डेंगू का सीजन आते ही बढ़ गई प्लेटलेट्स की डिमांड

एक्सप‌र्ट्स दे रहे सलाह, हो सकता है साइड इफेक्ट

डेंगू हैमरेजिक फीवर में पड़ती है प्लेटलेट्स की जरूरत

डेंगू की शुरुआत होते ही एक बार फिर प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ने लगी है। एएमए ब्लड बैंक अभी से एक दिन में 100 यूनिट से अधिक प्लेटलेट की सप्लाई कर रहा है। भविष्य में अन्य ब्लड बैंकों की भी यही हालत होने वाली है। एक्सप‌र्ट्स की राय इससे अलग है। उनका कहना है कि जब तक आवश्यकता न हो, तब तक प्लेटलेट नहीं चढ़वानी चाहिए। इसका बॉडी पर साइड इफेक्ट भी हो सकता है।

20000 से कम काउंट होने पर भी न घबराएं

एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि बीस हजार से कम प्लेटलेट होने होने पर भी नही घबराना चाहिए। इसकी आवश्यकता तभी होगी जब बॉडी पर चकत्ते पड़ जाएं या ब्लीडिंग होने लगे। यह लक्षण डेंगू हेमरेजिक फीवर में ही देखने को मिलते हैं। अगर ऐसा नही है तो थोड़ा धैर्य रखें, क्योंकि अगले चार से पांच दिन बॅाडी की बोन मैरो खुद प्लेटलेट्स का निर्माण करने लगती हैं। तब तेजी से इसका काउंट भी बढ़ जाता है।

खतरनाक है ये फोबिया

डेंगू को लेकर मॉस फोबिया खतरनाक है। लोगों को जैसे ही पता चलता है कि उन्हें फीवर आ रहा है और प्लेटलेट्स काउंट कम हो गया है वह बिना देरी किए प्लेटलेट्स चढ़वाने लगते हैं। जबकि यह सही नही है। यही कारण है कि सितंबर और अक्टूबर के महीने में ब्लड बैंकों से एक दिन में 500 से अधिक यूनिट प्लेटलेट्स की खपत होती है और लोगों को इसके लिए धक्के खाने पड़ते हैं।

फाल्स भी आती है रिपोर्ट

प्लेटलेट्स की जांच पैथोलाजी केंद्रों पर स्टिक के जरिए की जाती है। जबकि इसमें एकुरेट रिपोर्ट नही आती है। इसी तरह मशीन से ब्लड जांच होने पर भी रिपोर्ट के फाल्स आने के चांसेज होते हैं। ऐसे में जो पुराने पैथोलाजिस्ट हैं वह स्लाइड से भी चेक करते हैं। इसमें थोड़ी देर लगती है लेकिन प्लेटलेट काउंट बिल्कुल एकुरेट आता है। इसलिए शंका हो तो दोबारा ब्लड की जांच जरूर करानी चाहिए।

कब होता है साइड इफेक्ट

प्लेटलेट्स का साइड इफेक्ट भी देखने में आता है। एक्सप‌र्ट्स बताते हैं कि होल ब्लड से जब प्लेटलेट निकाला जाता है तो तब उसमें प्लाज्मा की भी थोड़ी मात्रा मौजूद रहती है। इस प्लाज्मा में एंटी बॉडी होने की वजह से किसी हाइपर सेंसेटिव व्यक्ति के बॉडी में रिएक्शन देखने को मिल जाते हैं। लेकिन यह सभी के साथ नही होता है। इसके लिए बॉडी का हाइपर सेंसेटिव होना जरूरी है।

स्टाक में मौजूद है प्लेटलेट

समय आते ही ब्लड बैंकों में प्लेटलेट का स्टाक तैयार रहने लगा है।

एएमए ब्लड बैंक में रोजाना 150 यूनिट का स्टाक तैयार किया जा रहा है।

इसी तरह एसआरएन ब्लड बैंक में 47 यूनिट रखी हुई है।

बेली और काल्विन अस्पताल में भी सौ यूनिट प्लेटलेट मौजूद हैं।

यहां से भी डिमांड होने लगी है। अगर मरीजों की संख्या बढ़ी तो ब्लड बैंकों में अधिक मात्रा में प्लेटलेट का निर्माण किया जाएगा।

फीवर आए तो यह करें

सबसे पहले सिंपल क्रोसिन का सेवन करें।

इसके बाद डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

लक्षण मिलत जुलते हैं तो डेंगू का एलाइजा टेस्ट कराएं।

मेडिकल कॉलेज में होने वाला एलाइजा टेस्ट ही मान्य है, प्राइवेट जांच को मान्य नही किया गया है।

अपने मन से एंटीबायटिक मत खाएं, वरना बॉडी में प्लेटलेट की मात्रा कम हो सकती है।

शरीर पर चकत्ते या ब्लीडिंग जैसे लक्षण नही हैं तो प्लेटलेट चढ़वाने से पहले डॉक्टर से अच्छी तरह बात करें।

लोगों में डेंगू को लेकर फोबिया है जिसकी वजह से बीमार होते ही प्लेटलेट चढ़वाने लगते हैं। इसकी अधिक जरूरत नही होती है। साधारण डेंगू बुखार के उतरते ही प्लेटलेट फिर से तैयार होने लगती है। इसलिए बिना दबाव बनाए डॉक्टर से बात करके ही प्लेटलेट चढ़वाई जाए।

वत्सला मिश्रा

एचओडी पैथोलाजी विभाग, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज