प्रयागराज ब्यूरो । डेंगू फैलाने वाला एक मच्छर कितना ताकतवर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर साल इस जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए कई विभागों को संयुक्त रूप से लगाया जाता है। फिर भी सीजन शुरू होते ही सारे इंतजाम धराशायी हो जाते हैं और डेंगू का तेजी से प्रसार होने लगता है। हजारों मरीज हर साल सामने आते हैं। इस साल भी जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की अगुवाई में संचारी रोग अभियान की शुरुआत की है। जिसमें कई विभागों को संयुक्त रूप से डेंगू की रोकथाम के लिए लगाया है।
इन विभागों को सौंपी गई है जिम्मेदारी
संचारी रोग नियंत्रण अभियान में संक्रामक बीमारियों की रोकथाम की जाती है। हर साल यह अभियान चलाया जाता है। इस बार भी एक दर्जन विभागों को लगाया गया है। इनमें स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज, ग्राम विकास विभाग, नगर निगम, प्राथमिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, सिचाई विभाग, दिव्यांगजन कल्याण विभाग, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, सूचना विभाग, उद्यान विभाग शामिल हैं।
फिर भी मरीजों पर नहीं लगता ब्रेक
इतने अधिक विभाग के कार्ययोजना में शामिल होने के बावजूद डेंगू के मरीजों की संख्या में ब्रेक नहीं लग रहा है। हर सैकड़ों नए मरीज सामने आते हैं और इनमें कुछ की डेथ भी हो जाती है। एक और हकीकत है। असल में डेंगू के मरीज सरकारी आंकड़ों से कही अधिक होते हैं। लेकिन, अधिकृत जांच नही होने की वजह से इन मरीजों को नही गिना जाता है।
वर्ष मरीजों की संख्या
2018 830
2019 1121
2020 57
2021 1299
2022 1465
2023 505
किस विभाग की लगती हैं कितनी टीमें
विभाग टीमों की संख्या
स्वास्थ्य विभाग 644
पंचायती राज 1540
नगर निगम 40
आईसीडीएस 1790
माध्यमिक शिक्षा 1065
प्राथमिक शिक्षा 2238
कृषि रक्षा 23
पशु चिकित्सा अधिकारी 50
दिव्यांगजन अधिकारी 20

सबको मिलती है अलग जिम्मेदारी
- ग्रामीण एरिया में साफ सफाई, नालियों की सफाई, झाडिय़ों की कटाई
- एंटी लार्वा छिड़काव, हैंडपंप और उसके प्लेटफार्म क मरम्मत, शौचालय का निर्माण
- फांिगंग कार्य
- संचारी रोग से बचाव के लिए जागरुकता रैली
- वाद विवाद प्रतियोगिता और निबंध प्रतियोगिता
- सुअर पालकों का संवेदीकरण एवं प्रचार प्रसार
- मच्छर से बचाव वाले पौधों का रोपण

घर- घर जाकर चेक करती हैं लार्वा
संचारी रोग के तहत हर साल मलेरिया विभाग 50 से 60 डीबीसी की तैनाती करता है। जिनका काम घर घर जाकर लार्वा की मौजूदगी का पता लगाता है। जिन घरों में डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा मिल जाते हैं वहां पर लोगों को जागरुक किया जाता है। डीबीसी को डोमेस्टिक ब्रीडर चेकर कहते हैं। पिछले साल के आंकड़ों पर जाएं तो कुल पाए गए लार्वा वाले स्पॉट में 70 फीसदी कूलर में मिले थे। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हमारी टीमें लोगों को सप्ताह में एक बार कूलर का पानी बदलने और टंकी की सफाई करने की हिदायत जरूर देती है। यह डीबीसी उन इलाकों में जाते हैं जहां पर सबसे ज्यादा डेंगू के केसेज सामने आते हैं।

इन कारणों से होता है डेंगू
- डेंगू होने का कारण चार प्रकार के डेंगू वायरस होते हैं। इनमें से चार डेंगू वायरस सेरोटाइप्स (ष्ठश्वहृ-1, ष्ठश्वहृ-2, ष्ठश्वहृ-3, ड्डठ्ठस्र ष्ठश्वहृ- 4) में से कोई भी बीमारी का कारण हो सकता है।
- मनुष्यों में यह संक्रमण संक्रमित एडीज़ मच्छर के काटने से होता है। जिसे विशेषतौर पर एडीज़ इजिप्टाई कहा जाता है।
- ये मच्छर ठहरे हुए पानी के स्रोतों में फलते-फूलते हैं जैसे फूलदान, फेंके गए टायर्स या बर्तन जिनमें बारिश का पानी इक_ा हो जाता है।

लक्षण
- तेज़ बुखार
-सिर में तेज़ दर्द होना। विशेष तौर पर आंखों के पीछे
-मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होना
-थकान व कमज़ोरी आना
-उबकाई व उल्टी आना
- त्वचा पर चकते उभरना, आमतौर पर बुखार आने के 2-5 दिन के बाद
- हल्का खून बहना (जैसे नाक या मसूड़ों से खून निकलना)
- इसके अलावा सिरदर्द, थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया, रेट्रो-ऑर्बिटल दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों का दर्द प्रमुख है। त्वचा या अन्य अंगों से अचानक खून निकलना, काले रंग का मल, नाक से खून निकलना, मसूड़ों से खून आना और पेट में दर्द, गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन, बेहोशी की स्थिति, ऐसे चिंताजनक लक्षण भी सामने आते हैं।

उपचार
- आराम करें और ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशंस का सेवन कर खुद को हाइड्रेटेड रखें।
- बुखार व दर्द कम करने के लिए एसीटामिनोफेन/पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं लें।
- ऐसी दवाएं लेने से बचें जो ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ा सकती हैं।

- गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है जिससे रोगी की हालत पर अच्छी तरह नजऱ रखी जा सके। इसमें इंट्रावेनस फ्लुइड्स स सपोर्टिव केयर दी जा सके।
- सटीक जांच, उचित इलाज और आपकी स्थिति को लेकर इलाज के मार्गदर्शन के लिए डॉक्टर से अवश्य मिलें।
निदान
- घर के आसपास कहीं पानी को एकत्र नही होने देना है।
- घर के भीतर कूलर का पानी हर सप्ताह चेंज करते रहना है।
- रात में सोते समय मच्छरदानी का यूज करना है और फुल आस्तनी के कपड़े पहनने हैं।
- खुली त्वचा पर नारियल का तेल लगा सकते हैं।
- फटे टायर, टूटे बर्तन, गमला आदि में बारिश का पानी एकत्र नही होना चाहिए।


आने वाले सीजन में डेंगू तेजी से फैलता है। इसलिए अभी से तमाम विभागों को मिलाकर इस बीमारी के रोकथाम की रूपरेखा बनाई जा रही है। सभी विभागों को अलग अलग काम सौंप दिया गया है।
आनंद सिंह, जिला मलेरिया विभाग प्रयागराज

डेंगू को रोकने के लिए जागरुकता बेहद जरूरी है। हर आदमी को इस बीमारी के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यह कैसे फैलता है ये पता होना चाहिए। यही कारण है कि अभी से लोगों को जागरुक किया जा रहा है।
डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन

प्रयागराज में हर साल बारिश के सीजन में बाढ़ आती है। इसलिए यहां डेंगू के मरीजों के बढऩे का डर अधिक होता है। इसलिए अभियान चलाकर नदी के किनारे बसे एरिया में जागरुकता अभियान और रोकथाम के तरीके अपनाने चाहिए।
डॉ.् संतोष सिंह, प्रवक्ता, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

डेंगू की रोकथाम करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। हर साल लंबा अभियान चलाने के बावजूद आउटपुट बहुत अच्छा नही आता है। इसलिए अभी से जागरुक होना चाहिए। सोते समय मच्छरदानी का यूज करें और घर पर काफी भी पानी एकत्र नही होने देना चाहिए।
डॉ। सूर्यभान कुशवाहा, फिजीशियन