प्रयागराज (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम प्रसाद मौर्य के 'संगठन सरकार से बड़ाÓ वाले बयान को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी हो गयी। कोर्ट ने याचिका के संवैधानिक पक्ष पर गौर किया और फिर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट में सरकार की तरफ से वकील मौजूद रहे लेकिन कोर्ट ने उनसे न तो कोई सवाल किया और न ही जवाब मांगा। यह याचिका हाई कोर्ट के अधिवक्ता मंजेश कुमार यादव की तरफ से दाखिल की गयी थी।
एक्स पर किया था पोस्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की बेंच ने बयान के संवैधानिक पक्ष पर याची के अधिवक्ता को सुना। सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और एके गोयल कोर्ट में मौजूद थे। लेकिन, कोर्ट ने ना तो सरकार से इस मामले पर उनका पक्ष जानने के लिए उनसे कुछ पूछा और न ही डिप्टी सीएम को कोई नोटिस जारी किया। फैसला रिजर्व करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह इस याचिका पर उपयुक्त आदेश पारित करेगी। बता दें कि 14 जुलाई को डिप्टी सीएम ने लखनऊ में कार्यसमिति की बैठक में यह बयान दिया था। बाद में सोशल मीडिया 'एक्सÓ पर भी सेम कमेंट पोस्ट किया था। याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता का कहना था कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य का कथन उनके पद की गरिमा को कम करता है। यह बयान सरकार की पारदर्शिता पर भी संदेह पैदा करता है। उनका कहना था कि भारतीय जनता पार्टी, प्रदेश के गवर्नर अथवा चुनाव आयोग की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी थी। इससे बयान के साथ खड़ा हुआ मुद्दा और जटिल हो जाता है।