- सिद्धपीठ मां कल्याणी देवी मंदिर में तीन दिवसीय मेला शुरू

- महिलाएं आज रखेंगी शीतला अष्टमी का व्रत, बासी पकवान का लगाएंगी भोग

प्रयागराज

मास कृष्णपक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी के रूप में मनाए जाने की परम्परा है। इस दिन व्रत और पूजन करके मां के शीतला स्वरूप की आराधना करती है। इस बार ये तिथि सोमवार को पड़ रही है। ऐसे में महिलाएं इस दिन मां के शीतला स्वरूप का पूजन करके घर की समृद्धि की कामना करती है। मान्यता के अनुसार अष्टमी तिथि पर घरों में अग्नि न जलाने की परंपरा है। ऐसे में मां शीतला को बासी पकवान चढ़ाकर उसी को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शीतला परिवार को रोग-शोक से मुक्त करती हैं।

तीन दिवसीय मेला शुरू

चैत्र शीतला अष्टमी पर सिद्धपीठ मां कल्याणी देवी के दरबार में तीन दिवसीय मेला की शुरुआत रविवार से हो गई। इस मौके पर दूर-दूर से आए भक्तों ने मां कल्याणी देवी के दरबार में मत्था टेक कर विधि विधान के साथ पूजन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग गाजे-बाजे के साथ निशान चढ़ाने पहुंचे। आचार्य श्याम जी पाठक ने मंत्रोच्चार के बीच मां का रत्‍‌न से जडि़त स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार किया गया। उन्होंने बताया कि मां कल्याणी देवी के दरबार में शीतला अष्टमी पर मेला करीब दो सौ साल से लग रहा है। बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए भक्तों से मास्क लगाकर आने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि शीतला अष्टमी पर ठंडा भोजन करने की परंपरा है। शीतला अष्टमी के अवसर पर महिलाओं ने रविवार को ही पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, गुलगुले जैसे पकवान बनाया।