कोरोना काल में अपग्रेड हो गए सिटी के हॉस्पिटल्स

वेंटीलेटर और हाई फ्लो आक्सीजन सिस्टम की डिमांड कोरोना काल में हुई पूरी

कोरोना काल में जिंदगी खतरों से खाली नहीं थी। हेल्थ पर सीधे प्रभाव पड़ रहा था। जीवन बचाने के लिए भी सरकारी अस्पताल ही वर्किंग थे। यहां के डॉक्टर्स और स्टॉफ मेम्बर्स खतरा मोल लेकर लोगों का जीवन बचाने में लगा रहा। कोरोना के डर ने लोगों को महीनो घर में कैद कर दिया। यह सिक्के का एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू भी है। यह जिले ही नहीं मंडल के लोगों के लिए सौगात है। कोरोना के चलते शहर में स्थित सभी सरकारी अस्पताल अपडेट हो गए। वेंटीलेटर के साथ हाफ फ्लो आक्सीजन सिस्टम आ गया है। जांच मशीने अपग्रेड हो गयी हैं। कैसे अपग्रेड हो गए हैं सरकारी अस्पताल? पढि़ये इस रिपोर्ट में

बेली हॉस्पिटल

यहां कोरोना संक्रमण आने से पहले सिर्फ एक वेंटीलेटर था। गंभीर मरीजों को एसआरएन हॉस्पिटल रेफर किया जाता था।

कोरोना काल में इस हॉस्पिटल को 37 नए वेंटीलेटर मिल गए हैं

पांच हाईफ्लो आक्सीजन और पांच बाईपैप मशीन दी गई। यह दोनों मरीज को कृत्रिम सांस देने के काम आते हैं।

40 बेड पर सेंट्रल आक्सीजन सप्लाई मिल गई।

हॉस्पिटल को एक पोर्टेबल एक्सरे और वार्डो में सीसीटीवी कैमरे की सौगात भी दी गई।

बेली को कोविड लेवल टू हॉस्पिटल बनाया गया था।

कोटवा सीएचसी

इसे कोविड लेवल वन हॉस्पिटल बनाया गया था। कोरोना काल में इस सीएचसी के दिन भी बहुर गए।

यहां दस लाख की लागत से लांड्री लगाई गई जिसका यूज अब आम मरीजों के चादर और लिहाफ धुलने में किया जा रहा है।

बेड की संख्या बढ़कर 30 से 60 बेड हो गई।

180 आक्सीजन सिलेंडर प्रदान किए गए और मरीजों के मनोरंजन के लिए स्मार्ट टीवी भी लगाया गया है।

एसआरएन हॉस्पिटल

एमएलएन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एसआरएन हॉस्पिटल को लेवल थ्री हॉस्पिटल बनाया गया था।

इसे 98 वेंटीलेटर, 34 बाईपैप, 55 हाई फ्लो आक्सीजन, एक पोर्टेबल एक्सरे, एक ईसीजी, एक वीडियो वेलिंगो स्कोप दिया गया है।

कोरोना की जांच के लिए एक कोबास मशीन, दो ट्रूनाट और दो आरटीपीसीआर जांच मशीन लगाई गई हैं।

इन मशीनों से अन्य बीमारियों की जांच आसानी से और जल्द हो जाएगी। पहले केवल छह वेंटीलेटर थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 104 हो गई है।

रेलवे हॉस्पिटल

सेंट्रल रेलवे हॉस्पिटल को भी लेवल वन हास्पिटल बनाया गया था।

यहां पर छह वेंटीलेटर और दस हाईफ्लो आक्सीजन बढ़ा है।

इनके हाथ कुछ नहीं आया

कोविड लेवल वन हॉस्पिटल रहे यूनानी मेडिकल कॉलेज को कुछ नहीं मिला। यहां के प्रशासन का कहना है कि अक्टूबर-नवंबर में हमारे यहां मरीज भर्ती किए गए थे और इस दौरान वेंटीलेटर और आक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराए गए थे। जैसे ही मरीज खत्म हुए स्वास्थ्य विभाग ने सारा सामान वापस ले लिया। बता दें कि कालिंदीपुरम वैकल्पिक हॉस्पिटल था। साईनाथ एएमए कोविड हॉस्पिटल और यूनाइटेड मेडिसिटी को प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था।

हमारे पास पहले वेंटीलेटर कम थे। जिससे गंभीर मरीजों के इलाज में दिक्कत हो रही थी, लेकिन अब यह दिक्कत समाप्त हो गई है। हमारे पास कई नए संसाधन मौजूद हैं।

डॉ। एमके अखौरी

अधीक्षक, बेली हॉस्पिटल

कुल मिलाकर पब्लिक का फायदा हो रहा है। पहले से अधिक सुविधाएं हो गई हैं। अब पहले से अधिक जांच और गंभीर मरीजों का आसानी से इलाज किया जा सकेगा।

प्रो। एसपी सिंह

प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

कोविड पीरियड में हमे वेंटीलेटर और हाई फ्लो आक्सीजन दिए गए। काफी संसाधन पहले से मौजूद थे। कोरोना खत्म हो गया वरना एक आईसीयू भी प्रपोज्ड था।

डॉ। विनीत अग्रवाल

एमडी, रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल

पूरे कोरोना काल में हमारे हॉस्पिटल में 6 हजार से अधिक मरीजों का इलाज किया गया। इस दौरान मिली कई फैसिलिटी अभी भी मौजूद हैं। सीसीटीवी कैमरे हटा दिया गया।

डॉ। अमृतलाल

प्रभारी, कोटवा सीएचसी

जो सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग से मिली थी वह बाद में वापस ले ली गई। हमारे पास वैसे भी कोई कमी नही है। हम अपने संसाधन से मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

प्रो। अनवार कुरैशी

प्रिंसिपल, यूनानी मेडिकल कॉलेज