विनय कुमार पांडेय को कंधा देकर अब्दुल सलाम ने रखी इंसानियत की लाज
सहिष्णु होने की डींग हांकने वाले समाज का दिखा क्रूर चेहरा, भाइयों ने भी फेरा मुंह
PRAYAGRAJ: कोरोना ने कइयों के चेहरे को बेनकाब कर दिया है। करेली में मंगलवार को करुणा कराह उठी, तो इंसानियत को भी शर्म से सिर झुकाना पड़ा। भला हो अब्दुल सलाम उर्फ शेखू भाई और असद सिद्दीकी का, जिन्होंने सुबक रही इंसानियत की लाज रख ली। घर में विनय कुमार पांडेय की बॉडी पड़ी थी। बेटी सौम्या उर्फ सोना (14) और शिव (07) पिता के सीने पर सिर रखकर सोमवार की रात भर बिलखते रहे। पत्नी माला पांडेय तो सुध बुध खो बैठी थी। पति के गम में और बच्चों की चिंता में मानों उसे सदमा सा लग गया हो। उसकी बेटी मदद की गुहार लगाती रही। अफसोस की उसे अफसर से लेकर इस समाज तक से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।
सोमवार शाम छह बजे हुई थी मौत
रात भर से भूखे प्यासे असहाय बच्चे मासूम आंखों से सुबह लोगों की तरफ मदद की आस लगाकर टुकुरटुकुर निहारते रहे। उन्हें क्या पता कि वह जिस समाज और लोगों के बीच हैं, उसकी इंसानियत मर चुकी है। कंधा तो दूर इस समाज से सांत्वना देने भी कोई उस परिवार के पास नहीं गया। बच्चों के दो चाचा व रिश्तेदार भी रिश्तों पर बदनुमा दाग लगाते रहे। मासूम हाथों में इतनी ताकत भी नहीं थी कि वे पिता की बॉडी को कंधा देकर अंतिम संस्कार कर पाते। उनके पास भूखे पेट सिवाय रोने के कुछ नहीं बचा था। बेसुध मां से भी वे कहते तो क्या कहते। हद तो उस वक्त हुई जब मकान मालिक तक मदद को आगे नहीं आया। समाज पर लानत भरी आंखें नमकर देने वाली यह घटना करेली बी-ब्लाक कॉलोनी की है। यहां सोमवार शाम छह बजे से पिता की पड़ी बॉडी पर भूखे बच्चे रात भर बिलखते रहे और लोगों को ही नहीं, विनय के अपनों को भी कोरोना का भय सता रहा था। जबकि उसकी मौत कोरोना से हुई भी नहीं थी।
इस तरह अब्दुल ने कराया अंतिम संस्कार
परिवार की दशा और बच्चों के आंसुओं पर मोहल्ले की प्रतिमा सिद्दीकी का दिल द्रवित हो गया।
उनकी इंसानियत और ममता के कोरोना जैसी बीमारी के खौफ को भी सिर झुकाना पड़ा। वह अकेले विजय के घर जा पहुंची।
बच्चों को उठाकर मुंह धुलाई और उनकी मां के चेहरे पर पानी का छीटा मारकर किसी तरह होश में लाई।
इसके बाद पूरी दास्तां पति असद सिद्दीकी को फोन पर बताई। असद एमपी में ठेकेदारी करते हैं।
वह काम के सिलसिले से मध्य प्रदेश में ही हैं। पत्नी की बात भावनाओं को देखते हुए उनकी भी आत्मा एक बड़े समाज के लोगों की हरकत पर कराह उठी।
वह मध्य प्रदेश में हैं, लिहाजा परिवार की मदद के लिए अपने करेली के ही दोस्त अब्दुल सलाम उर्फ शेखू भाई को फोन किए।
फोन पर उन्होंने विनय पांडेय के परिवार की मदद गुहार लगाए। उनकी गुहार पर शेखू भाई बगैर देर किए विनय के परिवार में जा पहुंचे।
हालात को देखने व समझने के बाद शेखू ने अपने कुछ और दोस्तों को फोन कर बुला लिए।
अब्दुल सलाम उर्फ शेखू भाई की आवाज पर उनके कई दोस्त मदद को जा पहुंचे।
दोस्तों के साथ अब्दुल ने हिन्दू रीति रिवाज के साथ विनय पांडेय की अर्थी को कंधा दिए।
450 रुपये जमा करके वह नगर निगम में जमाए किए। इसके बाद निगम का शव वाहन पहुंचा।
इस वाहन में अब्दुल व उनके दोस्त विनय पांडेय की बॉडी रख कर उसके बेटे शिव को लिए और मीरापुर ककरहा घाट जा पहुंचे।
वहां हिन्दू रीति से उनके जरिए विनय पांडेय की बॉडी का अंतिम संस्कार करवाया गया।
अब्दुल ने विनय की चिता को मुखाग्नि उसके बेटे शिव के द्वारा दिलाई। इसके बाद शिव को लाकर घर छोड़े।
अंधकार मय हुआ बच्चों का भविष्य
मूल रूप से देवरिया जिले के हरने वाले विनय कुमार पांडेय करेली में किराए के मकान में रहते थे। विनय करेला बाग स्थित बेनहर स्कूल में जॉब किया करते थे। उनकी बेटी सौम्या पांडेय उर्फ सोना इलाहाबाद पब्लिक स्कूल में कक्षा नौ की छात्रा है। जबकि बेटा शिव भी इसी स्कूल में क्लास टू का छात्र है। प्राइवेट जॉब करने वाले विनय के परिवार की माली हालत व अपनों का सपोर्ट काफी कमजोर है। पत्नी माला पांडेय भी बीपी जैसे रोगों से ग्रसित हैं। ऐसे में जाहिर है कि विनय की डेथ के बाद इन दोनों बच्चों की शिक्षा व जीवकोपार्जन पर इस कोरोना कॉल में संकट खड़ा हो जाएगा।
बात मालूम चली तो हृदय कांप उठा। मन में सवाल आया कि क्या हम जिस समाज में रहते और जीते हैं, उसकी इंसानियत इतनी मर चुकी है। दोस्त अब्दुल सलाम को धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मेरी एक आवाज पर वह बगैर कुछ कहे पहुंच कर विनय जी के परिवार की मदद किए। मैं एमपी से कल परसों तक आकर परिवार की और भी जो मुझसे हो सकेगा मदद करूंगा। वह सारे दोस्त धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने अब्दुल भाई के साथ विनय की अंतिम यात्रा में उन्हें कंधा दिए।
असद सिद्दीकी
डॉयरेक्टर शिवांस ग्रुप ऑफ कंपनी एण्ड फाउंडेशन ट्रस्ट ऑफ शिवांस फाउंडेशन