- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत में आई स्पेशलिस्ट डॉ एसपी सिंह ने ब्लैक फंगस से बचाव, कैसे होगा पोस्ट कोविड मरीजों का बचाव, उपाय की दी जानकारी
कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए ब्लैक फंगस किसी सिरदर्द से कम नहीं है। जो मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं उन पर इस बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। प्रयागराज में भी अब तक इस बीमारी के चार पेशेंट चिंहित हो चुके हैं। आखिर क्या है ये और इसके क्या लक्षण हैं। किस तरह से इस इंफेक्शन से बचा जा सकता है। इस मामले में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और आई स्पेशलिस्ट डॉ एसपी सिंह से बात की।
सवाल- किस तरह के व्यक्ति इस संक्रमण की चपेट में आते हैं।
जवाब- कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति म्यूकोरमाइकोसिस नाम के फंगल इन्फेक्शन की चपेट में आ रहे हैं। यह कोरोना संक्रमित और डायबिटीज के मरीजों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
सवाल- ब्लैक फंगल इंफेक्शन शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है।
जवाब- म्यूकोरमाइकोसिस फंगल इंफेक्शन शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इंफेक्शन नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है, वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है।
सवाल- कैसे बॉडी में प्रवेश करता है यह संक्रमण। इसका बॉडी के इम्युन सिस्टम से क्या रिलेशन है।
जवाब- म्यूकोरमाइकोसिस आम तौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों का इम्युन सिस्टम कमजोर होता है। इसलिए वह आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं। यह फंगस सांस लेने पर नाक के जरिए लंग्स और फिर खून के माध्यम से ब्रेन में पहुंच जाता है।
सवाल- किस तरह के लक्षणों से इस संक्रमण को पहचाना जा सकता है।
जवाब- कुछ शुरुआती लक्षण होते हैं जिससे इस संक्रमण को पहचाना जा सकता है। जिनमें नाक में दर्द हो, खून आए या नाक बंद हो जाए, नाक में सूजन आ जाए, दांत या जबड़े में दर्द हो या गिरने लगें, आंखों के सामने धुंधलापन आए या दर्द हो, बुखार, सीने में दर्द, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, खून की उल्टियां होना और कभी-कभी दिमाग पर भी असर होता है।
सवाल- किन रोगियों में इस संक्रमण के पाए जाने के अधिक चांसेज हैं। कैसे बचाव संभव है।
जवाब- जिन रोगियों का शुगर लेवल हमेशा ज्यादा रहता है। कोविड इलाज के दौरान जिस मरीज को अधिक स्टेरायड दिया गया हो। जो अधिक समय आईसीयू में रहे हों या टांसप्लांट या कैंसर के रोगी हों। ऐसे लोगों को निर्माणाधीन एरिया में नहीं जाना चाहिए क्योंकि यहां फंगस के शरीर में प्रवेश करने के अधिक चांस होते हैं। बगीचे में जाएं तो फुल आस्तीन शर्ट, पैंट व ग्लव्स पहनें। अगर कोई मरीज आता है तो उसे भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।