एक पार्षद को पुलिस ने उठाया, मेयर ने स्थगित किया चुनाव

घटना से नाराज भाजपा की मुख्य सचेतक और दो सदस्यों ने मेयर को सौंपा इस्तीफा

चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही नगर निगम में बवाल हो गया। भाजपा की तरफ से अधिकृत प्रत्याशी के समर्थक पर हमले के बाद माहौल गरम हो गया। गाली गलौज के साथ हाथापायी हुई। नतीजा पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ गया। एक पार्षद को धूमनगंज पुलिस थाने लेकर चली गये। इससे नाराज भाजपा के सचेतक और दो पार्षदों ने मेयर को अपना त्यागपत्र सौंप दिया तो मेयर ने चुनाव स्थगित करने का फैसला लिया। इसे लेकर देर शाम तक पंचायत चलती रही।

नगर आयुक्त कार्यालय के सामने पीटा

कार्यकारिणी समिति के उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया महापौर की अध्यक्षता में कार्यकारिणी कक्ष में दिन में 11 बजे शुरू हुई। भाजपा उम्मीदवार अखिलेश सिंह ने 11.15 बजे नामांकन किया। कहा जा रहा है कि करीब पौने 12 बजे दीपू भी कार्यकारिणी सदस्य और सपा पार्षद अमरजीत यादव के साथ नामांकन करने के लिए पहुंचे। वह नगर आयुक्त कार्यालय की तरफ के गेट से दाखिल हुए। कार्यकारिणी कक्ष के पहुंचने से पहले ही उन्हें रोककर मारपीट शुरू कर दी गई। इससे अफरा-तफरी मच गई। शोर मचने पर पार्षदों, कर्मचारियों के अलावा वहां तैनात पुलिस भी पहुंच गई। पार्टी की मुख्य सचेतक किरन जायसवाल, कुछ पार्षद और पुलिस उन्हें छुड़ाकर कार्यकारिणी कक्ष में ले गए। घटना से आक्रोशित मुख्य सचेतक और पार्टी के ही दो कार्यकारिणी सदस्यों कमलेश तिवारी और रोहित मालवीय ने महापौर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कार्यकारिणी सदस्य नंदलाल ने भी मौखिक रूप से इस्तीफा देने की बात कही लेकिन, लेटरपैड न होने पर उस समय इस्तीफा नहीं सौंप सके। पार्षद दीपू ने कुछ लोगों पर मारपीट करने का आरोप लगाया। महापौर ने अपर नगर आयुक्त मुशीर अहमद और सचिव परिषद पीके मिश्र से विधिक सलाह लेने के बाद चुनाव स्थगित कर दिया। घटना की जानकारी होने पर भाजपा के शहर अध्यक्ष गणेश केसरवानी समेत अन्य लोग भी निगम पहुंच गए। मेयर कक्ष में शहर अध्यक्ष की मध्यस्थता में घोषित प्रत्याशी, पार्षद दीपू समेत पार्टी के अन्य पार्षदों की करीब ढाई घंटे तक पंचायत चली। इसमें समझौता हो गया तो पुलिस ने कार्रवाई रोक दी।

पहली बार हुई ऐसी घटना

नगर निगम सदन और कार्यकारिणी समिति की बैठकों में मारपीट एवं हंगामा बहुत बार हुआ। लेकिन, उपाध्यक्ष पद के चुनाव में ऐसी घटना पहली बार होने की चर्चा रही। तमाम पार्षदों का कहना था कि घटना ¨नदनीय और लोकतांत्रिक मर्यादा के विपरीत है। घटना के बाद से निगम परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।

गेट के अंदर प्रत्याशी के आ जाने पर यह मान लिया जाता है कि वह नामांकन करने के लिए आया था। इसलिए मारपीट होने के बाद चुनाव निरस्त किया गया। हिरासत में लिए गए पार्षद को छोड़वा दिया गया है। किसी का इस्तीफा मंजूर नहीं है।

अभिलाषा गुप्ता,

मेयर, नगर निगम प्रयागराज