-बरेली, आगरा और वाराणसी के मेंटल हास्पिटल में दिया जा रहा प्रशिक्षण

-मरीज का व्यवहार देखकर समझेंगे मर्ज और कर सकेंगे प्राथमिक उपचार

प्रयागराज

मानसिक उलझनें, काम के तनाव और मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से स्थितियां अब कुछ ऐसी हो गई हैं जिससे लोग मनोरोग का शिकार होने लगे हैं। अक्सर डाक्टर अपने सामने आए मरीज के व्यवहार को देखकर उसे मनोरोगी समझते हैं और इलाज से मुंह फेर लेते हैं। इसके चलते डाक्टरों को अब कुछ यही सिखाया जा रहा है जिससे मरीज को किसी भी डाक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ के पास राहत मिल सके।

वाराणसी, आगरा और बरेली में ट्रेनिंग

प्रदेश भर के डाक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट को नामित कर वाराणसी, आगरा और बरेली के मेंटल हास्पिटल में ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है। प्रयागराज से भी चिकित्सा स्टाफ को 22 जुलाई से लगातार भेजने की प्रक्रिया चल रही है। मेंटल हास्पिटल में एक माह तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें मरीजों के व्यवहार से उसके मनोरोग को समझकर वैसा ही ट्रीटमेंट दिया जा सके। कोशिश रहे कि डाक्टर हो या नर्स, या फिर फार्मासिस्ट। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का सभी हिस्सा बन सकें। प्राथमिक इलाज करने में इनमें हर कोई सक्षम हो। मनोरोग के कारण और निवारण के तौर तरीके जानें व रोगियों को राहत पहुंचाएं।

जिला एनसीडी सेल के नोडल अधिकारी तथा एसीएमओ डा। वीके मिश्र ने बताया कि यह कार्यक्रम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पहले भी चलता था। कोविड-19 के चलते लंबा ब्रेक हो गया। अब 22 जुलाई से प्रशिक्षण कार्यक्रम फिर शुरू हुआ है। कहा कि लोगों में मनोरोग एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। दो-चार की संख्या में डाक्टर, नर्स और फार्मासिस्ट भेजे जा रहे हैं। एक दो नहीं बल्कि सभी सरकारी अस्पतालों से इनको नामित किया जा रहा है। इन प्रशिक्षित लोगों के बलबूते जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को विस्तार दिया जा सकेगा।