- ग्रहण के दौरान बंद रहे मंदिरों के कपाट, सुबह 5.35 से शुरू हो गया था ग्रहण का स्पर्श काल

ALLAHABAD: संगम नगरी में बुधवार की सुबह अन्य दिनों से बिलकुल अलग ही रही। अपनी सुनहरी आभा के साथ प्रकाश फैलाने के पहले सूर्य देवता पर उदय होने के साथ ही ग्रहण का असर दिखने लगा। वर्ष के पहला सूर्य ग्रहण का स्पर्श काल सुबह 5.35 से शुरू हो गया। इसके बाद मध्य 6.19 और मोक्ष काल 6.47 मिनट तक रहा। इस बार कुंभ राशि व पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में ग्रहण का संयोग बना था। ग्रहण का काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद हो गए। लगभग दस बजे ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में साफ सफाई की गई। जिसके बाद कपाट खोले गए और भगवान की भव्य पूजा अर्चना की गई। संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर में भी सूर्य ग्रहण के दौरान पूरे समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।

इनपर दें ध्यान

-वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण का स्पर्श काल सुबह 5.35 से शुरू हुआ।

-इसके बाद मध्य 6.19 और मोक्ष काल 6.47 मिनट तक रहा।

- सूर्य ग्रहण के दौरान बंद रहे मंदिरों के कपाट

- ग्रहण के बाद संगम पर जुटी स्नान करने वालों की भीड़

संगम पर लगी भीड़

मान्यता के अनुसार ग्रहण समाप्त होने के बाद पवित्र नदियों में स्नान करने की परम्परा है। माघ मेले के समापन के बाद पड़े सूर्य ग्रहण के बाद संगम तट पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी। गंगा व यमुना के घाटों पर भी बड़ी संख्या में लोगों ने नदियों में स्नान किया और भगवान की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की। इसके बाद लोगों ने यथा शक्ति दान आदि किया।

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12 घंटे पहले हुआ था शुरू

श्री धर्म ज्ञानोपोदेश संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य पं। देवेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व ही शुरू हो गया था। ग्रहण का असर जरूर किसी न किसी रूप में पड़ेगा। कुछ के लिए यह कल्याणकारी रहेगा और कुछ के लिए निराशा की स्थिति बनी रहेगी।