पांच थानों में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा किए गए स्टिंग में सामने आई सच्चाई

PRAYAGRAJ: थानों पर चोरी का मुकदमा दर्ज कराना आसान नहीं है। पर्स या बैग की चोरी का मुकदमा लिखना तो दूर तहरीर तक लेने से पुलिस को परहेज है। रिपोर्ट दर्ज करने या क्विक एक्शन के बजाय थानों में पीडि़त को सलाह मिलती है। मशवरा यह कि तहरीर से चोरी हटाकर गुम होने या गिरने की बात लिखे। ऐसा लिख कर देते ही तहरीर की कॉपी करवाने के बाद सिग्नेचर व मुहर मारकर मुंशी दे देते हैं। कुछ ऐसे भी थाने हैं जहां ऑनलाइन शिकायत की सीख दी गई। सोमवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर द्वारा किए गए सिटी के पांच थानों में की गई स्टिंग में यह सच्चाई सामने आई।

केस वन

दारागंज थाना

रिपोर्टर - साहब नागवासुकी मंदिर दर्शन के लिए आया था। मंदिर में किसी ने मेरा पर्स चोरी कर लिया। पर्स में दो हजार रुपये और कुछ कागजात थे।

मुंशी- तहरीर में चोरी नहीं, यह लिखो कि मंदिर दर्शन करने आया था और कहीं पर्स गिर गया। जिसमें उक्त रुपये व कागजात थे। फिर वही तहरीर दो।

रिपोर्टर- साहब दूसरे से लिखवाया हूं मैं लिख नहीं पाता, प्लीज सर रिपोर्ट दर्जकर के मदद कर दीजिए, मैं बड़ा परेशान हूं।

मुंशी- (कड़क आवाज में जवाब) तहरीर में चोरी लिखे हो ऐसे ही उसे ले लेंगे क्या? जाओ जैसे बताया हूं उसी तरह लिखकर तहरीर दो। यह सुन रिपोर्टर थाने से अपनी तहरीर लेकर कीडगंज थाने पहुंचा।

केस टू

कीडगंज थाना

- मेला क्षेत्र परेड में शिल्प मेला के पास दुकान से पर्स चोरी होने की तहरीर लेकर मुंशी से मिला

मुंशी- हां बताइये क्या बात है?

रिपोर्टर- साहब मेला में आया था यहां एक दुकान के पास सामान खरीदते समय भीड़ थी किसी ने पर्स चुरा लिया।

मुंशी- तहरीर लेकर कर पढ़ते हुए पूछा कि पर्स में कुछ जरूरी सामान तो नहीं था।

रिपोर्टर- साहब सात आठ सौ रुपये और आधार वगैरह था।

मुंशी- ठीक है परेशान न हो, ऐसा करो कि एक दूसरी तहरीर लिखो कि मेरा पर्स मेला में कहीं गुम हो गया है वही हमें दो, कुछ ऐसा कर देंगे कि तुम्हारा काम हो जाय।

रिपोर्टर- दूसरी तहरीर लिखकर दिया कि मेरा पर्स मेला में कहीं गिर गया। जिसमें 700 रुपये व जरूरी कागजात थे

मुंशी- इस तहरीर की फोटो कॉपी करवाए और सिग्नेचर के बाद मोहर लगाकर दे दिए। बोले रुपये तो मिलने से रहे हां तुम्हारे कागजात इससे बन जाएंगे

केस थ्री

मुट्ठीगंज थाना

- मोहर वाली कॉपी लेकर मुट्ठीगंज थाने पहंचा और सामने बैठे एक दरोगा जी को तहरीर दी।

दरोगा- तहरीर लेकर पढ़ते हुए यार बाइक में टंगा बैग कहीं गिर गया होगा तुम चोरी लिखकर लाए हो

रिपोर्टर- साहब गिरा नहीं मैं तो टांग कर ही दुकान पर गया था

दरोगा- ठीक है सामने मुंशी जी खड़े हैं मिलो वही चोरी की रिपोर्ट लिख सकते हैं

रिपोर्टर- मुंशी के पास तहरीर लेकर पहुंचा और बाइक में टंगे बैग के चोरी की तहरीर दी

मुंशी- ऐसा करो कि साइबर कैफे से ऑनलाइन रिपोर्ट लिखवाओ। अब थाने पर चोरी नहीं लिखी जाती सब ऑनलाइन हो गया है

रिपोर्टर- साहब इतनी दूर आए हैं तो लिख ही लीजिए अब फिर हम साइबर कैफे कहां खोजेंगे

मुंशी- ठीक है दूसरी तहरीर लिखो कि मैं आ रहा था कहीं मेरा बैग गिर गया, चोरी नहीं बल्कि गिरने की बात लिखो

केस फोर

कोतवाली

- रिपोर्टर ने माजरा समझ लिया और वहां से निकलकर सीधे कोतवाली जा पहुंचा। तब तक समय दोपहर तीन से ऊपर हो चुका था

रिपोर्टर- तहरीर देते हुए साहब मैं चौक आया था और यहां किसी ने मेरा पर्स चुरा लिया, उसमें तीन हजार रुपये व एटीएम कार्ड और पैन एवं आधार कार्ड थे।

मुंशी- ठंडे व शालीन दिमाग से, देखो भाई लिखने को तो हम लिख ही लेंगे लेकिन ऑनलाइन करिए तो ज्यादा सही रहेगा

रिपोर्टर- साहब इतनी दूर से आये हैं, लिख लीजिए।

मुंशी- चलिए परेशान न हो लिखकर दे दीजिए कि चौक आया था कहीं पर्स गुम हो गई या गिर गया हम लिख लेंगे, नहीं तो यूपी कॉप पर ऑनलाइन शिकायत कर दीजिए

रिपोर्टर- समझ गया कि यहां भी चोरी की रिपोर्ट लिखा जाना संभव नहीं है

केस फाइव

शाहगंज थाना

- रिपोर्टर शाहगंज पहुंचा तो यहां भी थाने में मुंशी ही मिले।

- रिपोर्टर पहुंचा तो वहां जमीन में कई लोग बैठाए गए थे, खैर मुंशी को काल्विन के पास दुकान से बैग चोरी की तहरीर दिया

- मुंशी के बगल खड़े एक जवान ने पहले ज्ञान दिया कि रुपये तो मिलने से रहे। चोरी लिख लूंगा तो रोज पहचान के लिए दौड़ते रहोगे। ऐसा करो कि तहरीर लिखों कि बैग कहीं गिर गया।

मुंशी- थोड़ी देर बाद जवाब दिए यार तुम्हें मैं कई बार देखा हूं? कहां रहते हैं और क्या करते हैं।

रिपोर्टर- जरूर देखेंगे होंगे मार्केटिंग का काम करता हूं।

मुंशी- ठीक है अप्लीकेशन दो कि हॉस्पिटल आ रहा था स्टेशन चौराहे से काल्विन के बीच कहीं बैग गिर गया उसमें ये सामान थे तो दर्ज कर लूंगा