प्रयागराज (ब्‍यूरो)। 2018 में छात्रसंघ चुनाव का परिणाम आने के बाद रात एक बजे के आसपास बवाल हुआ था। केपीयूसी हॉस्टल के पास बमबाजी हुई थी। आगजनी भी हुई थी। दारागंज के तत्कालीन इंस्पेक्टर विनीत सिंह घायल भी हो गये थे। नवनिर्वाचित अध्यक्ष और तत्कालीन निवर्तमान अध्यक्ष के कमरे को आग के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव बंद हो गया। हालांकि, इसे बहाल किये जाने का मुद्दा अब भी जिंदा है। वर्तमान समय में इसकी अगुवाई अजय यादव सम्राट कर रहे हैं। एक सच यह भी है उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने प्रवेश ही नहीं दिया है। इस आंदोलन को राजनेताओं का भी समर्थन प्राप्त हो चुका है। मुद्दा सदन में उठाया जा चुका है। लेकिन, छात्र संघ बहाल नहीं हुआ। सोमवार को इसे लेकर चल रहे अनशन का 881वां दिन था।

फीस बढ़ाना भी बन गया मुद्दा
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने चालू एकेडमिक सेशन से फीस वृद्धि की है। पुराने स्ट्रक्चर के चलते फीस यहां काफी कम थी तो आन एन एवरेज चार सौ फीसदी का उछाल दिखायी देने लगा। इसके लेकर कैंपस में आंदोलन शुरू कर दिया गया। प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से पहले बड़े पैमाने पर आंदोलन किया गया। छात्र और यूनिवर्सिटी प्रशासन की मिटिंग मुद्दा शांत कराने के लिए हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि दूसरी सेंट्रल यूनिवर्सिटी की तुलना में अब भी फीस काफी कम है। दूसरे कई सालों से फीस बढ़ाई ही नहीं गयी तो इसे वापस लेने का सवाल ही नहीं है। फीस वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन का सोमवार को 104 दिन था। यह अलग बात है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन बढ़ी हुई फीस वसूलकर ही नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर चुका है। इसके बाद भी दो दिन पहले इस मुद्दे को संसद में उठाया गया।

2019 में इंट्रेस परीक्षा के मोड पर बवाल
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने डिजिटल मोड में काम करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए इंट्रेंस एग्जाम आनलाइन मोड में कराने का फैसला लिया था। इसका छात्रों ने यह कहते हुए विरोध कर दिया कि यहां बड़ी संख्या में उन शहरों से छात्र आते हैं जो गैजेट फ्रेंडली नहीं हैं। उनके लिए एग्जाम में एपीयर होना मुश्किल हो जाएगा। जमकर बवाल हुआ तो यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आन और आफलाइन दोनो मोड में एग्जाम कराने का फैसला लिया। इसके बाद यह मुद्दा शांत हुआ।

हॉस्टल्स में वॉशआउट पर गदर
अप्रैल 2017 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने एफीलिएटेड हॉस्टल्स में वाशआउट कैंपेन चलाने का फैसला लिया था। इस दौरान हिंदू हॉस्टल से तमाम आपत्तिजनक चीजें बरामद की गयीं। इसका छात्रों ने व्यापक पैमाने पर विरोध कर दिया। इस बार छात्रों का तेवर बेहद उग्र था। मारपीट, पथराव, आगजनी की घटनाएं हुई थीं। छात्रों को संभालने में पुलिस को पसीना आ गया। इस घटना में दर्जनों वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया था। रिपोर्ट भी दर्जनों दर्ज की गयी। इस घटना के बाद पहली बार पुलिस ने छात्रों का पोस्टर बनवाया था और नोटिस उनके घरों तक भेजवायी थी।

रैगिंग भी बनी कारण
2022 के फरवरी महीने में शताब्दी ब्वायज हास्टल में घुसकर बाहरी छात्रों के द्वारा एक छात्र से रैकिंग का मामला सामने आया था। इस बात को लेकर कुछ छात्रों द्वारा जमकर हंगामा किया गया था। रैगिंग की शिकायत व हंगामें के बाद हॉस्टल में हुई चेकिंग के दौरान पुलिस को कमरे से बम मिले थे। आरोपित बाहरी छात्रों पर केस दर्ज होने के बाद छात्र शांत हो गए थे। अप्रैल महीने में डीएसडब्ल्यू कार्यालय के सामने आयोजित निबंध प्रतियोगिता के दौरान हुई छेड़खानी को लेकर जमकर बवाल हुआ था। आरोप था कि संदीप साहू नामक छात्र एक युवती का मोबाइल नंबर मांग रहा था। छात्रा विरोध जताई तो मौजूद छात्र देवेंद्र, पंकज, विवेक आदि संदीप को वहां से भगा दिए थे। थोड़ी देर बाद संदीप साथियों को बुला लिया और जमकर बवाल हुआ था। इस मामले में पुलिस द्वारा नामजद संदीप के साथ करीब 15 से 16 अज्ञात छात्रों पर केस दर्ज किया गया था।