संस्कृति विभाग उप्र की ओर से कुंभ मेला में लगाया जाएगा दस से बीस दशक पुरानी पांडुलिपियों का संग्रह
ALLAHABAD: संगम की रेती पर चार महीने बाद आयोजित होने जा रहे कुंभ मेला में श्रद्धालुओं को भारतीय सनातन संस्कृति के विविध रंगों का नजारा देखने को मिलेगा। इसके लिए खासतौर से संस्कृति विभाग उप्र की ओर से दस से लेकर पंद्रह दशक पुरानी सनातन परंपरा पर केन्द्रित पांडुलिपियों का ऐसा संग्रह दिखाया जाएगा जिसके जरिए असंख्य जनमानस को कुंभ कलश की उत्पत्ति कैसे हुई, सनातन संस्कृति में दश कर्म पद्धति क्या होती है व गंगा पूजन की सैकड़ों वर्ष पुरानी पूजन विधि प्रमाणिक साक्ष्य आसानी से समझ में आएगा।
पांडुलिपि लाइब्रेरी की अनोखी पहल
यूनेस्को से कुंभ मेला को सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किए जाने के बाद प्रदेश के संस्कृति विभाग ने देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सनातन संस्कृति का दशकों पुराना वैभव दिखाने का निर्णय लिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए अल्लापुर स्थित संस्कृति विभाग के राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय की ओर से मेला एरिया में पहली बार पांडुलिपियों का संग्रह पूरी दुनिया को दिखाने की योजना बनाई गई है।
52 पांडुलिपियों की प्रदर्शनी
पांडुलिपि लाइब्रेरी में बीस दशक से भी पुरानी ऐसी पांडुलिपियों का खजाना है जिनकी संख्या तेरह हजार है। इसमें मेला के दौरान कुंभ पर केन्द्रित 52 पांडुलिपियों का कलेक्शन प्रदर्शनी के तौर पर लगाया जाएगा। जिसको आडियो सिस्टम के जरिए भी श्रद्धालुओं को सुनाकर उसकी विशेषता बताई जाएगी कि यह कितने वर्ष पुरानी पांडुलिपि है और किस महान ऋषि या लेखक की है।
इन बिन्दुओं पर रहेगा फोकस
-आयुर्वेद का जनक कौन है और सनातन संस्कृति में आयुर्वेद की पद्धति कितनी पुरानी है।
-कुंभ कलश की उत्पत्ति कैसे हुई इसकी मान्यताएं क्या है और हिन्दू धर्म में कलश की क्या विशेषता मानी जाती है।
-कालिदास व शंकराचार्य लिखित गंगाष्टक के जरिए कुंभ मेला का इतिहास, श्राद्ध विधि, गंगा पूजन व स्नान का उल्लेख कब हुआ था उसकी महत्ता बताई जाएगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
-कुंभ मेला के इतिहास में पहली बार कुंभ पर केन्द्रित पांडुलिपियों के संग्रह की चलती फिरती प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
-पांडुलिपि लाइब्रेरी के कर्मचारियों ने एक महीने में प्रदेश के विभिन्न लाइब्रेरी में जाकर वहां से तीस पांडुलिपि का कलेक्शन किया है।
-अल्लापुर स्थित लाइब्रेरी में कुंभ मेला पर केन्द्रित बीस से अधिक पांडुलिपियों का ऐसा खजाना उपलब्ध है जिसमें पंद्रह से अधिक दशक से पुरानी बातों का उल्लेख मिलता है।
विभाग की योजना के अनुसार पहली बार कुंभ मेला पर केन्द्रित पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके लिए बीस दशक से भी पुरानी पांडुलिपियों को शामिल किया जाएगा। जिससे कि श्रद्धालुओं को सनातन संस्कृति में पूजा-पाठ से लेकर दशकर्म पद्धति का ज्ञान आसानी से कराया जा सके।
गुलाम सरवर, पांडुलिपि अधिकारी, संस्कृति विभाग