प्रयागराज (ब्यूरो) ऐसी किसी भी फिल्म या चलचित्र को प्रदर्शन करने पर रोक लगाई जाएगी जिसके किसी भाग में भी कोई दृश्य, शब्दावली, संवाद, गीत, हाव -भाव, भावार्थ कुछ भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का अपमान करे। उस पर सन्देह व्यक्त करता हो, आलोचना, अनादर अथवा उपहास करता हो। उन्होंने कहा कि फिल्म धर्म, संस्कृति एवं समाज के मूल्यों और मानकों के प्रति उत्तरदायी और संवेदनशील होनी चाहिए। फिल्मों के जरिए ऐसा सन्तुलित, स्वच्छ और स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करें जो किसी धर्म या सांस्कृतिक परम्परा का उपहास या उसे विकृत रूप में प्रदर्शित करने वाला न हो।

झोंको, टोको, रोको वाली कार्यशैली

उन्होंंने कहा कि हमारी कार्यशैली झोंकना, टोकना और रोकना की होगी। झोंकने का अर्थ है कि हम पहले अपनी बात उन तक पहुंचाएंगे। यदि इससे बात नहीं बनी तो टोकेंगे और इसके बाद उन्हें रोकने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। धर्म सेंसर बोर्ड का काम केवल फिल्म, चलचित्र, धारावाहिकों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में होने वाले नाट्य मंचन अब ध्यान से और धर्म की मर्यादा को विचार कर सम्पादित करने होंगे। ऐसे कोई भी पाठ्यक्रम होंगे तो उनको हटवाए जाएंगे। जो भारतीय संस्कृति और भारतीय धर्म परम्परा को खंडित करने का कार्य करेगी उस पर कार्यवाही की जाएगी।

क्या करेगा धर्म सेंसर बोर्ड

बोर्ड में स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती समेत 10 सदस्य हैं। सनातन धर्मावलंबियों का समूह जुटाकर बनाया गया यह बोर्ड, पहले से संचालित फिल्म सेंसर बोर्ड के सहायक के रूप में कार्य करेगा। फिल्में जारी होने से पहले धर्म सेंसर बोर्ड उसका परीक्षण करेगा। वह स्वयं संरक्षक हैं और इसके अलावा सुरेश मनचंदा प्रमुख व सदस्यों में डॉ पीएन मिश्रा, स्वामी चक्रपाणि महाराज, मानसी पांडेय, तरुण राठी, कैप्टर अरविंद सिंह भदौरिया, प्रीति शुक्ला, डॉ। गार्गाी पंडित, डा। धर्मवीर को शामिल किया गया है।