प्रयागराज (ब्यूरो)।
पहला केस 18 जून इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पर ताला जड़ दिया था। इस मामले में भी चीफ प्रॉक्टर द्वारा कर्नलगंज थाने में तहरीर दी गई। पुलिस ने तहरीर के आधार पर सरकारी काम में बाधा डालने, बंधक बनाने की धाराओं में रिपोर्ट की थी।
दूसरा केस 23 जून प्रमोट करने की मांग को लेकर छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पर फिर से प्रदर्शन किया। कैंपस में सुरक्षा गार्डों से झड़प हुई थी। पुलिस कंट्रोल करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ गया। पुलिस ने कुल 18 छात्रों को हिरासत में लिया। बाद में इन सभी को शांति भंग के अंदेशे में पाबंद कर दिया गया। एक छात्र का चालान भी किया गया था।
तीसरा केस 28 जून पिछले दो केसेज का छात्रों पर कोई फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने यूनिवर्सिटी में ही अनशन शुरू कर दिया। काफी कोशिश के बाद भी वे अनशन तोडऩे के लिए तैयार नहीं हुए। कैंपस में एक बार फिर से माहौल खराब होने जैसी स्थिति बन गयी। इसके बाद मंगलवार को कर्नलगंज थाने में एक और मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इसमें कुल नौ छात्रों को नामजद किया गया है।
वार्षिक परीक्षा निरस्त करके सभी छात्रों को प्रमोट करने की मांग में आंदोलन कर रहे छात्र वकील बनने से पहले ही मुकदमों से घिर गये हैं। एक पखवारे के भीतर उनके खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज किये जा चुके हैं। छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ जिरह में अपना तर्क रख रहे हैं। जवाब मिल रहा है कि यह कानून ही नहीं है तो कैसे कर सकते हैं। दोनो पक्षों की बातचीत इसी पर आकर रुक गयी। नतीजा अड़चन मंगलवार को भी तस की तस बनी रही। छात्र अनशन पर बैठे रहे।
अनशन फिर भी जारी
यूनिवर्सिटी ने लॉ स्ट्रीम की वार्षिक परीक्षा सात जुलाई से कराने का फैसला लिया है। एलएलबी के छात्र प्रमोट की मांग पर अड़े हैं। इसे लेकर कैंपस का माहौल मंगलवार को भी गरम रहा। एहतियातन पुलिस भी एलर्ट रही। अनशन कर रहे छात्रों का समर्थन करने के लिए तमाम साथी जुटे थे। छात्र परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के बरामदे में छात्र प्रवेश न कर सकें, इसके लिए पुलिस की तैनाती कर दी गयी थी। छात्रों और चीफ प्राक्टर के बीच जमकर कहासुनी हुई। चीफ प्राक्टर ने कहा कि प्रोन्नति करने का कोई प्रावधान नहीं है। छात्र परीक्षा दें। परीक्षा के तत्काल बाद उनकी कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी। रिजल्ट बाद में आता रहेगा। छात्र अड़े हुए थे कि उनको प्रमोट किया जाय।
छात्र ही रेग्युलर नहीं थे
यूनिवर्सिटी प्रिमाइस में चल रहे अनशन में शामिल होने सीएमपी के छात्र भी पहुंचे थे। उनका कहना था कि केवल 20 दिन कक्षा चली है। इस पर सीएमपी से शिक्षक बुला लिये गये। वे अपने साथ अटेंडेंस शीट भी लेकर पहुंचे थे। बताया कि 137 छात्र रजिस्टर्ड हैं। सिर्फ 40 रेग्युलर क्लास अटेंड करते हैं। पढ़ाई न कराने का आरोप पूरी तरह गलत है।
जिरह में छात्रों ने दिये तर्क
स्पोट्र्स और हैंडीकैप कोटे से तीन मई तक तो एडमिशन लिए गए। एक जून से गर्मियों की छुट्टी कर दी गई।
छह महीने का सेमेस्टर होता है। इसमें 90 दिन अनिवार्य रूप से क्लास चलनी चाहिए।
एडमिशन लेट तक चला तो पर्याप्त संख्या में क्लासेज नहीं चलीं। कोर्स आनन फानन में पूरा करा दिया गया
क्लासेज को पर्याप्त टाइम नहीं दिया गया तो तो परीक्षा किस बात का ले रहे हैं।
परीक्षा लेने के बाद रिजल्ट कब देंगे। जिनके रिजल्ट रुके हैं वह आगे के सेमेस्टर में कैसे प्रवेश लेंगे।
सभी छात्रों को बगैर परीक्षा लिए प्रमोट किया जाय और तत्काल क्लासेज शुरू करा दी जाएं। ताकि सत्र रेग्युलर हो।
यूनिवर्सिटी का तर्क
यूजीसी ने कोरोना को देखते हुए गाइड लाइन जारी की थी। इसमें सेलेबस कम करने को कहा गया था।
इस आदेश का पूरी तरह से पालन कर दिया गया है।
पहले दस प्रश्नों से पांच को करना अनिवार्य होता था। अक सिर्फ छह प्रश्न पूछे जाएंगे।
छह में से प्रश्नों के उत्तर ही छात्रों को देने हैं। प्रश्न उसी सेलेबस से पूछे जाएंगे जो पढ़ाया गया है।
छह महीने से तो कोरोना है नहीं और कक्षाएं भी चलाई गई हैं। फिर क्यों दिक्कत है।
अब प्रमोट करने का कोई प्रावधान ही नहीं है तो किसी को कैसे प्रमोट कर दिया जाय। परीक्षा करायी ही जाएगी।
यूनिवर्सिटी प्रशासन रूल्स के अनुसार ही कदम आगे बढ़ा रहा है। छात्रों की प्रमोट करने की मांग पूरी नहीं की जा सकती क्योंकि इसका अब प्रावधान ही नहीं है।
प्रो। हर्ष कुमार चीफ प्रॉक्टर