प्रयागराज (ब्‍यूरो)। रेलवे के टिकट बुकिंग के नियमों में बदलाव से ज्यादातर रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे लोगों को दिक्कत आ रही है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सबसे ज्यादा तकलीफ का रोना रोजगार के तलाश में एक शहर से दूसरे शहर जा रहे लोग रोते दिखे। काम की तलाश में दूसरे अनजान शहर जा रहे यात्रियों का कहना है कि टिकट बुक करने से पहले परिचित के व्यक्ति का नंबर जुगाड़ करना पड़ता है। यहां तक कि उनका पता और पिन कोड नंबर तक करना पड़ रहा है। जिसके पास डिटेल देने के लिए जानकारी है, उसे तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जो सिर्फ काम की तलाश में मेट्रो सिटी या फिर दूसरे शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं, उनके सामने समस्या आ गयी है कि वह मोबाइल नंबर और एड्रेस कहां से जुगाड़ करें।

फिजिकल में भी मांग रहे हैं डिटेल
यह नियम नया नहीं है। साल भर पुराना है। कोरोना के कारण पिछले साल 22 मार्च, 2020 को रेलवे ने अचानक ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया था। बाद में देश के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे प्रवासियों मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए स्पेशन ट्रेनें चली। इसी दौरान रेलवे ने आरक्षित टिकटों के लिए यात्री का पूरा पता व पिन कोड अनिवार्य कर दिया। जब कोरोना नियंत्रित हुआ और ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ तो पूरा पता और पिन कोड का नियम सभी के लिए अनिवार्य कर दिया गया। यात्रियों की परेशानी को देखते हुए रेलवे ने रिजर्वेशन काउंटर से टिकट के लिए पिन कोड व पता बताने के नियम में थोड़ी ढील दी। मोबाइल एप और ई-टिकट के लिए यह नियम अनिवार्य हो गया। हाल में इसमें कुछ चीजें चेंज की गई। रिजर्वेशन काउंटर से भी टिकट बुक करने के लिए पूरा पता और पिन कोड अनिवार्य कर दिया गया। यह ही नहीं सफर करने वाले के साथ व जिस गंतव्य पर जा व रुकना है। वहां का भी डिटेल्स ले ली रही है। वहां का मोबाइल नंबर मांगा जा रहा है।

टिकट बुक करने के दौरान लगा बस अपना ही डिटेल देना होगा। टिकट बुकिंग के दौरान पता चला कि जहां जा रहे हैं, वहां का भी पता व मोबाइल नंबर चाहिए। काम की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर जा रहे हैं। जहां कभी काम किया करते थे। मजबूरन टिकट बुक के दौरान वहां का पता एक साथी का नंबर देना पड़ा।
पंकज कुमार, यात्री

एक सिस्टम अच्छा है। मगर जिनको कोई दूसरे शहर में नहीं जानता है। उनको डिटेल्स देना थोड़ा दिक्कत है। एक साथी ने नौकरी दिलाने के लिए दिल्ली बुलाया है। टिकट बुक करने के दौरान दिक्कत आने पर उससे डिटेल्स व मोबाइल नंबर लेना पड़ा।
राहुल, यात्री

त्योहार का सीजन है। रिश्तेदार के घर जा रहा हूं, उनके यहां का पता व एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर पूछकर कर लिखना पड़ा। तब जाकर टिकट बुक हुई। यह नियम काफी हद तक सही है। एरिया का नाम व पिन कोड गलत लिखने पर टिकट नहीं बन रहा था। फिर कॉल कर सही पिन कोड पूछा।
कैलाश, यात्री

यह नियम कोविड-19 के अंतर्गत बनाया गया था। अब जिस गंतव्य पर जाना व रुकना है। वहां का डिटेल्स व मोबाइल नंबर देना होगा। सफर के दौरान अगर कोई संक्रमित व्यक्ति सफर करता है तो उसको व जिसके यहां रुका है। उनको आसानी से ट्रेस किया जा सके। नियम पुराना है। मगर कुछ चीजें चेंज की गई है।
अमित सिन्हा
आईआरसीटीसी एरिया मैनेजर लखनऊ रिजनल ऑफिस लखनऊ

क्यों लिया गया है फैसला
कोरोना काल में बड़ी संख्या में लोग एक से दूसरे डेस्टिनेशन के लिए मूव किये
वह जिस एरिया से निकल रहे थे वहां कोरोना संक्रमित मिल रहे थे लेकिन पैसेंजर के डेस्टिनेशन का पता न होने से उन्हें ट्रैक नहीं किया जा पा रहा था
इसका इंपैक्ट यह हुआ कि वह खुद भी संक्रमित हुए और अपने सम्पर्क में आने वालों में भी संक्रमण फैलाया
इसके चलते सरकार सब पर रोक नहीं लगा सकी और पेशेंट बढ़ते चले गये
नये नियम से यह ट्रैक किया जा सकेगा कि कौन कहां है। उसके यहां कोई संक्रामक बीमारी फैली है तो उसे ट्रैक करके टेस्ट कराया जा सकेगा
उसके सम्पर्क में आने वालों को ट्रैक किया जा सकेगा ताकि कम से कम बीमारी का विस्तार होने पाए

बिना रिजर्वेशन जनरल में सफर नहीं
रेलवे ने कोरोना काल में लागू की गयी जनरल कोच में रिजर्वेशन के बाद ही सफर करने की व्यवस्था में अभी कोई चेंज नहीं किया गया है। एक्सेप्शन के तौर पर कुछ ट्रेनो में छूट जरूर दी गयी है। उदाहरण के तौर पर प्रयागराज जंक्शन से एक ट्रेन में सिर्फ जनरल टिकट लेकर यात्रा करने की अनुमति है। प्रयागराज संगम स्टेशन से निकलने वाली सिर्फ तीन ट्रेनों में यह सुविधा पैसेंजर्स को दी जा रही है। बाकि ट्रेनों में रिजर्वेशन वाली ही प्रक्रिया को फालो किया जा रहा है। निर्धारित सीट पर ही बैठकर यात्री सफर कर सकता है। रिजर्वेशन के दौरान उसे भी पूरी प्रक्रिया फॉलो करनी होगी।