प्रयागराज ब्यूरो, ऐसे केसेज लगातार बढ़ रहे हैं। पहले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में ऐसी दिक्कत देखने में आती थी लेकिन अब यह काफी कम उम्र में होने लगा है। डॉक्टर्स का कहना है कि इसके पीछे अधिक तनाव लेना मेन कारण है। करियर की भागदौड़ और टारगेट एचीव करने के चक्कर में युवा अधिक तनाव ले रहे हैं। इसकी वजह से उनको शारीरिक और मानसिक बीमारियां होने लगती हैं। जिसमें भूलने की आदत अहम होती जा रही है। अधिक तनाव लेने से दिमाग वह हिस्सा जो याददाश्त को सहेज कर रखता है वह सिकुडऩे लगता है। ऐसा इसलिए होता है कि अधिक तनाव लेने से हमारे दिमाग में सिरम कोटिसोल बढ़ जाता है। सिरम कोटिसोल तनाव का हॉर्मोन होता है, जिसके बढऩे से तनाव भी बढ़ता है। देखा गया है कि यह हॉर्मोन लोगों को आत्महत्या करने तक मजबूर कर देता है, इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी किसी चीज के बारे में न सोचें जिससे तनाव बढ़े।
केस नंबर एक- एक फार्मा कंपनी में एमआर राजीव सिंह की उम्र 35 साल है। पिछले कुछ महीने से उन्हें भूलने की आदत से परेशानी हो रही है। हालत यह है कि वह तत्काल की चीजें भी भूल जाते हैं। उन्हें इसकी जानकारी डॉक्टर को दी। फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टर ने उन्हें अधिक तनाव लेने से मना किया है।
केस नंबर दो- निजी बैंक में फील्ड आफिसर में ब्रजेश कुमार की एज भी महज 38 साल है और वह भी भूलने की बीमारी से परेशान हो गए हैं। वह अक्सर लोगों के नाम और रास्ते भूल जाते हैं। इसकी वजह से उनकी जॉब पर भी असर पडऩे लगा है। डॉक्टर ने उन्हें तनाव कम लेने और मेडिटेशन करने की सलाह दी है। साथ ही उन्हें नशे से दूर रहने के लिए कहा है।
इन लक्षणों से होशियार
- बात करते करते उददेश्य से ध्यान हट जाना
- नाम, शक्ल या मार्ग याद न रहना
- चीजों को रखकर भूल जाना
- फोन पर नंबर डायल करने से पहले नाम भूल जाना
- अपने सहकर्मी का बार-बार नाम भूलना
इन कारणों से कमजोर होती है याददाश्त
- अधिक तनाव और चिंता
- सिगरेट और शराब का अधिक सेवन
- गुस्सा और चिड़चिड़ापन
- भरपूर नींद नही लेना
इनसे होगा बचाव
- कम से कम छह घंटे की नींद लेना जरूरी
- तनाव पैदा करने वाली चीजों से दूरी बनाना
- भोजन में पर्याप्त न्यूट्रिशन लेना
- एक्सरसाइज और मेडिटेशन करना
हमारी लाइफ में एक साथ कई चीजें एक साथ चलती हैं। दिमाग में परिवार, जॉब, शापिंग, पर्सनल रिश्ते जैसी तमाम बातें एक साथ चलती हैं। लेकिन कभी किसी को लेकर तनाव नही लेना चाहिए। क्योंकि यहीं से भूलने की आदत की शुरुआत होती है। अधिक नशा भी नही करना चाहिए। आजकल ओपीडी में आने वाले अधिकतर मरीजों में भूलने की शिकायत कॉमन होती जा रही है।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक