डायग्नोस्टिक सेंटर्स की देशव्यापी हड़ताल का दिखा व्यापक असर
एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन के लिए भटकते रहे सैकड़ों मरीज
पीसीपीएनडीटी एक्ट में सुधार की मांग को लेकर शुरू हुई हड़ताल
ALLAHABAD: लड़ाई सरकार से और गुस्सा पब्लिक पर उतार दिया। डायग्नोस्टिक सेंटर्स की अनिश्चितकालीन हड़ताल के पहले दिन ऐसा ही देखने को मिला। पीसीपीएनडीटी एक्ट में सुधार की मांग को लेकर बंदी पर गए सेंटर्स के बाहर मरीज जांच को लेकर गुहार लगाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरन उन्हें सरकारी हॉस्पिटल्स का रुख करना पड़ा, जिससे यहां का लोड भी दोगुना हो गया। परिणाम यह रहा कि कई लोग बिना जांच कराए वापस घर लौट गए।
साहब, अल्ट्रासाउंड कर दीजिए
लाउदर रोड स्थित एक बड़े डायग्नोस्टिक के सामने सुबह से ही मरीजों की लंबी लाइन लगी थी। जब वह मेन गेट पर पहुंचे तो पता चला कि आज सेंटर बंद है और कोई जांच नहीं होगी। यह सुनकर मरीजों के होश उड़ गए। वह इमरजेंसी का हवाला देकर गिड़गिड़ाने लगे लेकिन स्टाफ ने सरकारी हॉस्पिटल में जांच कराने की सलाह दी। यही हाल शहर के लगभग कई डायग्नोस्टिक सेंटर्स पर रहा, जहां पीसीपीएनडीटी एक्ट में सुधार की मांग को लेकर तालाबंदी कर दी गई। इसके अलावा शहर के तकरीबन तीस फीसदी सेंटर्स ऐसे भी थे जहां चोरी-छिपे मरीजों की जांच की गई। उन्हें बैकडोर से जांच के बाद बाहर निकाल दिया गया। इसको लेकर एसोसिएशन के सदस्यों ने नाराजगी भी जताई।
क्लर्कियल मिस्टेक की सजा डॉक्टर क्यों भुगते?
इंडियन रेडियोलॉजिकल इमेजिंग एसोसिएशन नई दिल्ली के आहवान पर गुरुवार से शहर के 206 डायग्नोस्टिक सेंटर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। एसोसिएशन के सीनियर मेंबर डॉ। दीपक गुप्ता ने बताया कि हम सेक्स डिटर्मिनेशन पर बनाए गए पीसीपीएनडीटी एक्ट में सुधार की मांग कर रहे हैं। इस एक्ट में फॉर्म एफ को फिलअप करने में होने वाली छोटी सी गलती के बदले जेल भेजने जैसा सख्त कानून बनाया गया है। उन्होंने बताया कि फॉर्म भरने का काम सेंटर का क्लर्क करता है और जांच में जानकारी गलत मिलने पर डॉक्टर को जेल जाना पड़ता है। जबकि, अल्ट्रासाउंड सेंटर्स में ऐसे कई मामले आते हैं जिसमें महिलाएं जांच के दौरान अपनी पहचान बताने से परहेज करती हैं। ऐसे में सरकार जब तक कानून में सुधार नहीं करेगी, सेंटर्स बंद रहेंगे।
यहां भी हाथ लगी निराशा
प्राइवेट सेंटर्स बंद रहने से मरीजों ने सरकारी हॉस्पिटल्स का रुख किया लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी। एसआरएन हॉस्पिटल में दोनों अल्ट्रासाउंड मशीने खराब होने से मरीजों को वापस लौटा दिया गया। बेली और काल्विन हॉस्पिटल में रोजाना की अपेक्षा गुरुवार को दोगुनी यानी सौ के आसपास अल्ट्रासाउंड किए गए। यहां से भी कई मरीजों को वापस लौटना पड़ा।
मरीजों की संख्या अचानक बढ़ जाने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यही कारण रहा कि तय समय से अधिक देर तक जांच प्रक्रिया जारी रही।
डॉ। आनंद सिंह, रेडियोलाजिस्ट, बेली हॉस्पिटल
मरीजों की प्रॉब्लम को देखते हुए शुक्रवार से एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई की जांच की जाएगी लेकिन अल्ट्रासाउंड जांच को मांगें नहीं माने जाने तक बंद रखा जाएगा।
डॉ। दीपक गुप्ता, सीनियर मेंबर, आईआरआई एसोसिएशन