प्रयागराज (ब्यूरो)। तकरीबन एक माह पहले रीवा के रहने वाले राज नारायण विश्वकर्मा अपने बेटे संस्कार का इलाज कराने टीबी हॉस्पिटल तेलियरगंज लाए थे। वह मजदूरी करते हैं और जैसे तैसे परिवार पाल रहे हैं। उनका बेटा यहां भर्ती है और एक माह से परिवार भी यही पड़ा हुआ है। रहने के लिए उन्हे अस्पताल का रैन बसेरा मिला है। लेकिन यहां कोई सुविधा नही है। रैन बसेरे के कमरे में ताला लगा है और परिवार खुले बरामदे में रहने को मजबूर है। उनकी तरह अन्य कई तीमारदार भी इसी रैन बसेरे में टिके हुए हैं। तीमारदार बताते हैं कि रात में बहुत मच्छर लगते हैं और चारों ओर गंदगी फैली हुई है। गेट पर नाली का पानी बह रहा है। नल इतना गंदा है कि वहां से पानी भरना मुश्किल है। किसी तरह से इस हालात में उनका रहना पड़ रहा है।
बाहर से खरीद रहे दवा
राज नारायण ने बताया कि उनका बेटा काफी सीरियस था। अब उसे इलाज से थोड़ा आराम है। लेकिन अभी भी उसकी खांसी से कभी कभी ब्लड आता है। इसलिए उसका इलाज चल रहा है। वह बताते हैं कि वह मजदूरी करते हैं और उनके पास दवा के पैसे नही हैं। फिर भी एक माह में वह बाजार से लगभग डेढ़ हजार की दवा खरीद चुके हैं। इसी तरह पुरामुफ्ती से आए राम आसरे अपने पोते का टीबी का इलाज करा रहे हैं। पांच दिन पहले उन्होंने एडमिट कराया था। वह कहते हैं कि वार्ड में संक्रमण के डर से मरीज के पास सोना मुश्किल है। किसी तरह रैन बसेरे में सोना पड़ता है।
खून के लिए भटक रहा परिवार
इसी अस्पताल में भर्ती रीता देवी के पिता सूरजमल गुप्ता बताते हैं कि डॉक्टर ने इलाज के लिए एक यूनिट खून की मांग की है। लेकिन, उनके पास डोनर नही है। ब्लड बैंक में पता किया तो दलालों ने घेर लिया। कोई दस हजार मांग रहा है तो कोई चौदह हजार की डिमांड कर रहा है। ऐसे में वह परेशान हैं। उन्होंने कहा कि ब्लड का इंतजाम हो जाए तो उनकी बेटी की जान बच जाएगी।
दवा के दामों मे दस गुने का अंतर
अस्पताल में जो दवाएं मौजूद नही हैं उसे डॉक्टर बाहर से मंगवाते हैं। अस्पताल परिसर में मौजूद जन औषधि केंद्र के संचालक बताते हैं कि नियमानुसार डॉक्टरों को दवा का साल्ट का नाम लिखना चाहिए। लेकिन, वह ब्रांड नेम लिख रहे हैं। इसे खरीदने में कई मरीज असमर्थ साबित होते हैं। लेकिन मजबूरी में हम उनकी सहायता नही कर पाते। उन्होंने बताया कि हमारे पास जो दवा मौजूद है, वही दवा मार्केट में दस गुना महंगे दाम पर मिलती है। बावजूद इसके डॉक्टर साल्ट का नाम नही लिख रहे हैं। आइए जानते है कि मार्केट से कितनी महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं मरीज।
एक नजर में दवा के दाम
दवा का नाम जन औषधि केंद्र में दाम मार्केट में दाम
रेवेल डीएसआर 18 रुपए पत्ता 110 रुपए पत्ता
रेबेप्राजोल लिवोसेल प्राइड 36 रुपए पत्ता 310 रुपए पत्ता
डेका नवल इंजेक्शन 20 रुपए प्रति 345 रुपए प्रति
प्रोटीन पावडर 200 रुपए डिब्बा 450 रुपए डिब्बा
मल्टी विटामिन 33 रुपए पत्ता 310 रुपए पत्ता
अधीक्षक से नहीं हो पाया संपर्क
अस्पताल के अधीक्षक डॉ। डी प्रसाद से जब अस्पताल की अव्यवस्थाओं और अनियमितताओं को लेकर बात करने की कोशिश की गई तो पता चला कि वह मौजूद नही हैं। उनका मोबाइल नंबर भी कॉल करने पर स्विच आफ बता रहा था।