प्रयागराज ब्यूरो, डेंगू के सीजन में प्लेटलेट प्राप्त करना आसान नही है। इसके लिए ब्लड बैंकों के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। कभी कभी 10 से 12 घंटे तक वेट करना पड़ रहा है। नैनी के रहने वाले प्रेमचंद, बेली गांव निवासी फातिमा, सिविल लाइंस के बहादुर और लूकरगंज के लालचंद को प्लेटलेट के लिए नेताओं और अधिकारियों की सिफारिश तक करवानी पड़ी। जानकारी के मुताबिक एसआरएन अस्पताल में रोजाना औसतन 60, बेली अस्पताल में 80 और एएमए ब्लड बैंक में 250 यूनिट की खपत हो रही है। फिर मांगने वालों की लाइन छोटी नही हो रही है।

बिना डोनर मिलना है मुश्किल

कोरोना के बाद से ब्लड बैंक रक्तदान की क्राइसिस से गुजर रहे हैं। स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की संख्या भी घट गई है। ऐसे में डेंगू सीजन में प्लेटलेट की कमी को पूरा करने के लिए ब्लड बैंकों ने डोनर को अनिवार्य कर दियाहै। एएमए की ओर से एक डोनर के बदले केवल दो यूनिट प्लेटलेट दी जारही है। यही हाल अन्य अस्पतालों का भी है। ब्लड बैंक के स्टाफ का कहना है कि प्लेटलेट बनाने के लिए ब्लड का होना बेहद जरूरी है।

कीवी हो गई महंगी, पपीते के पत्ती की तलाश जारी

इतना ही नही, प्लेटलेट बढ़ाने के घरेलू नुस्खों की भी डिमांड बढ़ी है। मोहल्लों में पपीते की पत्ती के लिए पड़ोसियों के घर के चक्कर काट रहे हैं। कीवी फल भी महंगा हो गया है। सौ रुपए के पांच मिलने वाला फल अब तीन की संख्या में बेचा जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो पचास रुपए का एक जल्द हो जाएगा। बकरी का दूध सबसे ज्यादा डिमांड में है। जिनके पास बकरी है वह तीन से चार सौ रुपए एक लीटर का वसूल रहे है। लोगों का मानना है कि इन नुस्खों से प्लेटलेट की संख्या अपने आप बढ़ जाती है। इसके अलावा गिलोय, तुलसी की पत्ती, चुकंदर गाजर, नारियल पानी, अनार, व्हीट ग्रास और आंवला का सेवन भी लोग कर रहे हैं।

प्लेटलेट्स के लिए करिए संपर्क

स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों की सुविधा के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके तहत 20 हजार से अधिक प्लेटलेट होने पर इसे नही चढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ डॉ। नानक सरन ने कहा कि इससे कम प्लेटलेट होने या ब्लीडिंग होने पर भी प्लेटलेट चढ़ाई जाएगी। प्लेटलेट की जरूरत पडऩे पर डेंगू कंट्रोल रूम या पास के ब्लड बैंक में संपर्क किया जा सकता है।