिपाठी को सन्यासी की उपाधी प्रदान की गयी। परी अखाड़ा की पीठाधीश्वर त्रिकाल भवंता ने सन्यास दीक्षा कार्यक्रम को पूर्ण कराया।
पटना की हैं रहनेवाली
डा.किरन त्रिपाठी मूलरूप से आशियाना नगर पटना बिहार की रहने वाली हैं। पांच फरवरी 1960 को डा। किरन त्रिपाठी का जन्म हुआ था। उन्होंने बाद में तय किया कि वह सन्यासी जीवन में प्रवेश करेंगी। इसके लिए उन्होंने परी अखाड़ा से सम्पर्क किया। अखाड़ा की सभी परंपराओं को पूरा करने पर उन्हें सन्यासी जीवन में प्रवेश करने की अनुमति मिली। डा.किरन त्रिपाठी ने गुरुवार को तीन दिवसीय सन्यास दीक्षा कार्यक्रम को पूरा किया। इसके बाद उन्हें परी पीठाधीश्वर त्रिकाल भवंता ने जगदगुरु किरन त्रिवेणी महाराज की उपाधी दी। पीठाधीश्वर परी अखाड़ा त्रिकाल भवंता ने बताया कि अब जगदगुरु किरन त्रिवेणी महाराज परी अखाड़ा की सदस्य हैं। वह अखाड़े की प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगी। कार्यक्रम में महंत सुमन, नीलम, नयना, ऊषा आदि उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया।