मई में पीक आने की भविष्यवाणी से मुकाबले को तैयार है प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग

कोरोना पर लगाम लगाने की प्लानिंग पर कोविड नोडल अधिकारी से बातचीत

शहर में कोरोना केसेज में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में केसेज की संख्या ढाई हजार से घटकर 900 के नीचे आ गई है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि आने वाले दिनों में कोरोना का ग्राफ कम हो जाएगा। ऐसा कैसे हुआ किस तरह की प्लानिंग से स्वास्थ्य विभाग ने इस काम को अंजाम दिया.भविष्य में कैसे कोरोना से निपटा जाएगा। इन सवालों को लेकर दैनिक जागरण आई- नेक्स्ट ने मंगलवार को प्रयागराज के नोडल कोविड अधिकारी डॉ ऋषि सहाय से बातचीत की।

सवाल- प्रयागराज में कोरोना के केसेज ढाई हजार तक पहुंच गए थे। लेकिन इस समय इनकी संख्या 900 से कम हो गई है। यह कैसे संभव हो सका।

जवाब- हमने प्लानिंग के तहत काम किया है। यूनिक कांटेक्ट ट्रेसिंग की गई। इससे काफी राहत मिली, तेजी से कांटेक्ट पकड़ में आने लगे और उनको आइसोलेट कर दिया गया। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में सहायता मिली। इसके अलावा हाई रिस्क कंटेनमेंट जोन काफी प्रभावी तरीके से बनाए गए। पाजिटिव केसेज वाले इलाकों को सील किया गया और आसपास के लोगों के बीच उनको जाने से रोका गया। जिससे संक्रमण जहां मिला वहीं तक सीमित रह गया।

सवाल- यूनिक कांटेक्ट टेसिंग क्या है।

जवाब- पाजिटिव केस के परिवार फ्रेंड सर्किल के ऐसे लोग जो सम्पर्क में आए हों।

सवाल- मई में कोरोना के पीक के आने की भविष्यवाणी की गई है। इससे निपटने की क्या प्लानिंग है।

जवाब- मई में कोरोना का पीक आने की बात पूरी दुनिया में हो रही है लेकिन हम लोगों ने इससे पहले ही उसके केसेज कम करने में सफलता पाई है। पीक आता भी है तो भी कोरोना के मामले हमारे यहां कम ही रहेंगे।

सवाल- कोरोना की दूसरी लहर जैसी स्थिति आने वाले समय में न आए इसके लिए क्या प्लान है।

जवाब- हमारा पूरा फोकस कोरोना की जांच और वैक्सीनेशन पर है। अधिक से अधिक लोगों को कोरोना का टीका लगाना है। क्योंकि कोरोना से मुकाबले में वैक्सीनेशन सबसे ज्यादा कारगर है।

सवाल- अभी कोरोना के मामले कितने कम होंगे।

जवाब- जिस तरह से हालात काबू में आ रहे हैं उसको देखते हुए अगले एक सप्ताह में कोरोना के मामले प्रतिदिन 200 संक्रमित से नीचे जा सकते हैं।

सवाल- केसेज कम हो रहे हैं और मौतों की संख्या पर काबू नहीं हो रहा है। इस पर कैसे लगाम लगाएंगे।

जवाब-राष्ट्रीय अनुपात कहता है कि कुल पाए गए केसेज में से डेढ़ से दो फीसदी मामलों में मार्टेलिटी होती है। पूर्व में दो हजार तक केसेज आ रहे थे। उसको देखा जाए तो रोजाना तीस से चालीस मौतें हो रही हैं। अभी तक हम राष्ट्रीय अनुपातिक आंकड़ों पर ही चल रहे हैं। फिर भी हम मौतों के आंकडे़ पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हें। इसका असर भी दिखने लगा है।

सवाल- लोगों का कहना है कि इस समय जांच कम हो रही है। क्या यह सही है।

जवाब- ऐसा नहीं है। आंकड़ा आपके सामने है। रोजाना दस हजार से अधिक जांच हो रही है। पहले भी इतनी ही जांच हो रही थी।