ऑनलाइन ठगी से कैसे बचे, वेबिनार में एक्सपर्ट ने दिये टिप्स
- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की ओर से आयोजित वेबिनार में ऑनलाइन ठगी से बचाव पर हुई चर्चा
- वेबिनार में साइबर एक्सपर्ट से लोगों ने पूछे सवाल
PRAYAGRAJ: साइबर क्रिमनल बेहद स्मार्ट हैं। वह आम आदमी से कई कदम आगे सोचते हैं। लोगों को पलभर में लाखों का चूना लगा देते हैं। पुलिस भी लाचार है क्योंकि यह क्रिमनल मिनटों में अपराध को अंजाम देते हैं और पुलिस को ट्रेस करने में काफी समय लग जाता है। ऐसे क्रिमनल से बचने के लिए लोगों को भी स्मार्ट होना होगा। जिसके बारे में दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की ओर रविवार को आयोजित वेबिनार के प्रयागराज कालिंग में एक्सपर्ट ने बचाव के टिप्स दिए। उन्होंने बताया कि स्मार्ट फोन के डाटा पर साइबर क्रिमनल की नजर है। जिससे बचने के लिए बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। कार्यक्रम के दौरान जुटे तमाम लोगों ने बढ़ चढ़कर साइबर एक्सपर्ट से सवाल पूछे।
साइबर एक्सपर्ट ने दिए 12 टिप्स
- अपने मोबाइल व सिस्टम को अपडेट रखें, ये आपकी विंडो को वानाक्राई रैनसमवेयर (वायरसस) से सुरक्षित रखेगा
- स्ट्रांग पासवर्ड रखने पर एक्सपर्ट ने बताया कि डाटाबेस में सेंध 60 फीसदी कमजोर पासवर्ड के चलते है
- हमेशा अपडेटेड एंटी वायरस का इस्तेमाल करें, साइबर वर्ल्ड में हर रोज नए-नए वायरस सामने आते रहते हैं। इनसे बचने के लिए एंटी वायरस को अपडेट रखें
- कंप्यूटर को हमेशा पासवर्ड प्रोटेक्टेड रखें, अपने कंप्यूटरर/लैटटॉप में पासवर्ड लगाना न भूले। जब आप इसका इस्तेमाल न करें तो उसे लॉकमोड पर रखें। इससे कोई दूसरा आपके कंप्यूटर को इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। खासकर सार्वजनिक जगह पर
- एचटीटीपीएस का ध्यान रखें, किसी भी वेबसाइड को ओपन करते समय उसमें एचटीटीपीएस लिखा है कि नहीं, ये जरूर देखें ये उस वेबसाइड के सिक्योर होने का प्रमाण होता है
- सार्वजनिक जगह पर वाईफाई इस्तेमाल करने से बचें, अमूमन इनका डाटा एन्क्रिप्टेड नहीं किया जाता। ये हैकर्स का फेवरेट स्पॉट होते हैं।
- किसी भी व्यक्ति से ओटीपी शेयर न करें। पेमेंट रिसीव करते वक्त यूपीआई पिन न डालें, हमेशा पेमेंट करते वक्त ही यूपीआई पिन डाना जाता है।
- सोशल मीडिया savvy
सेवी बनें, सोशल मीडिया पर अपनी प्राइवेसी को प्राइवेट रखें। अपने बारे में जरूरत से ज्यादा से ज्यादा चीजें शेयर करने से बचें, ध्यान रखें आप जो भी शेयर करते हैं। वो हमेशा के लिए इंटरनेट पर मौजूद रहता है
- अपने मोबाइल को सिक्योर रखें, अपने मोबाइल को हमेशा अपडेटेड रखें और किसी भी एप को विश्वसनीय सोर्स से ही डाउनलोड करें
- ऑनलाइन शॉपिंग करते समय भी सावधान रहें, किसी भी कम दाम वाले पॉप-अप या फिर लिंक पर क्लिक करने से बचें। आपकी एक गलती आपको मुसीबत में डाल सकती
- अपने खातों पर नजर रखें, अपने सभी क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन और खातों पर होने वाले लेन-देन पर कड़ी नजर रखें, कोई भी गड़बड़ी दिखने पर तुरंत बैंक से संपर्क करें
- जितनी जरूरी हो उतनी ही जानकारी दें, किसी भी साइट पर जरूरत से अधिक जानकारी देने से बचें, जैसे आपका अकाउंट नंबर, पर्सनल इनफॉर्मेशन आदि। संभव हो तो उस वेबसाइट को इग्नोर कर दूसरी का इस्तेमाल करें
जहां तकनीक ने हमारा जीवन सुविधा संपन्न बनाया है, वहीं दूसरी ओर सोशल साइट्स के माध्यम से हमारी निजी सूचनाओं को भी सार्वजनिक किया है। बड़ी आबादी अपने रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति के लिए ऑनलाइन साइट्स पर निर्भर है। जब ऑनलाइन लेन-देन करते समय हम सतर्क और सावधान रहें। बैंक निर्देशों का पालन करते हुए भी अपनी निजी जानकारियां साझा नहीं करनी चाहिए।
राजीव तिवारी, साइबर थाना प्रभारी, आईजी कार्यालय
अपने बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम या फोन बैंकिंग पिन, कार्ड का सीवीवी नंबर, समाप्ति तिथि किसी से शेयर न करें। इसके साथ ही आसान पासवर्ड एवं पासवर्ड रिकवरी सेटिंग में ऐसे प्रश्नों को शामिल न करें, जिसका आसानी से जवाब दिया सकता है। यदि किसी के साथ साइबर अपराध हो जाए, तो उसे तत्काल हेल्पलाइन नंबर एवं साइबर अपराध सेल में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
जय सिंह, साइबर सेल एक्सपर्ट कांस्टेबल
एक्सपर्ट द्वारा दी गई जानकारियों से कई सवालों के जवाब मिल गए। कोरोना काल जब से शुरु हुआ है। तब से ज्यादातर लोगों ऑनलाइन मोड का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में कई बार लोगों से चूक भी होना स्वाभाविक है। जल्दी बाजी में एक बार मेरे फ्रेंड ने पेमेंट रिसीव करते वक्त यूपीआई पिन डाल दिया था। उसके खाते से कुछ कट गया था। काफी दिनों तक परेशान था।
गौतम सिंह, पब्लिक
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा आयोजित वेबिनार से काफी कुछ जानकारी हासिल हुई है। जिसे परिवार के सदस्य के साथ साझा करूंगा। एक कंफ्यूजन हमेशा रहता था। ठगी पर कहां जाकर शिकायत करें। लेकिन उसका भी जवाब मिल गया। सबसे पहले क्या करना चाहिये। उसकी भी जानकारी मिली।
वर्जन, अंकित जायसवाल, पब्लिक
मल्टीमीडिया फोन पर अक्सर डाटा लीक होने का डर रहता है। इस वेबिनार को आयोजित करने के लिए दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की पूरी टीम को साधुवाद व धन्यवाद करता हूं, साइबर अपराध होने के चलते कई बार नेट बैंकिंग का इस्तेमाल तक करने से बचता था। मगर इस वेबिनार को ज्वाइंन करने के बाद कांन्फिडेंट आ गया है। सतर्कता के साथ इस्तेमाल करने पर ठगी का शिकार नहीं हो सकते हैं।
वर्जन, निशांत रस्तोगी, पब्लिक
सिर्फ जागरूकता ही बचाव है। किसी भी जालसाज का फोन या ऑफर आता है तो उसके बारे कई लोगों से चर्चा करें। हमेशा आदमी इनाम व सस्ते सामानों के चक्कर में फंस जाते हैं। इस कोरोना काल में कई लोग ठगी का शिकार हुये हैं। मेरे जानने वाले में एक व्यक्ति इंजेक्शन ऑनलाइन खरीदने के चक्कर में पैसा गवा दिया था। एक्सपर्ट द्वारा हर एक जानकारी महत्वपूर्ण रही।
कुंवर गौरव सिंह, पब्लिक
हर एक एप पर कैसे भरोसा करें। एक्सपर्ट ने बताया कि एप का रेटिंग देखकर भी पकड़ा जा सकता है। किसी भी फर्जी एप का
रेटिंग काफी कम होगा। सावधानी बरतने के साथ ही कोई भी नया एप डाउनलोड करें। वेबिनार में एक्सपर्ट द्वारा बताए गए टिप्स से काफी हद तक साइबर क्राइम से बचा जा सकता है।
आशीष गुप्ता, पब्लिक