प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर के तमाम सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंकों में इस समय उत्पादन से दो गुनी प्लेटलेट डिमांड है। सितंबर के लास्ट में जब डेंगू के कम मरीज आ रहे थे तब बिना डोनर के प्लेटलेट दी जा रही थी। अक्टूबर के पहले सप्ताह में एक डोनर के बदले छह यूनिट प्लेटलेट मिल रही थी लेकिन वर्तमान में छह की जगह तीन यूनिट ही दी जा रही है।
छह यूनिट से कम में नही बनता काम
आमतौर पर डेंगू के रोगी को प्लेटलेट की कमी होने लगती है। अधिक कमी होने पर उसकी शरीर से ब्लीडिंग होने लगती है। इससे बचने के लिए मरीज को प्लेटलेट की डोज चढ़ाई जाती है। ऐसे में छह यूनिट प्लेटलेट चढ़ाने पर बॉडी में 40 से 50 हजार प्लेटलेट बढ़ जाती है। इससे मरीज स्वस्थ होने लगता है और ब्लीडिंग रुक जाती है। इस समय सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती डेंगू मरीजों के इलाज में प्लेटलेट की जबरदस्त उिमांड की जा रही है।
ये हैं ब्लड बैंकों का हाल
एएमए ब्लड बैंक में रोजाना 150 यूनिट प्लेटलेट तैयार हो रही है और डिमांड इससे कहीं ज्यादा है। इसलिए रोगियों को तीन यूनिट से अधिक नही दी जा रही है। डोनर लाने की भी अनिवार्यता कर दी गई है। बेली अस्पताल के ब्लड बैंक से प्रतिदिन औसतन 20 से 30 यूनिट सप्लाई हो रही है वह भी सरकारी अस्पतालों में। क्योंकि प्राइवेट नर्सिंग होम केवल एएमए या इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन के ब्लड बैंक को ही प्रिफर करते हैं। इसी तरह एसआरएन अस्पताल में गुरुवार को 14 मरीजों को 45 यूनिट प्लेटलेट उपलब्ध कराई गई है।
एसआरएन में उपलब्ध नही सुविधा
डेंगू संक्रमण के बीच एसआरएन अस्पताल में सिंगल डोनर प्लेटलेट की सुविधा उपलबध नही हो पा रही है। इस सुविधा को शुरू करने के लिए प्रति यूनिट रेट निर्धारिण के लिए प्रशासन और शासन को पत्र लिखा जा चुका है लेकिन अभी तक जवाब नही मिला है।
पहले हम एक डोनर पर छह यूनिट प्लेटलेट दे रहे थे। लेकिन अब डिमांड अधिक होने पर तीन यूनिट दे रहे हैं। कोरोन काल में लोग रक्तदान नही कर रहे हें इसकी वजह से अधिक समस्या खड़ी हो रही है।
डॉ। अनूप चौहान, प्रवक्ता, एएमए
कई ऐसे मरीज भी हमारे यहां आते है जिनको फ्री में बिना डोनर प्लेटलेट देनी पड़ती है। यही कारण है कि इस समय तीन से अधिक यूनिट देना मुश्किल हो रहा है। सिंगल डोनर प्लेटलेट के लिए शासन और प्रशासन को रेट निर्धाराण् के लिए लिखा है।
डॉ। वत्सला मिश्रा, एचओडी, पैथोलाजी विभाग एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज