प्रयागराज ब्यूरो । ट्रिपलआइटी झलवा के प्रेक्षागृह में शिक्षा, संस्कृति, उत्थान न्यास, काशी प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: प्रभावी क्रियान्वयनÓ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। इस कार्यक्रम में एस
एस खन्ना महिला महाविद्यालय,
एयू के इतिहास विषय के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ शिवशंकर श्रीवास्तव की पुस्तक '1857 का संग्राम और उत्तर भारत की दलित वीरांगनाएंÓ का विमोचन अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा, संस्कृति, उत्थान न्यास,नई दिल्ली), प्रोफेसर संजय सिंह (कुलपति,भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय,लखनऊ), प्रोफेसर अखिलेश सिंह (कुलपति, रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय), कुलपति सीमा सिंह
(उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि), प्रोफेसर आरएस वर्मा (निदेशक ,मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान)
प्रोफेसर मुकुल शरद सुतावने, (निदेशक,भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान), प्रोफेसर निवास सिंह (निदेशक,भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान,ग्वालियर), मेजर (डॉ)हर्ष कुमार (संयुक्त सचिव,इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष, काशी प्रान्त,शिक्षा, संस्कृति ,उत्थान न्यास),
प्रोफेसर आरपी तिवारी (डीन,मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान)के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ।
आजादी के अमृत महोत्सव काल में प्रकाशित इस पुस्तक में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इतिहास के पन्नों में गुमनाम सी रह गयी उत्तर भारत की दलित वीरांगनाओं के भागीदारी को ऐतिहासिक साक्ष्य के साथ प्रस्तुत किया गया है। इसमें डॉ श्रीवास्तव द्वारा अंग्रेजों की औपनिवेशिक इतिहास लेखन की विचारधारा का खंडन करते हुए 1857 के संग्राम के कारण और स्वरूप का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से पुनर्मूल्यांकन किया गया है।
पुस्तक में दलित वीरांगनाओं की वीरता का सजीव विवरण देने में लोक संस्कृति का भी भरपूर उपयोग किया गया है।