- ठीक होने के बाद भी तमाम दिक्कतों से जूझ रहे मरीज

- डॉक्टर्स से पूछ रहे सवाल, धीरे धीरे होते हैं सामान्य

कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी मरीजों की परेशानी कम नहीं हो रही है। उन्हेंें कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना पड रहा है। क्योंकि उन्हें सबसे ज्यादा भूलने की समस्या हो रही है। इसके अलावा अन्य कई लक्षण सामने आ रहे हैं। जिनको पोस्ट कोविड सिंडोम कहा जाता है।

केस वन

- सिविल लाइंस के रहने वाले नवीन हाल ही में कोरोना से मुक्त हुए हैं। वह होम आइसोलेशन में थे। बीच में तीन दिन उन्हें आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत भी पड़ी थी। ठीक होने के बावजूद उन्हे कभी-कभी भूलने की प्रॉब्लम हो जाती है। ऐसा उन्हें पहले नहीं होता था।

केस टू

राजरूपपुर के निवासी दीपू की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ चुकी है लेकिन अभी भी वह मेंटल शॉक से बाहर नहीं आए हैं। उन्हें अचानक सिरदर्द और उलझन होने लगती है। उन्होंने इसके लिए डॉक्टर्स की राय ली है। डाक्टर ने उन्हें खुद को रिलेक्स रहने को कहा है।

फेफड़ों के अलावा दूसरे अंगों को भी कर रहा प्रभावित

पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम का मतलब है कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज निगेटिव होने के बाद भी कई दिनों या महीनों तक उससे जुड़े लक्षणों या दुष्प्रभावों का अनुभव करता रहता है। वायरस सबसे पहले फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किडनी, लिवर, हृदय और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है। कोरोना संक्रमण पश्चात कई मरीजों में नसों में सुन्नपन्न, अवसाद, भूलने की बीमारी जैसे लक्षण देखें गये है जो यह दर्शाता है कि कोरोना वायरस ब्रेन एवं तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है।

पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से पड़ कई दुष्प्रभाव

कोविड संक्रमण के दौरान कुछ मरीजों में ऑक्सीजन की काफी कमी हो जाती है जिसके कारण उनके मस्तिष्क पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति को हाईपोक्सिक ब्रेन इंजरी कहा जाता है और इसके होने पर मरीज की रिकवरी में काफी दिक्कते आती है। इसके अलावा कोरोना संक्रमण के बाद सिरदर्द, लकवा व मिर्गी होने की संभावना भी बढ सकती है। सूंघने की क्षमता का कम होना, थकावट व कमजोरी, यादाश्त में कमी, शरीर के किसी अंग का सुन्न पड़ना, नींद न आना या नसों में इस तरह की शिथिलता का पैदा होना कि बिना सहारे चल पाना भी मुश्किल हो । ऐसी जटिलताऐं संक्रमण पश्चात कई मरीजों में देखी जा सकती हैं।

खुद को रखे रिलैक्स

खासकर वह मरीज जो कोरोना के संक्रमण के कठिन दौर से गुजर चुके होते हैं उनको मानसिक रूप से काफी मजबूत रहने की जरूरत है। ऐसे मरीजों को परिजनों के सपोर्ट की जरूरत होती है। इससे वह कोरोना एंजाइटी से बच सकते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद उसके साइड इफेक्ट से बचने में टाइम लगता है। यह महत्वपूर्ण समय होता है इसलिए मरीजों को क्लीनिकल के साथ मोरल सपोर्ट की जरूरत होती है।

इन उपायों का करें पालन

- परिजनों के साथ बिताएं अधिक समय।

- डॉक्टर के संपर्क में रहें।

- पोस्ट कोविड लक्षण आने पर इसे नजर अंदाज न करें।

- ताकतवर चीजों का सेवन करें।

- अपनी इम्युनिटी को बूस्ट अप करते रहें।

- न्यूरोलाजिस्ट या मनोचिकित्सक का सहारा लें।

कोरोना से ठीक होने के बाद कुछ समय काफी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए मरीज को उचित पोस्ट कोविड इलाज की जरूरत होती है। खासतौर से मानसिक रूप से मरीज को मोरल सपोर्ट चाहिए होता है।

डॉ राकेश पासवान, मनोचिकित्सक