प्रयागराज ब्यूरो । सावन के पहले सोमवार पर कांवडिय़ों का जत्था घाट से शिवालय तक उमड़ पड़ा। कांवडिय़ों और भक्तों की भीड़ से शिव मंदिर खचाखच भरे रहे। भक्तों और कांवडिय़ों के जयघोष से फिजा में आस्था और भक्ति की खुशबू तैरती रही। चारों तरफ बह रही आस्था की बयार के बीच सड़क पर आम यात्रियों को जाम से हर कदम पर जूझना पड़ा। सबसे तगड़ा जाम दारागंज से झूंसी शास्त्री ब्रिज पर रहा। जाम की वजह से इस ब्रिज को पार करने में यात्रियों को एक से डेढ़ घंटे लग गए। जबकि आम दिनों बमुश्किल पांच दस मिनट में यात्री ब्रिज पार कर लेते थे। दरअसल सावन में कांवडिय़ों व भक्तों के लिए वन-वे कर दिया गया है। एक तरफ से बाबा भोले नाथ के दीवाने तो लेन से आम यात्रियों को आवागमन की व्यवस्था दी गई है। जाम की यह स्थिति सिर्फ शास्त्री ब्रिज पर नहीं थी। नए यमुना ब्रिज पर जाम में फंसे लोगों को परेशान हालत में देखा गया। इसका असर शहरी एरिया में भी दिखाई दिया। स्कूलों व हाईकोर्ट एवं कहचरी खुलने एवं बंद होने के वक्त शहर में भी जगह-जगह चौराहों पर जाम जैसे हालात दिखाई दिए।
हर तरफ गूंजा भोले बाबा का जयघोष
भगवान भोले बाबा का प्रिय माह सावन के पहले सोमवार पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। रेवती नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बनने के कारण बाबा के भक्तों की भीड़ अपेक्षा से कहीं ज्यादा रही। दशाश्वमेध, फाफामऊ, रसूलाबाद गंगा घाट एवं संगम स्नान के लिए कावडिय़ों का जत्था भोर से ही पहुंचने लगा। सुबह होते-होते घाट से लेकर शिवालय तक शिव भक्तों की भीड़ से खचाखच भर गए। यहां स्नान ध्यान के बाद कावडि़ए जल लेकर जगह-जगह मान्यता व कामना के अनुरूप शिवालय पहुंचकर जलाभिषेक किए। कांवडिय़ों के जयघोष से पूरा इलाका गुंजायमान रहा। कावडिय़े 'हर-हर बम-बम, हर हर महादेवÓ की अलख लगाते रहे। शिवालयों में पहले सोमवार पर बाबा भोलेनाथ का पुजारियों के जरिए भव्य श्रृंगार किया गया। मनकामेश्वर महादेव, व ऋणमुक्तेश्वर महादेव का श्रृंगार भक्तों मंत्रमुग्ध करता रहा। मंदिर के महंत स्वामी श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने आरती उतारकर जनकल्याण की कामना किए। अरैल सोमेश्वर महादेवन मंदिर, भगवान शिव का ऐतिहासिक स्थल पडि़ला महादेव मंदिर, नई झूंसी गंगा तट पर स्थित गंगोली शिवाला मंदिर में भी भक्तों की जबरदस्त भीड़ रही।
मंदिरों से घर और घाट तक रुद्राभिषेक
सावन के पहले सोमवार पर जगह-जगह भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चन किए। अपनी-अपनी मान्यता के अनुरूप भक्त कोई घाट तो कुछ शिव मंदिर और ज्यादातर भक्तों द्वारा घरों पर रुद्राभिषेक कराया गया। सावन के पहले सोमवार पर रुद्राभिषेक करके भक्तों ने मनवांछित फल प्रदान करने की कामना भगवान शिव से किए। कर्मकांडी पं। विमलेश्वरा नन्द महाराज ने कहा कि सावन में यूं तो हर दिन भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम माना गया है। मगर, सावन के सोमवार पर रुद्राभिषेक कराने से भगवान शिव की कृपा जातक पर शीघ्र होती है और प्रभू उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।