प्रयागराज ब्यूरो सोशल साइट्स पर कोई भी ऑफर स्वीकार न करें। ऑफर कोई भी हो, पहले जांचे, परखें फिर इसके बाद ही स्वीकार करें। ये अवेयरनेस टीनएजर्स के लिए है। क्योंकि फ्रेंड बनकर फेक फ्रेेंडशिप करने वाले टीनएजर्स के साथ कब धोखा कर जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता है। ये धोखा किसी भी तरह का हो सकता है। ऐसे में सावधानी टीनएजर्स को ही बरतनी पड़ेगी। वरना फिर पछताने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा। महर्षि विद्या मंदिर में स्टूडेंट के बीच जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम साइबर एक्सपर्ट को लेकर पहुंची तो स्टूडेंट ने सवालों की बौछार कर दी। स्टूडेंट की क्यूरियासिटी देख लगा कि वाकई में वे साइबर वल्र्ड से अवेयर होना चाहते हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के फेक फ्रेंड अभियान को स्टूडेंट ने थैंक्यू बोला।


वापस लौट पाना होता है मुश्किल

आज का दौर पापुलरटी का है। हर कोई पापुलर होना चाहता है। खासतौर से टीनएजर्स। टीनएजर्स को लगता है कि मोबाइल पर दिखने वाले पापुलर लोगों की कॉपी की जाए तो इसमें फर्क क्या है, मगर पापुलर बनने और पैसे कमाने की चाहत नुकसान दायक हो सकती है। पापुलर बनने की चाहत में टीनएजर्स फेक फ्रेंड के शिकार हो सकते हैं। सोशल साइट्स पर घूमने वाले फेक फ्रेंड्स टीन एजर्स को गलत रास्ते पर ले जा सकते हैं। ऐसा रास्ता जहां से वापस लौट पाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में पापुलर बनिए, पैसे भी कमाइए, मगर सावधानी से। वरना सावधानी हटी दुघर्टना घटी की बात सही हो जाएगी।
सोशल नेटवर्क पर एक्टिव हैं फ्रेक फ्रेंड

शुरू हो जाता है ब्लैकमेलिंग का खेल
सोशल साइट्स पर फेक फ्रेंड एक्टिव हैं। ये फ्रेक फ्रेंड मासूम टीनएजर्स की तलाश में रहते हैं। मसलन, किसी टीनएजर ने अपनी कोई रील अपलोड की। रील पर कमेंट आने लगते हैं। कमेंट करने वाले इस तरह से जुडऩे की कोशिश करते हैं कि लगेगा कि वे आपके फालोवर बन रहे हैं। मगर ऐसा होता नहीं है। ये फेक फ्रेंड आपके फालोवर बन जाते हैं। इसके बाद आपसे मैसेंजर या व्हाट्स एप पर दोस्त बनकर बात करने लगते हैं। बात करने में माहिर फेक फ्रेंड अपनी बातों ने टीनएजर्स को इस तरह से उलझा लेते हैं कि उनकी हर बात टीनएजर्स को सही लगने लगती है। इसके बाद शुरू होता है ब्लैकमेलिंग का खेल। फेक फ्रेंड गल्र्स टीनएजर्स की फोटो या वीडियो को इस तरह से ट्रीट करते हैं कि फिर ब्लैक मेल होने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता है।

इस तरह आते हैं ऑफर
- फ्रेंचाइजी देने के लिए।
- गिफ्ट देने के लिए।
- मंदिर के लिए डोनेशन।
- हेल्थ चेक प्लान के लिए।
- नौकरी के लिए।
- लोन के लिए।


दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का फेक फ्रेंड अभियान बहुत अच्छा है। इससे स्टूडेंट को बहुत नालेज मिली। स्टूडेंट को भी चाहिए कि मोबाइल का इस्तेमाल केवल अपनी पढ़ाई की जरुरत पूरा करने के लिए करें। या फिर अवेयर होकर कोई टास्ट लें।
नीतू सिंह परिहार

मोबाइल आपका दोस्त है। मोबाइल आपकी हर मदद कर सकता है। मगर स्टूडेंट को मोबाइल पर तमाम ऐसी चीजों से बचना चाहिए, जिससे नुकसान हो सकता है। थोड़ी सी लापरवाही दिक्कत कर सकती है।
जय प्रकाश सिंह, साइबर एक्सपर्ट


मोबाइल पर कोई भी एप डाउन लोड करने पर आपकी पर्सनल डिटेल मांगी जा सकती है। ये पर्सनल डिटेल का इस्तेमाल साइबर क्रिमिनल कर सकते हैं। ऐसे में कोई भी डिटेल तभी दें जब बहुत जरुरी हो।
गणेश प्रसाद गोंड, साइबर एक्सपर्ट


फेसबुक, इंस्टाग्राम पर आने वाले कमेंट से बचकर रहना चाहिए। पहले ये कमेंट स्टूडेंट से दोस्ती के लिए किए जाते हैं। इसके बाद फ्रेंडशिप हो जाती है। ये फेक फ्रेंड बाद में ब्लैकमेलिंग करते हैं।
अतुल त्रिवेदी


गल्र्स को सोशल साइट्स पर बहुत सतर्क रहना चाहिए। फेक फ्रेंड गल्र्स को कमेंट करते हैं। उनसे दोस्ती कर लेते हैं। इसके बाद गल्र्स को ब्लैकमेल करते हैं। ऐसे में कोई भी समस्या होने पर गल्र्स को साइबर पुलिस की हेल्प लेनी चाहिए।
अमृता सिंह, उपनिरीक्षक, साइबर पुलिस

लॉटरी के नाम पर हो रहा फ्रॉड
टीनएजर्स लॉटरी के नाम पर अक्सर गुमराह हो जाते हैं। साइबर फ्रॉड करने वाले लोग व्हाट्स एप पर एपीके फाइल भेजते हैं। जिसमें लॉटरी खुलने का मैसेज रहता है। एपीके फाइल डाउन लोड करते ही मोबाइल से मैसेज जाने लगता है। इस दौरान पसर्नल डिटेल भी साइबर क्रिमिनल को मिल जाती है। इस पसर्नल डिटेल का फायदा उठाकर साइबर क्रिमिनल एकाउंट से पैसे गायब कर देते हैं।

किसी को न बताएं ओटीपी
साइबर एक्सपर्ट ने स्टूडेंट को बताया कि कभी भी किसी प्रकार की ओटीपी किसी को न बताएं। अक्सर एकाउंट बंद होने, सिम बंद होने या फिर बिजली का बिल जमा करने के लिए अननोन कॉल्स आती हैं। कॉल करने वाले नोटिफिकेशन भेजते हैं। इसके बाद ओटीपी बताने के लिए कहते हैं। ओटीपी बताते ही एकाउंट से पैसे कट जाते हैं।

बगैर जाने न करें एप डाउन लोड

प्ले स्टोर पर कई ऐसे एप हैं, जिनको डाउन लोड करने पर पसर्नल डिटेल फिल करना पड़ता है। इसी पसर्नल डिटेल का यूज कर साइबर क्रिमिनल एकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं। ऐसे में बगैर जाने प्ले स्टोर से कोई एप डाउन लोड नहीं करना चाहिए।

ऑन लाइन गेम कर रहा नुकसान
ऑन लाइन गेम भी आजकर बहुत पापुलर हो गए हैं। प्री टीन एज के बच्चे ऑन लाइन गेम खेलने के दौरान कई ऐसे डिटेल दे देते हैं। जिनका मिस यूज हो जाता है। गार्जियन को पता ही नहीं चलता है कि उनकी पसर्नल डिटेल साइबर क्रिमिनल के हाथों जा चुकी है।


साइबर क्राइम के बारे में अक्सर न्यूज से जानकारी मिलती है। हम लोग कोशिश करते हैं कि मोबाइल पर अवेयर रहें। फिर भी गलती हो जाती है।
सौम्या, स्टूडेंट


सोशल साइट्स पर अब बहुत से फेक फ्रेंड होने लगे हैं। मैं तो हमेशा अपनी प्रोफाइल लॉक करके रखती हूं। केवल अपने जानेन वालों को ही फ्रेंड बनाती हूं।
रितिका, स्टूडेंट


टीनएजर्स को केवल पढ़ाई के लिए मोबाइल यूज करना चाहिए। अदरवाइज उनके साथ चीटिंग हो सकती है। मैं तो हमेशा पढ़ाई वाले एप ही इस्तेमाल करती हूं।
प्रियंका, स्टूडेंट


सोशल साइट्स पर अब बहुत से अनफेयर मैसेज रहते हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम को थैंक्यू। टीम ने हम सबको फेक फ्रेंड को लेकर अवेयर किया।
शालू, स्टूडेंट