प्रयागराज (ब्यूरो)। कोरोना काल के बाद से सोशल मीडिया से लोगों की नजदीकियां बहुत अधिक बढ़ गई हैं। 15 साल से लेकर बुजुर्ग तक अपना अधिकतर समय फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंकेडिन आदि पब्लिक साइट्स पर बिता रहे हैं। अधिक से अधिक फालोवर्स, शेयरिंग और लाइक की चाह में धड़ाधड़ पोस्ट डाली जा रही हैं। कई बार लोग जल्दबाजी में यह भी चुनाव नही कर पाते कि उन्हें कौन सी पोस्ट डालनी है या नही।
आने लगते हैं चिड़चिड़ाहट जैसे लक्षण
कई बार ऐसा होता है कि लोग वाहवाही लूटने के लिए अपने पर्सनल, नौकरी या बिजनेस से जुड़ी लाइफ की पोस्ट शेयर करते हैं लेकिन रिजल्ट एकदम निगेटिव आता है। लोगों द्वारा उन्हें निगेटिव कमेंट्स दिए जाते हैं। ऐसे में यूजर्स के भीतर चिड़चिड़ाहट, डिप्रेशन और उदासी जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। यह शुरुआत होती है और लगातार ऐसा होने पर वह आपस में लडऩे झगडऩे लगता है और मानसिक रोगी जैसा बर्ताव करने लगता है।
ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाले कमेंट
कुछ केसेज ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें निगेटिव कमेंट्स आने पर लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ गया। वह सोशल मीडिया के माध्यम से ही लडऩे लगे। आपसी विवाद इतना बढ़ा कि डॉक्टर के पास जाना पड़ गया। जांच में पता चला कि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। डॉक्टर ने संबंधित यूजर को कुछ दिन सोशल साइट्स से दूर रहने की हिदायत दी है। डॉक्टर्स कहते हैं कि ऐसी क्रियाओं में बॉडी से ऐसे हार्मोंस निकलते हैं जिनसे नींद, मेटोबोलिज्म, ब्रीदिंग आदि डिस्टर्ब हो जाती है। तनाव का लेवल भी बढ़ जाता है।
केस वन- सिविल लाइंस के रहने वाले तुषार क्लास 11 में पढ़ते हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपनी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली। बदले में कई निगेटिव कमेंट आ गए। यह देखकर उनका पारा चढ़ गया और वह घर वालों से लडऩे लगे। कुछ दिन बाद उदास हो गए। जब परिजनों ने पूछा तो उन्होंने इसके बारे में बताया। उनकी मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग कराई जा रही है।
केस टू- दारागंज के रहने वाले शैलेष गुप्ता की शादी तय हो गई है। इसके पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी, साथ ही अपनी होने वाली मंगेतर की फोटो भी डाल दी। इस पर लोगों ने कुछ ऐसे कमेंट कर दिए जिससे वह अवसाद में आ गए। आनन फानन में घर वालों ने उनका इलाज शुरू करा दिया। अब वह पहले से बेहतर महसूस कर रहे।
केस थ्री- बमरौली निवासी अंजली पेशे से फैशन डिजाइनर हैं। हाल में उन्होंने एक नया बिजनेस शुरू किया। लेकिन यह पनप नही सका। नुकसान होने पर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना दुख शेयर किया तो उल्टे लोगों ने उनको नासमझ और कमजोर साबित करना शुरू कर दिया। इसके बाद उनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया। फिलहाल उनकी काउंसिलिंग की जा रही है।
हर चीज की एक सीमा होती है। कोरोना काल के बाद से लोग सोशल मीडिया पर इतने इनवाल्व हो गए हैं कि अपना सुख-दुख और प्राइवेट लाइफ भी शेयर करने लगे हैं। वह इसके साइड इफेक्ट भी नही समझ पाते। बाद में जब नकारात्मक कमेंट्स आते हैं तो यूजर्स की भावनाएं आहत होती हैं और वह मानसिक और शरीरिक रूप से डिस्टर्ब हो जाता है। ऐसे केसेज कोरोना काल के बाद से तेजी से बढ़ गए हैं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक