प्रयागराज (ब्यूरो)। गवाह और अधिवक्ता उमेश पाल मर्डर केस की जांच में जुटी पुलिस द्वारा उखाड़ी जा रही हर ईंट के नीचे एक राज दफन है। मंगलवार को चकिया स्थित अतीक के ध्वस्त मकान में बचे हुए कमरे के टूटे हुए हिस्से से बरामद मोबाइल का डाटा डिलीट मिला है। मोबाइल और और उसके सिम की खरीदारी कटरा से की गई। बरामद हुआ रजिस्टर भी किसी रहस्यमई किताब से कम नहीं है। इस रजिस्टर में रुपये के लेनदेन का हिसाब और करीब सौ लोगों के नाम लिखे गए हैं। अब मोबाइल को पुलिस टेक्निकल जांच के लिए भेजने की तैयारी है। तैयारी सिर्फ इतनी ही नहीं है। रजिस्टर में दर्ज लोगों के नाम को भी भी पुलिस सर्च करेगी। फिलहाल पुलिस का मानना है कि यह वे लोग हैं जिनसे अतीक व उसके लोग रंगदारी वसूली का काम किया करते थे। ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि क्योंकि रजिस्टर में रुपयों के लेनदेन का भी हिसाब मेंशन है।
रहस्य बना बरामद रजिस्टर
मोबाइल और रजिस्टर व अतीक के बेटे मो। अली के नाम से बने दो आधार कार्ड की बरामदगी मंगलवार को हुई थी। इसके बारे पुलिस को कस्टडी रिमांड पर लिए गए अतीक के पांच गुर्गों से पुलिस को मालूम चला था। छह घंटों के लिए कस्टडी रिमांड में लिए गए मो। एकबाल उर्फ सजर, मो। कैश और मो। नियाज व राकेश उर्फ लाला एवं अरशद कटरा को लिया गया था। इनसे पूछताछ के बाद ही पुलिस को अतीक के चकिया स्थित ढहाए जा चुके पैतृक मकान में टूटे हुए एक कमरे के बचे हुए हिस्से बरामद किया गया था। चूंकि जिले में अतीक के हर ठिकाने पर पुलिस की नजर है और कार्रवाइयां की जा रही है। इसलिए पुलिस की नजरों से यहां रजिस्टर और मोबाइल को छिपाकर रखा गया था। बरामद रजिस्टर व मोबाइल की जांच में पुलिस को कई हैरान करने वाले राज की जानकारी मिली है। सूत्रों की मानें तो बरामद मोबाइल का डाटा शातिरों ने डिलीट कर दिया है। डिलीट किए गए डाटा को रिकवर करने के लिए पुलिस मोबाइल को लैब भेजने की तैयारी में है। लैब में डिलीट डाटा रिकवर हो गया तो पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लग सकती है। रजिस्टर में लोगों के नाम और रुपयों के हिसाब की कहानी भी बहुत ओपन नहीं हो पाई है। हिसाब किसने हैं और वह दर्ज लोगों के नाम कौन और कहां के हैं? अब यह सवाल जांच में जुटी पुलिस को परेशान कर रहे हैं। खैर किताब को लेकर जेहन में उठ रहे सवाल का उत्तर तलाशने में पुलिस जुट गई है। फिलहाल पुलिस का मानना है कि रजिस्टर में लिए लोगों के और रुपयों के हिसाब का कनेक्शन रंगदारी की वसूली से कनेक्ट हो सकता है। अब इस बात की पुष्टि उन लोगों का चेहरा बेनकाब होने व पूछताछ के बाद ही होगी।
यह सारी बातें पार्ट ऑफ विवेचना हैं। इसलिए बरामद चीजों को लेकर बहुत कुछ बता पाना मुश्किल है। जो चीजें थी मंगलवार को बताई जा चुकी हैं। मोबाइल को जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।
राजेश कुमार मौर्य थाना प्रभारी धूमनगंज