प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बेनीगंज के रहने वाले सुभाष की पत्नी प्रेमलता को तेज बुखार आ रहा था। अचानक उसे घबराहट होने लगी तो नजदीक के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। डॉक्टर ने डेंगू के नाम पर पांच दिन मरीज को भर्ती रखा और 45 हजार रुपए का बिल बना दिया। लेकिन मरीज का एलाइजा टेस्ट नही कराया गया।

मरीज ने खुद जिद कर चढ़वाया
जार्जटाउन एरिया की निवासी अर्चना को एक सप्ताह पहले अचानक बुखार आया और शरीर में तेज दर्द होने लगा। उन्होंने इसी एरिया के एक अस्पताल में टेस्ट कराया तो डेंगू बताकर भर्ती कर लिया गया। प्लेटलेट काउंट 60 हजार होने के बावजूद मरीज और परिजन की जिद पर अलग से इसे चढ़ाया गया। 60 हजार रुपए का बिल बनाने के बाद मरीज को डिस्चार्ज किया गया।

कुछ डॉक्टर भी उठा रहे फायदा
पेशे से अध्यापक सुरेंद्र सिंह के बेटे देवेंद्र को सिविल लाइंस के एक निजी अस्पताल में आठ दिन पहले भर्ती कराया गया था। डॉक्टर ने कहा कि उसे डेंगू है। शुरुआती दो दिन में इलाज के खर्च में 25 हजार रुपए का बिल बना। इससे घबराकर सुरेंद्र ने बेटे को डिस्चार्ज कराकर घर ले आए और नजदीक की एक क्लीनिक के डॉक्टर को दिखाकर इलाज शुरू करा दिया। अब उनका बेटा स्वस्थ है।

नहीं है भर्ती होने की जरूरत
जानकारों का कहना है कि डेंगू के सभी मरीजों को भर्ती होने की जरूरत नही है। गाइड लाइन के मुताबिक जिन मरीजों का प्लेटलेट्स काउंट बीस हजार के नीचे है उन्ही को अस्पताल में भर्ती होना है। अन्यथा घर पर ही इलाज संभव है। बॉडी हील होने के बाद तेजी से प्लेटलेट बनाने लगती है। बता दें कि डेंगू का कोई स्पेसिफिक इलाज भी नही है। इसका लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। बुखार और दर्द के लिए प्लेन पैरासिटामाल, कमजोरी और ताकत के लिए विटामिन सी और ओआरएस घोल दिया जाता है। एंटी बायटिक नही दी जाती है। भोजन के रूप में लिक्विड खाद्य पदार्थों को दिया जाता है।

घबराहट में पहुंच रहे अस्पताल
डॉक्टर्स का कहना है कि अस्पताल भी मजबूर हैं। कई बार मरीज भी खुद को एडमिट करने की जिद करने लगते हैं। जबकि इसकी आवश्यकता नही है। डेंगू भी एक तरह का बुखार है और इसे ठीक होने में थोड़ा समय लगता है। इसमें मरीज को घबराहट होने लगती है और वह अस्पताल की ओर भागने लगता है। जबकि दवा से ज्यादा एहतियात और घरेलू उपायों से डेंगू को ठीक किया जा सकता है।

इसे भी जानें
किसी को भी लाइफ में चार बार डेंगू हो सकता है। जिस तरह का डेंगू एक बार हो जाता है उसी तरह का डेंगू उस शरीर में दुबारा नहीं होता क्योंकि उसके एंटिबॉडी बन जाते हैं।
डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर दिन में जागता है और रात में सोता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह रात में बिलकुल नहीं काटता।
एडीज मच्छर हवा में ज्यादा से ज्यादा 2 से 3 मीटर तक ही उड़ सकता है। इसका मतलब यह नहीं कि अगर कोई 10वीं फ्लोर पर रहता है तो उसे यह नहीं काट सकता।
एडीज एजिप्टी अमूमन 50 मीटर के क्षेत्रफल में उड़ता है। घर के 50 मीटर के आसपास पानी जमा न होने दें। मलेरिया का मच्छर 5 किमी दूर तक जा सकता है।
सिर्फ पूरी बाजू की शर्ट या कमीज पहनने से काम नहीं चलेगा। चूंकि यह ज्यादा उड़ नहीं सकता, इसलिए यह टखनों, पैरों और कोहनियों पर ही ज्यादा काटता है।

इन उपायों से बढ़ती है प्लेटलेट्स और इम्युनिटी
गिलोय और अमरूद का जूस, पपीते के पत्तों का रस, सूप, दाल का पानी, बकरी का दूध, कीवी और तुलसी की पत्ती।

देखने में आ रहा है कि डेंगू के लक्षण प्रकट होते ही मरीज घबरा जा रहा है। उचित दिशा में इलाज और जांच नही होने से उसे ऐसी हालत में भर्ती कराना पड़ता है। क्योंकि अधिक घबराहट होने की वजह से उसकी हालत खराब हो सकती है।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक
90 फीसदी मरीज घर पर ठीक हो रहे हैं। क्योंकि डेंगू का कोई स्पेसिफिक इलाज नही है। लक्षणों के आधार पर इसका ट्रीटमेंट किया जाता है। जो घर पर आसानी से संभव है। बीस हजार से कम प्लेटलेट्स होने पर अस्पताल में भर्ती कराकर प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने का नियम है।
डॉ। संजय बरनवाल, जिला संक्रामक रोग सेल प्रभारी स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज