प्रयागराज (ब्यूरो)। सहालग का सीजन तमाम बेरोजगारों के लिए खुशी का पैगाम लेकर आता था। आज से तीन वर्ष पूर्व सहालग के सीजन में तमाम बेरोजगारों को काम मिल जाया करता था। पिछले साल सितंबर के बाद परिस्थितियां बदलने लगीं तो सहालग के सीजन में इन्हें काम भी मिला। लेकिन, इस साल सहालग का सीजन शुरू होने से पहले ही कोरोना संक्रमण ने डेरा डाल दिया है। बड़ी संख्या में रोज आ रहे केसेज को देखते हुए सरकार की तरफ से भी तमाम प्रतिबंध लगा दिये गये हैं। इसका इंपैक्ट यह है कि लोग या तो शादी की डेट चेंज कर रहे हैं या फिर सादगी के साथ रस्म पूरी करने की कोशिश में लगे हैं। बताते हैं कि एक शादी में कम से कम 25 से 30 लोगों को रोजगार मिल जाता था। इन सब के रोजगार पर संकट आ गया है।
चाइनीज झालर भी बनी दुश्मन
कहते हैं कि किसी तरह जो शादी विवाह कर भी रहे वह माहौल को देखते हुए बहुत ज्यादा सो-बाजी पर ध्यान नहीं दे रहे। जो लोग बारात के लिए 16 रोड लाइन बुक करते थे। अब वह आठ लाइट में ही काम चला रहे हैं। घरों में चाइनीज झालर खुद से लगाकर कर काम चला रहे हैं। ज्यादातर गेस्ट हाउसों संचालक लाइटिंग कराकर छोड़ दिए हैं। वक्त पर छोड़ा बहुत चेंज के लिए एक दो लोगों को बुलाकर काम चला रहे हैं। जबकि इसके पहले इसी काम में आधा दर्जन से भी अधिक लोग लगाए जाते हैं।
कोरोना के चलते लोग भीड़ पर तो कंट्रोल कर ही रहे। बहुत शो-बाजी से भी बच रहे हैं। पहले बुकिंग करने वाले खुद कहा करते थे कि ऐसी लाइटिंग होनी चाहिए। वह कलर तक की डिमांड खुद रखते थे। ऐसा था तो लोगों छह सात लोग कम से कम लाइटिंग स्टाफ रखा जाता था। लाइटिंग को लेकर डिमांड नहीं हो रही तो आदमी कहां से रखा जाय। यह सब तो बुकिंग के वक्त ही क्लियर हो जाता है।
अखिल गुप्ता, गेस्ट हाउस संचालक
कोरोना के पहले रोज लाइटिंग डेकोरेशन के आर्डर रहते थे। प्रति दिन दो-दो आर्डर मिला करते थे। कोरोना के चलते दो तो दूर एक आर्डर ही मिलना मुश्किल हो गया है। पिछले दो साल से तो स्थिति खराब है ही, इस बार का भी सीजन बेकार ही जा रहा है। लाइटिंग की बुकिंग बहुत खास नहीं है। जिस गेस्ट हाउस में जहां परमानेंट करते थे, वहीं पर लगे हैं। टीम के लोग काम तलाश रहे हैं, जब है ही नहीं तो कहां उन्हें काम दिलाएं।
रमेश कुमार, इलेक्ट्रीशियन
कोरोना का लाइटिंग की बुकिंग पर भी असर काफी पड़ा है। पहले एक-एक दिन में दो-दो बुकिंग हो जाया करती थी। अब तक एक भी मुश्किल है। अब तक लोग जो आठ दाहिने और आठ बाएं वाली लाइटिंग खूब बुक होती थी। इसलिए 16 लोग लाइट उठाने वाले व कुछ अन्य स्टाफ कम से कम 25 लोगों लगते थे तो रखा जाता था। अब लोग नार्मल शादी कर रहे हैं। रोड लाइट की जो बुकिंग थी भी वह डेट बढ़ा रहे या कैंसिल कर रहे।
पंकज सोनकर, मैरिज रोड लाइट
शादी विवाह में लाइटिंग तो शो बाजी में किया करते थे। जब कोरोना के चलते भीड़ की संख्या निर्धारित कर दी गई है। सोशल डिस्टेंस भी जरूरी हो गया है। ऐसे में लोग दुल्हा के लिए रोड लाइट की बुकिंग भी नहीं के बराबर है। स्टाफ तो है ही, सभी काम रोज फोन करके पूछते हैं। मगर, बुकिंग ही नहीं है तो उन्हें काम दिया कहां से जाय। एक बारात में मानकर चलिए कि केवल लाइटिंग में कम से कम पंद्रह से बीस गरीबों को काम मिलता था।
सचिन उर्फ मोंटू, मैरिज रोड लाइट