प्रयागराज ब्यूरो, कर्मकाण्डी पंडित बताते हैं कि मंगलवार शाम 4.41 बजे ग्रहण शुरू होगा। ग्रहण काल में ही शाम शाम 5.27 बजे सूर्य देव अस्त होंगे। दूसरे दिन बुधवार की सुबह लोग बिस्तर छोड़ेंगे तो ग्रहण खत्म हो चुका होगा। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले से ही प्रभावी हो जाएगा। पुरोहित कहते हैं कि सूर्यग्रहण अमावस्या तिथि पर ही लगता है। इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 25 अक्तूबर को भी है, जिसकी वजह से आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा। वह कहते हैं कि यह ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड। जम्मू, श्रीनगर, लेह और लद्दाख में आसानी से दिखाई देगा। जबकि दक्षिण भारत जैसे मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, के कुछ हिस्सों में ही दृष्टिकोचित होगा। सूर्यास्त होने के कारण देश के पूर्वी भागों में ग्रहण दिखाई नहीं देगा। ग्रहण के समय चार ग्रह बुध, गुरु, शनि और शुक्र सभी चारों ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे।
ग्रहण काल में इन बातों का रखें ध्यान
- ग्रहण के वक्त अपने आराध्य देव के नाम का जप करें, कोई भी शुभ काम न करें
- प्रिगनेंट महिलाएं इधर-उधर घूमने से बचें और नियमानुसार सावधान रहें
- सूतक काल में पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान जैसे शुभ कार्य वर्जित हैं
- बच्चे, बुर्जुगों व मरीजों को छोड़कर किसी को खाने पीने से बचने का विधान है
- ग्रहण शुरू होने से पहले व खत्म होने के बाद गर्भवती महिलाएं स्नान जरूर करें
- गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में किसी नुकीली चीज का प्रयोग करने से बचें
- ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को सोने से बचना चाहिए, ईश्वर का जप करें
- खाने-पीने की सामग्री में तुलसी की पत्ती डालकर ही उसका सेवन करें
- घर में गंगा जरूर रखें और ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में छिड़काव करें
- विशेष ध्यान रखें कि ग्रहण में तुलसी या किसी पेड़ पौधों को टच करने से बचें
ग्रहण काल में हर किसी को सतर्क रहने की जरूरत है। बताए गए नियमों का हर किसी को पालन करना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान मन ही मन आराध्य देव का जप करें और शुभ कार्यों को करने से बचें।
अमिताभ गर्ग, ज्योतिषाचार्य