प्रयागराज (ब्यूरो)। सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ आंचलिक लोक गायक प्राणेश देशपाण्डे के भजन से हई। लोकनृत्य की फेहरिस्त में हिमांचल प्रदेश के दल ने ''छूबा, गाची, गलबंध, पट्टू आदि पहन कर वाद्ययंत्रों की धुन पर किया, जो मुख्यत: सामूहिक कार्यक्रमों एवं विवाह के अवसर पर किया जाता है। गुजरात से आये हुए नितिन दवे एवं दल ने डांडिया रास से समां बांधा। पंजाब से आये रवि कन्नूर एवं दल के कलाकारों ने भांगड़ा नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी, उन्होंने बताया कि जब से पंजाब है, तब से भांगड़ा है। भांगड़ा का निर्माण झूमर, लूर आदि पारम्परिक लोकनृत्यों का मिश्रण है। उन्होंने ''जिन्द माही जे चले ओ पटियालेÓÓ पर प्रस्तुति दी। झारखण्ड से आए परमानंद एवं दल ने खासवां छऊ नृत्य धुन बजाकर भाव प्रधान बाली वध की प्रस्तुति दी।
नई संस्कृति से परिचित हुए दर्शक
असम से आए दल ने पारंपरिक परिधान में असम का राजकीय नृत्य 'बिहूÓ 'सोराई बहे ललेÓ नामक गीत की प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके पश्चात मिर्जापुर से आए जटाशंकर एवं दल ने लोक-गांव का नृत्य चौलर की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अन्त में महाराष्ट्र मुम्बई से पधारे श्रद्धा सतविद्कर एवं दल ने वाग्यामुखी नृत्य पेश किया, जिसमें उन्होंने भगवान शंकर (खण्डो बा) की आराधना ''जेजुरिया खंडेराया जागराला यायाÓÓ प्रस्तुत करके एक नई संस्कृति से प्रयागराज के दर्शकों का परिचय कराया। कार्यक्रम के अन्त में केन्द्र निदेशक ने सभी उपस्थित दर्शकों एवं श्रोताओं का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।