प्रयागराज (ब्यूरो)। गंगा नदी पर बने शास्त्री ब्रिज का निर्माण 1976 में कराया गया था। पीडब्लूडी में गठन के बाद सेतु निगम विंग द्वारा इस पुल को बनाया गया था। तब से यह ब्रिज प्रयागराज को पूर्वांचल के हिस्सों को कनेक्ट करने का काम कर रहा है। उस वक्त शहर को पूर्वांचल के जिलों से कनेक्ट करने वाला यह एक मात्र पुल हुआ करता था। करीब दो किलो मीटर लंबे इस ब्रिज को बनाने के बाद सेतु निगम मेंटीनेंस का काम पीडब्लूडी के सीडी-3 को सौंप दिया। तब से आज तक इस शास्त्री ब्रिज के रखरखाव का काम सीडी-3 ही करता आ रहा है। मेंटीनेंस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिए जाने के कारण वर्षों से ट्रैफिक का बोझ उठा रहे इस ब्रिज की सेहत कमजोर सी हो गई। सोमवार सुबह रोज की तरह यात्री ब्रिज से होकर सफर कर रहे थे। इस बीच कुछ यात्रियों की नजर पिलर नंबर 14 के पास ब्रिज के रोड का डैमेज स्पांसेंस ज्वाइंट (दो पुल के बीच रोड का जुड़ाव) पर पड़ी तो सहम गए। उन यात्रियों द्वारा इस बात की खबर पुलिस कंट्रोल रूम को दी गई। जानकारी मिलते ही हरकत में आई दारागंज और झूंसी पुलिस ने मिलकर पुल को वन-वे कर दिया। इसके बाद पुलिस द्वारा ब्रिज के इस हालात की सूचना पीडब्लूडी को दी गई।
देर शाम मरम्मत के चलते छोटे वाहनों का आवागमन जारी
ब्रिज में आई इस खराबी को सुनते ही पीडब्लूडी के शीर्ष अफसर भी सन्नाटे में आ गए। अफसरों द्वारा मेंटीनेंस का काम देख रहे विंग सीडी-3 के जिम्मेदारों को क्विक कार्रवाई के निर्देश दिए गए। सीडी-3 के इंजीनियर व तमाम कर्मचारी ज्वाइंट से नीचे की तरफ धंसे ब्रिज को लेवल में लाने की कवायद शुरू कर दिए। देर शाम को बताया गया कि डैमेंज ज्वाइंट को ब्रिज के रोड से लेवल में ला दिया गया है। अब इससे होकर छोटे वाहन आवागमन कर सकते हैं। बड़े व भारी वाहनों के आवागमन पर इंजीनियरों द्वारा मंगलवार 12 बजे तक रोक लगाने की बात कही गई। डैमेज सुधारने में जुटे इंजीनियरों की इस बात पर अमल करते हुए पुलिस ने पुल के दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगा दिया है। ताकि बड़े वाहन पुलिस के डैमेज रोड से नहीं निकल सकें।
ओवर ट्रैफिक लोड झेल रहा है ब्रिज
पीडब्लूडी के सीडी-3 डिपार्टमेंट के इंजीनियर ब्रिज के डैमेज होने की कई वजह बता रहे हैं
ब्रिज का निर्माण 1976 में जब हुआ तो उस वक्त के ट्रैफिक लोड को देखते हुए बनाया गया था
ब्रिज पर ट्रैफिक का प्रेशर कई गुना ज्यादा बढ़ गया है, क्षमता से अधिक ट्रैफिक प्रेशर के कारण ऐसी दिक्कतें आती हैं
फुल मेंटिनेंस के लिए ब्रिज से कुछ दिनों तक ट्रैफिक का संचालन ब्रेक करना पड़ेगा और इतना आसान नहीं है
फुल मेंटिनेंस के लिए यदि ब्रिज से आवागमन ठप कर दिया जाएगा तो पब्लिक के लिए समस्या काफी बढ़ जाएगी
माघ मेला के बाद ट्रैफिक कुछ हद तक कम होने की उम्मीद रहती है, इसके लिए ही फुल मेंटीनेंस के बारे में विभाग सोचेगा
मिनटों का सफर घंटे में हुआ पूरा
अचानक आई खराबी के कारण वन-वे किए गए शास्त्री ब्रिज पर सोमवार को जाम की स्थिति बनी रही। पुल के एक ही हिस्से से यात्री आवागमन कर पा रहे थे। ऐसे में सिर्फ शहर के दारागंज साइड ही नहीं झूंसी की तरफ भी दूर तक वाहनों की लंबी कतार लगी रही। जाम कंट्रोल को लेकर पुल जगह-जगह लगे पुलिस के जवान वन-वे किए गए ब्रिज से यात्रियों को आगे बढ़ा रहे थे। जिस ब्रिज को यात्री मिनटों में पार कर जाते थे उसे क्रास करने में घंटे भर का वक्त लगा। हालांकि ब्रिज के वन-वे रोड से आवागमन की रूटीन बन जाने के बाद यात्रियों को थोड़ी राहत मिली। क्योंकि यात्री अपने वाहनों को कतारबद्ध नियमों का पालन करते हुए आवागमन खुद करने लगे।
फाफामऊ ब्रिज की भी हो रही उपेक्षा
राजधानी लखनऊ से लेकर प्रतापगढ़ सुल्तानपुर व अयोध्या जैसे तमाम शहरों से जिले को जोडऩे वाले फाफामऊ पुल की हालत भी पिछले कई महीनों से ठीक नहीं है। तेलियरगंज से फाफामऊ घाट तक वर्ष 1986 में बनाए गए इस पुल के जोड़ में भी कई जगह काफी गैप हो गए हैं। खतरा इतना बड़ा है कि दो पिलर के बीच सड़क में थोड़ा गैप और हो जाय तो बड़े हादसे भी हो सकते हैं। यह बात पिछले वर्ष नवंबर, दिसंबर माह में मीडिया द्वारा उठाई गई तो सो रहे प्रशासनिक अफसरों की नींद टूटी थी। उस वक्त इस ब्रिज के मरम्मतीकरण को लेकर खूब कागजी घोड़े दौड़ाए गए। यहां तक कि एक महीने तक ब्रिज से ट्रैफिक को डायवर्ट करते हुए मरम्मत की बात फाइनल भी हो गई। डायवर्जन पर पब्लिक की समस्या आड़े आई तो इस फाफामऊ ब्रिज के मरम्मतीकरण का काम ब्रेक कर दिया गया। अफसरों द्वारा यह तर्क दिए गए थे कि माघ मेला में पांटून पुल बनने के बाद इसका मरम्मतीकरण किया जाएगा। प्रशासनिक उपेक्षा पर गौर करने वाली बात यह है कि अब तक न तो पांटून पुल बन सके हैं और न ही इस पुल का मेंटीनेंस हो सका है। ऐसे हालात में खतरे के इस ब्रिज से जान हथेली पर रखकर यात्री आवागमन कर रहे हैं। सवाल यह है कि यदि इस पुल के डैमेज से कभी बड़ा हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा। पीडब्लूडी या जिला प्रशासन? इस सवाल पर सेतु निगम के जिम्मेदार पूरा ठीकरा प्रशासन के सिर फोड़ रहे हैं। खैर जिम्मेदार कोई भी हो हादसे हुए तो नुकसान सिर्फ और सिर्फ पब्लिक का ही होना है।
सीडी-3 के पास शास्त्री ब्रिज के मेंटीनेंस की जिम्मेदारी है, जो किया जा रहा है। इस ब्रिज में हुए डैमेज को बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। चूंकि ट्रैफिक प्रेशर काफी है। इसलिए मेला बाद फुल मेंटीनेंस का काम किया जाएगा। शेष ब्रिज के मेंटीनेंस का काम दूसरे विंग करते हैं।
इं। अजय गोयल, अधिशासी अभियंता सीडी-3 लो.नि.वि.