प्रयागराज ब्यूरो, डीएम ने पत्रकारों को बताया कि इन दिनों डेंगू के मरीजों को प्लेटलेस की जरूरत पड़ रही है। मरीजों व तीमारदारों की नीड को धोखेबाजों ने कमाई का जरिया बना लिया। सरगना दिलीप शुक्ला एसआरएन हॉस्पिटल में संविदा पर बतौर लैब टेक्नीशियन काम कर चुका है। प्लेटलेस की डिमांड को बढ़ते देख वह पैसे का लालच देकर अन्य अभियुक्तों को गैंग से जोड़ लिया। इसके बाद सभी मिलकर प्राइवेट अस्पतालों के वार्डब्वाय व अन्य कर्मचारियों से संपर्क से संपर्क करके उनसे भी सेटिंग कर लिए। डेंगू मरीज को प्लेटलेट की जरूरत पड़ती तो वह हॉस्पिटल के कर्मचारी उनके तीमारदार से मिल लेते थे, और कहते थे कि पैसे देने पर वह प्लेटलेट दिलवा देंगे।
फर्जी लेबल से जीतते थे विश्वास
यूनिट के पाउच पर एसआरएन, बेली हॉस्पिटल, एमए ब्लड बैंक की स्लिप चस्पा होती थी लिहाजा लोग शक नहीं करते थे। इतना ही नहीं गैंग के कुछ गुर्गे ब्लड बैंकों के आसपास भी मंडराते रहते थे। ब्लड या प्लेटलेट के लिए यहां भटक रहे लोगों से संपर्क करके उनके साथ भी इनके जरिए फ्राड किया जाता था। सरगना का राइट हैंड सरफराज व सुनील पांडेय प्राइवेट लैब में काम किया करते थे। राघवेंद्र सिंह उर्फ राहुल पटेल भी बड़ा शातिर है। वह ब्लड भी लोगों को उपलब्ध कराया करता था। गैंग को गिरफ्तार करने वाली एसओजी प्रभारी राजेश उपाध्याय, नगर एसओजी प्रभारी आशीष कुमार, कोतवाली प्रभारी अमर सिंह रघुवंशी सहित पूरी टीम की डीएम व एसएसपी द्वारा सराहना की गई।

प्वाइंट टु बी नोटेड
अधिकारियों ने बताया कि गैंग ब्लड बैंकों से 350 रुपये में 350 एमएल प्लाज्मा लिया करते थे
प्लाज्मा लेने के लिए डोनर की जरूरत नहीं होती लिहाजा आसानी से मिल जाया करता था
ब्लड बैंक से लिए गए प्लाज्मा को वह प्लेटलेस के यूनिट वाले पाउच में 50-50 एमएल भर दिया करते थे
इस यूनिट यानी पाउच के ऊपर उनके जरिए सरकारी ब्लड बैंकों के नाम छपाई गई पर्ची चस्पा कर दिया जाता था
प्लाज्मा और प्लेटलेस का रंग करीब मिलता जुलता है। इस लिए प्लेटलेस के नाम पर दिया गया प्लाज्मा कोई पकड़ नहीं पाता था
प्लाज्मा हर व्यक्ति को बगैर ब्लड ग्रुप जांच किए नहीं चढ़ाया जा सकता, इसके कई कारण हैं
प्लेटलेस किसी भी ब्लड ग्रुप का हो उसे किसी भी ब्लड ग्रुप के मरीज को चढ़ाया जा सकता है
गिरफ्तार किए गए लोग हर किसी को प्लाज्मा दे दिया करते थे, जबकि ब्लड ग्रुप चेंज होने पर उसकी मौत का खतरा बढ़ जाता है

सम्मी के जूस वाली बात मनगढ़ंत
सीएमओ ने कहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल में हुई मरीज प्रदीप पांडेय की मौत के बाद प्लेटलेस की जगह मुसम्मी का जूस चढ़ाए जाने की बात सामने आई है। जबकि मुसम्मी के जूस को यूनिट पाउच में सिरिंज से नहीं भरा जा सकता। मरने वाले को भी किसी फ्राड के द्वारा दिया प्लेटलेस की जगह प्लाज्मा ही दिया गया होगा। प्लाज्मा को रखने के लिए एक निर्धारित टेम्पे्रचर का होना जरूरी है। उससे कम या ज्यादा टंप्रेचर में प्लाज्मा रखे जाने पर वह खराब हो जाता है और खराब प्लाज्मा को चढ़ाने से मरीज की मौत हो जाती है। उनका कहना है कि प्रदीप के मामले में भी यही हुआ होगा।

गिरफ्तार किए गए अभियुक्त
राघवेंद्र उर्फ राहुल पुत्र राकेश्वरी प्रसाद निवासी गाढ़ा थाना कोरांव
सुनील पांडेय पुत्र कमला शंकर पांडेय निवासी लीलापुर खुर्द थाना सरायइनायत
दिलीप पटेल पुत्र शिव बरन सिंह निवासी घरवा सुनाई थाना करछना
विकास सिंह पुत्र विनय सिंह निवासी घूमर मैना लालगंज जिला मीरजापुर
प्रवीण पटेल पुत्र जीत नारायण पटेल निवासी निनवार दक्षिण थाना लालगंज जिला मीरजापुर
अभिषेक पटेल पुत्र संतोष कुमार निवासी पुरालोकई थाना लालगंज जिला मीरजापुर
योगेश्वर सिंह पुत्र ज्ञानेश्वर सिंह निवासी गाढ़ा थाना कोरांव
सरफराज पुत्र मंजूर निवासी धर्ममेर महालिया थाना मईल जिला देवरिया
दिलीप शुक्ला पुत्र गुलाब चंद्र शुक्ला निवासी गजाधरपुर खाना कुरान इलाहाबाद
दिलीप पटेल पुत्र शिवबरन सिंह निवासी घटवा सोनाई थाना करछना


पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए गैंग से पूछताछ में पता चला कि वह प्लेटलेट बता कर तीमारदारों के हाथ प्लाज्मा बेचा करते थे। अब तक जितनी भी बातें सामने आई हैं यह सब गिरफ्तार अभियुक्तों के बताने के अनुरूप हैं। हालांकि पूरे प्रकरण की अभी गहन जांच कराई जा रही है।
संजय खत्री, डीएम प्रयागराज

ब्लड बैंकों के आसपास पुलिस टीम अब सिविल में भी लगाई जाएगी। फेक प्लेटलेस बेचने वाले गैंग को गिरफ्तार करने वाली टीम ने सराहनीय कार्य किया है। गैंग के कुछ और मेंबर्स के नाम सामने आई हैं, उनकी भी तलाश कराई जा रही है।
शैलेश कुमार, एसएसपी प्रयागराज