मुवक्किल की मनोदशा समझने के लिए लॉ में मनोविज्ञान भी हो शामिल

- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी में शुरू हुई मूट कोर्ट प्रतियोगिता

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PRAYAGRAJ: कोर्ट में केस लड़ने के पहले किसी भी वकील के जरूरी है कि वह अपने मुवक्किल की मनोदशा को समझे। इसलिए जरूरी है कि लॉ की पढ़ाई में मनोविज्ञान विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए। ये बातें शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के लॉ फैकेल्टी में शुरू हुए मूट कोर्ट के उद्घाटन के मौके पर कही।

ऑनलाइन मोड में जुड़े जस्टिस मुनीर ने कहा कि कोर्ट की शरण में आने वाला हर शख्स अपराधी ही नहीं होता है। तमाम ऐसे केस भी आते हैं, जिनमें व्यक्ति को जबरन फंसाया जाता है। ऐसे में विधि की पढ़ाई के दौरान जब स्टूडेंट्स को मनोविज्ञान की समझ भी डवलेप हो जाएगी। तो वह अपने मुवक्किल की मदद काफी आसानी से कर सकेंगे और कोर्ट में वह निर्दोष को इंसाफ दिलाने में भी कामयाब हो सकेंगे। इस दौरान उन्होंने भावी वकीलों को वकालत के करियर को लेकर प्रेरित किया।

वकालत के पेशे में बना करियर

मूट कोर्ट में ऑन लाइन शामिल हैदराबाद स्थित लॉ यूनिवíसटी के कुलपति प्रो। फैजान मुस्तफा ने भी अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि लॉ के स्टूडेंट्स के लिए जरूरी है कि वह वकालत के पेशे को ही अपना करियर बनाए। उन्होंने बताया कि हाल में नेशनल लॉ स्कूल के एक स्टूडेंट को प्राइवेट कंपनी ने 87 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी का ऑफर दिया। हालांकि जब बाद में कंपनी से मोटे पैकेज पर जॉब देने का कारण पूछा गया तो, वह कुछ भी नहीं बता सकी। उन्होंने कहा कि लॉ को व्यापार न बनाएं। इसके पहले गेस्ट का स्वागत लॉ फैकेल्टी के डीएन व एचओडी प्रो। जेएस सिंह ने किया। उन्होंने बताय कि वकालत में करियर बनाकर लॉ के स्टूडेंट्स लोगों के न्याय दिलाने के साथ ही अपने करियर की बुलंदियों तक पहुंच सकते है।