वेबिनार में महिला संगठन की सदस्यों और व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने दिए सुझाव

- टॉयलेट निर्माण में विभाग न करें कोताही, सुविधाएं दें पूरी, भले बढ़ा लें शुल्क

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा चलाये जा रहे च्एक्सक्यूज मी, वेयर इज माइ टायॅलेटच् अभियान के तहत मंगलवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान विभिन्न संगठन, एनजीओ और व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने अपने-अपने सुझाव रखे। वहीं कुछ कॉलेज की ग‌र्ल्स भी जुड़कर अपनी बातों को रखा। सबका एक ही कहना था कि टॉयलेट अगर बनाया जाता है तो साफ-सफाई की व्यवस्था के साथ सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाये। इसके लिए भले ही शुल्क थोड़ा बढ़ा कर लिया जाये। लेकिन सुविधा देने में विभाग कोई कोताही न करें। वहीं इस अभियान के जरिये सिटी के अंदर दस से ज्यादा बदहाल टॉयलेट की सूरत को भी बदलने का काम किया है। जिसकी प्रसंशा खुद लोगों द्वारा वेबिनार से जुड़कर की गई।

टूटे टॉयलेट का छलका दर्द

मंगलवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा आयोजित वेबिनार में जहां लोगों ने टॉयलेट में होने वाली सुविधा और खाली स्थानों पर बनाने का सुझाव दिया। वहीं दूसरी तरफ मुंडेरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष धनंजय सिंह ने टूटे टॉयलेट का दर्द बयां किया। उन्होंने फोटो के जरिये टूटे हुये टॉयलेट के बारे में बताया। उनका कहना था कि नगर निगम द्वारा मुंडेरा में एकमात्र टॉयलेट बनाया गया था। जो कि पिछले दो वर्ष से सड़क चौड़ीकरण के दौरान से टूटा पड़ा है। कई बार नगर निगम से निवेदन किया जा चुका है। लेकिन कुछ नहीं हुआ। वहीं दूसरी तरफ वेबिनार में जुड़े लोगों ने बताया कि दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा अभियान के दौरान पब्लिश हो रहे नंबर पर बदहाल टॉयलेट की फोटो भेजने के बाद उसकी सूरत भी बदली है। सिटी के अंदर 103 सार्वजनिक टॉयलेट में से 82 टॉयलेट की साफ-सफाई का जिम्मा प्रोजेक्ट मैनेजर ऑपरेशन प्रयागराज लायन के मनोज कुमार मिश्र को सौंपा गया है। उन्होंने मशीन लगाकर सफाई का काम शुरू किया। अभी भी बदहाल टॉयलेट की सूरत बदलने का काम चल रहा है। यह सब मुमकिन इस अभियान से हो सका है।

इस अभियान के शुरुआत से जुड़ी हूं। इनके द्वारा सिटी के अंदर गंदे टॉयलेट की सफाई मशीन से कराया गया है। यह काफी सराहनीय है। नये टॉयलेट बनाने के साथ-साथ पुराने टॉयलेट को साफ करने पर विभाग ध्यान दें। विभाग अगर मन से प्रयास करें तो शहर में कई टॉयलेट बनकर तैयार हो जाएंगे।

मंजू पाठक, महिला अधिकार संगठन अध्यक्ष

वेबिनार के जरिए महिलाओं को अपनी बात रखने का मौका मिला। जरूरत के स्थान पर सार्वजिनक टॉयलेट के साथ पिंक टॉयलेट बनाने पर ध्यान दिया जाए। टॉयलेट पर सुविधाओं का भी पूरा ख्याल रखा जाए। चाहे सुविधा शुल्क बढ़ाकर ही क्यों न लिया जाए।

शानू केशरवानी, महिला अधिकार संगठन नगर अध्यक्ष

सिटी के जरूरत वाली जगहों पर पिंक टॉयलेट होना चाहिए। यह महिलाओं का अधिकार है। पैसा देने के बाद भी कुछ सार्वजिनक टॉयलेट पर सुविधा नहीं मिलती है। सुविधा तो दूर पानी तक की कमी होती है। मनीषा शुक्ला, जागृति महिला सेवा संस्थान उपाध्यक्ष

हम कॉलेज ग‌र्ल्स की बस यह ही मांग है कि स्कूल के व कोचिंग के आसपास एरिया पर भी पिंक टॉयलेट बनाने पर ध्यान दिया जाए। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के अभियान के जरिये अपनी बात रखने का मौका मिला। काफी अच्छा लगा। आज के समय पर भी बहुत सी लड़कियां और महिलाएं है। जो इस मुद्दे पर बात रखने में संकोच करती है।

सीमा सिंह, कॉलेज ग‌र्ल्स

वेबिनार के जरिए अपनी बात रखने का मौका मिला। अगर सरकारी महकमा इस पर विशेष ध्यान दे तो महिलाओं को उनका हक मिल जाएगा। टॉयलेट के लिए उन्हें मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।

वंदना सिंह, पहल एक नई शुरुआत सोसायटी अध्यक्ष

टॉयलेट का मुद्दा आज भी बहुत से लोगों को छोटा लगता है। जबकि इसके कमी चलते काफी महिलाओं को कई बीमारियों से गुजरना पड़ता है। ज्यादा देर तक टॉयलेट रोकना बीमारी को दावत देना जैसे होता है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने इस मुद्दे को उठाया इसके लिए मैं धन्यवाद देती हूं।

नैनय आर्य, पहल एक नई शुरुआत सोसायटी सदस्य, सिनीयर टीचर एमपीवीएम

अगर टॉयलेट बनवाया नहीं जा सकता है तो कम से कम मोबाइल टॉयलेट ही रखवा दिया जाये। एक तरफ सरकार खुले में शौच मुक्त होने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सिटी के अंदर ही महिलाओं के लिए पर्याप्त टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। पूरे सिटी के अंदर एक ही पिंक टॉयलेट बना है। जबकि जरूरत वाले हर स्थानों पर पिंक टॉयलेट की व्यवस्था होनी चाहिए।

दीपा श्रीवास्तव, सोशल वर्कर, पहल एनजीओ

महिलाओं के अधिकार व उनके बारे में सोचने के लिए सबसे पहले मैं दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की पूरी टीम को बधाई देती हूं, यह एक अच्छा प्रयास किया जा रहा है। पॉश एरिया में पिंक टॉयलेट जरूर होने चाहिए। जब सरकार टॉयलेट बनाने के लिए करोड़ों रुपये का बजट देती है। तब यह आलम है। जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदार को समझें।

श्वेता उपाध्याय, सोशल वर्कर

पिंक टॉयलेट में महिला गार्ड जरूर नियुक्त हो। साफ-सफाई के लिए एक व्यक्ति बराबर डयूटी पर रहे। पांच रुपये शुल्क की वजह आठ या दस रुपये रख दें। लेकिन सुविधा के साथ कोई कटौती न की जाये। पानी व सेनेटरी पैड तक की व्यवस्था हो। इसके लिए अलग से शुल्क भी होगा कोई दिक्कत नहीं। टॉयलेट बनवाने के नाम पर कोरम पूरा नहीं किया जाना चाहिए। हर टॉयलेट पर टोल फ्री नंबर लिखा हो।

मोनिका अरोड़ा, समाजसेविका मीरापुर

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा अभियान चलाकर महिलाओं के लिए एक अच्छा प्रयास किया जा रहा है। अगर सिटी के अंदर आठ दस पिंक टॉयलेट बनता है तो काफी राहत मिलेगी। जो भी टॉयलेट बनाये जाते हैं। उनमें महिलाओं के जरूरत व सुविधा का विशेष ध्यान दिया जाये। शाम के समय लाइट की प्रापर व्यवस्था हो।

फरीदा परवीन, महिला अधिकार संगठन सदस्य

मुंडेरा एरिया में एक भी टॉयलेट नहीं है। जिस टॉयलेट को चौड़ीकरण के दौरान तोड़ा गया था। उस जगह पर मरम्मत कराकर शुरु कराया जा सकता है। इस जगह पर पिंक टॉयलेट के लिए पर्याप्त जगह है। नगर निगम के अधिकारी कम से कम इस ओर भी ध्यान दें। इस बाजार में एक हजार से अधिक बड़ी छोटी दुकानें है। जहां महिलाओं का खूब आवागमन रहता है।

धनंजय सिंह, मुंडेरा व्यापार मंडल अध्यक्ष

नगर निगम अधिकारी को पत्र सौंपा गया है। सिविल लाइंस एरिया में कुछ जगहों पर पिंक टॉयलेट बन सकता है। उन जगहों का पत्र के जरिये जिक्र किया गया है। इस कार्य में कोई रुकावट आने पर व्यापार मंडल के हर एक पदाधिकारी दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम और नगर निगम के साथ है। पूरा सहयोग किया जाएगा।

सुशील खरबंदा, सिविल लाइंस व्यापार मंडल अध्यक्ष